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एनबीएफसी-एमएफआइज ने इक्विटी निवेश में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की

नई दिल्ली। माइक्रोफाइनेंस इंस्टिट्यूशन नेटवर्क (एमफिन) की माइक्रोमीटर रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (एनएफबीसी-एमएफआइज) में इक्विटी निवेश में वित्त वर्ष 2016-17 की तुलना में 40 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। एनएफबीसी-एमएफआइज में निवेश की कुल राशि 9,631 करोड़ रूपये रही। इस रिपोर्ट को ‘एमफिन माइक्रोफाइनेंस अवार्ड्स 2018: उत्कृष्टता की तलाश में‘ के पहले संस्करण के दौरान श्री गिरिराज सिंह, राज्य-एमएसएमई मंत्री, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया। इन उद्योग पुरस्कारों को देश में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए शुरू किया गया है। वित्त वर्ष 2017-18 में एनबीएफसी-एमएफआइज के सकल ऋण पोर्टफोलियो (जीएलपी) में भी पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 31 मार्च 2018 तक 48,094 करोड़ रूपये पहुंच गया।
श्री गिरिराज सिंह, राज्य-एमएसएमई मंत्री, भारत सरकार ने इस अवसर पर कहा, ‘‘माइक्रोफाइनेंस मनीलेंडर्स और बैंकों की उपस्थिति के बावजूद मौजूद ऋण अंतर को भरने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सेक्टर देश की जीडीपी सुधारने में काफी अहम है। कोई भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के योगदान से इनकार नहीं कर सकता है।‘‘
उद्योग के विकास पर एमफिन के सीईओ हर्ष श्रीवास्तव ने कहा, “इस क्षेत्र में निवेशकों के विश्वास में काफी बढ़ोतरी हुई है, और पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान इक्विटी में निवेश बढ़ने से यह बात एकदम स्पष्ट होती है। अपनी पहुंच और संचालन का दायरा बढ़ाने की योजना बना रहे कई लघु और मध्यम सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए यह प्रोत्साहन देने वाला संकेत है। इस उद्योग ने स्वस्थ सालाना विकास दर दर्ज की और पोर्टफोलियो के रिस्क पर्सेंटेज में भी पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय सुधार किया। हम कह सकते हैं कि इस उद्योग के अगले चरण के विकास के लिए यह अच्छा लक्षण है।“ एमफिन माइक्रोफाइनेंस अवार्ड्स 2018 के बारे उन्होंने कहा, “हम विजेताओं को शुभकामनायें देना चाहते हैं, जिन्होंने मुश्किल दौर में अपने हौसले को बरकरार रखा और अपने गंभीर प्रयासों के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह पुरस्कार इन्हीं कोशिशों को प्रोत्साहित करने और माइक्रोफाइनेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहे उन संस्थानों की पहचान के लिए दिए गए हैं, जिन्होंने उपभोक्ता केंद्रित व्यवहार और अच्छे प्रशासन को बढ़ावा देने में अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।“
वित्त वर्ष 2017-18 में एनबीएफसी-एमएफआइज ने कुल 59,629 करोड़ रुपये के 268 लाख ऋण बांटे। वित्त वर्ष 2016-17 की तुलना में 49 फीसदी अधिक है। सालाना आधार पर ग्राहकों की संख्या में भी 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 31 मार्च 2018 तक एनबीएफसी-एमएफआइज के पास 2.53 करोड़ क्लाइंट्स थे। प्रति अकाउंट औसत लोन राशि में भी 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, और यह 22,273 रुपये रही। अगर पोर्टफोलियो के क्षेत्रीय वितरण (जीएलपी) के संदर्भ में देखा जाए तो पूर्व और उत्तर पूर्व ने एनबीएफसी-एमएफआइज के कुल पोर्टफोलियो में 44 फीसदी, दक्षिण ने 20 फीसदी, उत्तर ने 14 फीसदी, पश्चिम ने 11 फीसदी और मध्यक्षेत्र ने 11 फीसदी का योगदान दिया।
समूचे माइक्रोफाइनेंस उद्योग में, जिसमें एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआइज, बैंक, स्माॅल फाइनेंस बैंक और गैर-लाभकारी माइक्रोफाइनेंस संस्थान शामिल हैं, ने वित्त वर्ष 2016-17 की तुलना में 27 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। उद्योग का कुल सकल लोन पोर्टफोलियो 1,36,633 करोड़ रूपये रहा। सूक्ष्म ऋण में बैंकों की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत रही और कुल लोन बकाया 50,418 करोड़ रूपये दर्ज किया गया। एनबीएफसी-एमएफआइ एक ग्रुप के तौर पर सूक्ष्म ऋण का दूसरा सबसे बड़ा प्रदाता रहा और कुल उद्योग पोर्टफोलियो में इसकी हिस्सेदारी 28 प्रतिशत रही। स्माॅल फाइनेंस बैंक का 30,019 करोड़ रूपये का कुल लोन बकाया रहा और इसकी हिस्सेदारी 27 प्रतिशत दर्ज की गई। एनबीएफसी की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत और गैर-लाभकारी माइक्रोफाइनेंस संस्थान की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत रही।

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