नई पर्यटन नीति और पर्यटन उत्पादों के आकर्षक किराये के साथ केरल पर्यटकों को लुभाने के लिए पूरी तरह तैयार
नई दिल्ली। रिस्पांसिबल टूरिज्म की शुरूआत 2008 में कुमाराकोम के बैकवाटर्स में मामूली रूप से हुई थी। इसे एक प्रयोग के तौर पर आरंभ किया गया था जोकि आज काफी आगे बढ़ चुका है और यह केरल के टूरिज्म माॅड्यूल का आदर्श वाक्य बन गया है। हाल में स्थापित रिस्पांसिबल टूरिज्म मिशन और कुमाराकोम को वल्र्ड ट्रैवेल मार्ट, लंदन में प्रतिष्ठित रिस्पांसिबल टूरिज्म अवार्ड प्राप्त हुआ है। इसमें कोई हैरत की बात नहीं कि केरल द्वारा पेश की गई नई पर्यटन नीति स्थायित्वपूर्ण पर्यटन पहलों पर गहराई से केंद्रण करती है। नीति में इस साल के घरेलू अभियान के प्रमुख आकर्षणों पर भी जोर दिया गया है। किरायों में संशोधन और नये पर्यटन उत्पादों की श्रृंखला का आज नई दिल्ली में प्रदर्शन किया गया।
श्री कडकम्पल्ली सुरेन्द्रन, केरल सरकार में माननीय पर्यटन मंत्री ने कहा, ‘‘हम पांच सालों में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 100 फीसदी और घरेलू पर्यटकों के आगमन में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल कर पायें, इसे सुनिश्चित करने के लिए पर्यटन विनामकीय प्राधिकरण का गठन किया गया। इससे किसी भी बुरे कामों को रोकने में मदद मिलेगी और जांच एवं लाइसेंसिंग सिस्टम के जरिये पर्यटन विभाग के बेहतर हस्तक्षेप की गारंटी मिलेगी।‘‘
केरल को लोन्ली प्लैनेट द्वारा बेस्ट फैमिली डेस्टिनेशन का पुरस्कार मिला। कोन्डे नेस्ट ट्रैवेलर द्वारा बेस्ट लीशर डेस्टिनेशन का पुरस्कार भी दिया गया। साथ ही 2016 में इसे 6 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार भी मिले। यह अपने रोमांच प्रेमी पर्यटकों को बेहद जरूरी उत्साह एवं रोमांच की पेशकश करता है। कयाकिंग, ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जोकि इको-एडवेंचर पैकेज का हिस्सा हैं।
केरल ब्लाॅग एक्सप्रेस का 5वां संस्करण अनूठे सोशल मीडिया आउटरीच को प्रस्तुत करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय ब्लाॅगर्स और प्रभावशाली लोगों को एक साथ लेकर आता है। इसके माध्यम से केरल हर तरह के पर्यटक का स्वागत करने की तैयारी में हैं। केरल ब्लाॅग एक्सप्रेस की शुरूआत 18 मार्च को होगी। साल की दूसरी छमाही में एक और प्रमुख बी2बी इवेंट भारत का पहला ट्रैवेल एंड टूरिज्म मार्ट भी प्रस्तावित है जिसने वर्षों से केरल को दुनिया के सामने दिखाने में मदद की है। केटीएम केरल के असमानांतर पर्यटन उत्पादों एवं सेवाओं के पीछे छिपे कारोबारी बिरादरी और उद्यमियों को एक साथ एक मंच पर लेकर आता है। इस 4 दिवसीय इवेंट का 10वां संस्करण 27 सितंबर से शुरू होगा।
नये उत्पादों पर ध्यान
कलापे्रमियों के लिए, राज्य में फोर्ट कोच्चि की स्वप्निल गलियों में जाया जा सकता है और कोच्चि मुजिरिस बाएनियल की तीर्थयात्रा भी की जा सकती है। इसने आज समसामयिक भारतीय कला के परिदृश्य को बदलकर रख दिया है और कोच्चि को भारत की कला राजधानी बनाने में मदद की है।
इतिहास के शौकीनों के लिए जो खुद को दूसरे युग में ले जाना चाहते हैं, मुजिरिस हेरिटेज प्रोजेक्ट भी है। इस पोर्ट के अवयव काली मिर्च, सोने, सिल्क और आइवरी की पेशकश करते हैं जिसका पहली सदी बीसी में अरबी, रोमन और इजिप्टियंस द्वारा सबसे ज्यादा भ्रमण किया गया। इन्हें वर्तमान में 25 संग्रहालयों में संरक्षित किया गया है। यह भारत में सबसे बड़ी धरोहर संरक्षण परियोजना है।
ऐतिहासिक क्षेत्र में एक और पेशकश है स्पाइस रूट प्रोजेक्ट जोकि 2000 वर्ष पुराने प्राचीन समुद्री लिंक की याद दिलाती है और 30 देशों के साथ सांस्कृतिक धरोहरों को साझा करती है। यूनेस्को द्वारा समर्थित इस प्रयास को स्पाइस रूट पर देशों के साथ केरल के मैरीटाइम एसोसिएशंस को पुनःस्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह इन देशों के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वास्तुशिल्पीय आदान-प्रदान का नवीकरण करती है।
राज्य ने पहले ही 2016 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू पर्यटक आगमन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की है। केरल में वर्ष 2016 के दौरान 10,38,41 विदेशी पर्यटकों का आगमन हुआ। इसमें पिछले साल की तुलना में 6.25 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। वहीं 2016 में घरेलू पर्यटकों की संख्या 5.67 प्रतिशत बढ़कर 1,31,72,535 रही। कुल राजस्व में भी पिछले साल के आंकड़े की तुलना में 11.12 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली।
श्रीमती रानी जाॅर्ज, आइएएस, सचिव (पर्यटन), केरल सरकार ने कहा, ‘‘अधिकतर विदेशाी पर्यटक केरल की सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने के लिए यहां आते हैं लेकिन हम इस आइडिया को प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारी संस्कृति स्टेज पर परफाॅर्मेंसेस तक ही सीमित नहीं है। यह हमारी जिंदगी जीने के तरीके में निहित है और विभाग छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदमोें को उठा रहा है ताकि पर्यटकों को केरल की समृद्धि के बारे में बताया जा सके, फिर चाहे यह हमारे मंदिर हों, त्योहार, क्विजीन, ग्रामीण हस्तशिल्प, लोक कलायें या फिर पारंपरिक एवं लोकप्रिय कला के प्रकार।‘‘
केरल की पारंपरिक नृत्य कलाओं और आकर्षक पर्यटन उत्पादों की सांस्कृतिक समृद्धि का आज नई दिल्ली में प्रदर्शन किया गया। इस तरह की पार्टनरशिप मीट्स पर्यटन व्यापार को उनके संबंधित शहरों में केरल के पर्यटन उद्योग कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए संवाद करने और कारोबारी संबंध विकसित करने के अवसर प्रदान करती हैं। इस दौरान धृष्या थालम को भी प्रस्तुत किया गया। यह एक दार्शनिक कहानी है जो केरल के विविध डांस स्वरूपों का प्रदर्शन करती हैं। इसमें राज्य के गांवों की जिंदगी और केरल की लोक संस्कृति को दिखाने का प्रयास किया जाता है।
घरेलू बाजार तक पहुंचने के लिए, मुंबई, पुणे, जयपुर, चंडीगढ़, बैंगलोर, हैदराबाद, विशाखापटनम, चेन्नई, कोलकाता, पटना और दिल्ली में 2018 की पहली तिमाही में पार्टनरशिप मीट्स का आयोजन किया जायेगा।