संपादकीय

मानव जीवन की खलनायिका – शराब

-विमल वधावन योगाचार्य 
(एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट)
शराब शब्द सुनते ही मस्तिष्क में कई प्रकार के नकारात्मक विचार स्वाभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। शराबी व्यक्तियों में हिंसा अर्थात् गुस्सा और गाली-गलौच से लेकर मारपीट तथा कई प्रकार के अपराधें की प्रवृत्ति, अनियंत्रित कामवासना की प्रवृत्ति, अधिक से अधिक धन कमाने के लोभवश भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति आदि सामान्य रूप से देखने को मिल सकती है। इनके अतिरिक्त शराबी व्यक्ति के शरीर और मन के स्तर पर अनेकों प्रकार के रोग भी पाये जाते हैं।
अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं ने सैद्धान्तिक रूप से इस निश्चित संदेश को प्रचारित किया है कि जीवन में किसी विशेष अवसर पर किया गया शराब का सेवन भी शरीर के लिए हानिकारक ही होगा। रोगों का वैश्विक बोझ नामक इस शोधकर्ता समूह ने अपने इस निश्चित संदेश को किसी प्रकार के समझौते के लायक भी नहीं माना। शराब के सेवन को लेकर किया गया यह शोध अब तक का सबसे बड़ा और विस्तृत शोध माना गया है जिसमें 195 देशों से आंकड़े एकत्रित करके उनका अध्ययन किया गया है। इस शोध के आंकड़ों के अनुसार शरीर में अनेकों रोगों की सम्भावना और समय से पूर्व मृत्यु का मुख्य कारण शराब ही है। शराब पीने वाला व्यक्ति जितना धन शराब पर खर्च करता है उससे कई गुना अधिक धन उसे अपने रोगों के उपचार पर भी खर्च करना पड़ता है। अपने निश्चित संदेश के साथ ही इस समूह ने सारे संसार की सरकारों से यह आह्वान किया है कि शराब के सेवन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिए। सारे विश्व से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर यह बताया गया है कि विश्व की औसतन एक तिहाई आबादी शराब का सेवन करती है। अर्थात् प्रत्येक 100 व्यक्तियों में लगभग 33 व्यक्ति शराब पीने वाले होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह कहा गया है कि प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख मृत्यु की घटनाएँ प्रत्यक्ष रूप से शराब के कारण होती हैं। शराब के कारण लगभग 200 प्रकार की बीमारियों और दुर्घटनों की संभावना बनी रहती है।
शराब पीने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य सदैव खतरे में ही रहता है। सबसे पहला खतरा तो किसी भी दुर्घटना के रूप में सामने आ सकता है। शराब पीने के बाद व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक संतुलन बिगड़ने की पूरी सम्भावना होती है, अतः ऐसा व्यक्ति कहीं भी लड़खड़ा कर गिर सकता है, वाहन चलाते हुए गम्भीर दुर्घटना का शिकार हो सकता है या शराब के नशे में किसी से झगड़ा करके चोट का शिकार बन सकता है। शराब पीने वाले व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति कभी भी प्रबल हो सकती है। शराब पीने वाले व्यक्ति में श्वास रोग, हृदय रोग, लिवर के रोग, पेट और पैन्क्रियाज में सूजन, उच्च रक्तचाप किडनी के रोग तथा कैंसर जैसे रोगों की सम्भावना अधिक होती है। शराब पीने वाले व्यक्ति के जीवन में मानसिक रोग विकसित होने की सम्भावना भी अधिक होती है। शराब पीने वाले व्यक्ति में कमजोर दृष्टि और कमजोर स्मृति अक्सर देखने को मिलती है। अनेकों रोगों से ग्रस्त होने के कारण प्रत्येक शराब पीने वाले व्यक्ति को शीघ्र मृत्यु का शिकार होने की सम्भावना भी प्रबल होती है।
शराब पीने से लड़ाई झगड़े की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है और व्यक्ति का व्यवहार अपराधिक होने की सम्भावना बन जाती है। शराब पीने वाले व्यक्ति किसी प्रकार का संकोच नहीं करते जिसके कारण उनके व्यवहार में उग्र प्रवृत्तियाँ पनपने लगती हैं जिनके कारण कई व्यवहारिक समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं और स्थिति बिगड़ने पर पुलिस के हस्तक्षेप से ऐसा व्यवहार अपराध बन जाता है। शराब पीने वाले व्यक्ति में कामुक उत्तेजना बढ़ जाती है जिसके कारण कामुक अपराधों की सम्भावना भी बढ़ जाती है। शराब पीने वाला व्यक्ति अपने उग्र स्वभाव के कारण पुलिस के साथ भी दुव्र्यवहार कर बैठता है। शराब पीकर गाड़ी चलाना तो अपने आपमें ही एक अपराध है। इस प्रकार शराब पीने वाले व्यक्ति के जीवन में कानूनी समस्याओं के पैदा होने की सम्भावनाएँ अधिक होती है। एक बार किसी अपराध में शामिल होने का अर्थ है गिरफ्तारी, जेल, मुकदमेंबाजी और सजा का आजीवन दाग। ऐसे व्यक्तियों की विश्वसनीयता पर सदैव प्रश्नचिन्ह ही लगा रहता है। शराब पीने वाले व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन में भी पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहनों या बच्चों के साथ कई कानूनी समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं।
शराब पीने वाला व्यक्ति अक्सर धन के लिए लोभी बना रहता है। शराब पीने के कारण एक तरफ उसके खर्च बढ़ जाते हैं और दूसरी तरपफ उसकी कार्यक्षमता कम होने के कारण आय कम होने की सम्भावना होती है। अतः शराब पीेने वाला व्यक्ति किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचारी तरीकों से धन कमाने में संकोच नहीं करता। अक्सर शराब तो भ्रष्टाचारियों के बीच खाने-पीने और मेल-जोल का एक माध्यम भी बनी हुई दिखाई देती है।
शराब के कारण बेशक सरकारें यह दावा करती हुई दिखाई देती हों कि शराब की बिक्री से उन्हें बहुत बड़ा राजस्व मिलता है परन्तु शराब के कारण शराबी व्यक्तियों के व्यवहार से उत्पन्न कानूनी समस्याएँ, अपराध, दुर्घटनाएँ, स्वास्थ्य पर खर्च, कार्यक्षमता में कमी और पारिवारिक तथा सामाजिक असंतोष जैसी घटनाओं का पूरा आंकलन किया जाये तो इन समस्याओं के कारण होने वाली आर्थिक हानियाँ शराब से प्राप्त राजस्व से कई गुना अधिक सिद्ध होंगी।
सारे विश्व में समय-समय पर अनेकों सरकारों ने कई बार शराब के सेवन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के प्रयास किये, परन्तु यह सभी प्रयास लम्बे समय तक नहीं चल पाये और अन्ततः असफल सिद्ध हुए। अमेरिका में तो वर्ष 1920 में विधिवत एक कानून के द्वारा शराब पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, परन्तु इस कानून के बाद शराब की अवैध बिक्री जैसे कार्य प्रारम्भ हो गये। इसके लिए कई अपराधी संगठन लाभ कमाने लगे। दूसरी तरफ सरकारों को भी शराब से मिलने वाले कर समाप्त हो गये जिससे सरकारी बजट में भी व्यवधान उत्पन्न होने लगे। इसलिए कुछ वर्ष के बाद इस कानून को रद्द करना पड़ा। भारत में भी अनेकों राज्य सरकारों ने कई बार शराबबन्दी के प्रयास किये, परन्तु कोई भी प्रयास लम्बे समय तक सफल नहीं रह सका। इसलिए कानूनों का सहारा लेने के स्थान पर सरकारों को जन-जागृति के माध्यम से जनता को सजग करने के प्रयास प्रारम्भ करने चाहिए। सरकारें शराब के उत्पादन, बिक्री और सेवन के विभिन्न स्तरों पर कई प्रकार के नियंत्रण कर सकती हैं। शराब के उत्पादन पर आंशिक प्रतिबन्ध या वैकल्पिक रूप से अधिक से अधिक कर लगाना। बिक्री पर तरह-तरह के नियंत्रण जैसे शिक्षण संस्थाओं, धार्मिक स्थलों आदि के आस-पास एक निश्चित दूरी तक दुकाने न खोलना, अवयस्क बच्चों को शराब बेचने पर प्रतिबन्ध, शराब की बिक्री के घंटे निर्धारित करना, शराब के विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध और तम्बाकू उत्पादों की तरह शराब की बोतलों पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने की चेतावनियाँ प्रकाशित करना आदि। प्रत्येक सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का यह दायित्व निर्धारित होना चाहिए कि शराब के सेवन के प्रति लोगों को हतोत्साहित करने के लिए छोटे-छोटे ट्रैक्ट आदि छपवाकर घर-घर पहुँचाये। शिक्षा मंत्रालय शराब से होने वाली हानियों को विशेष रूप से पाठ्य पुस्तकों में सम्मिलित करे। शराब पीने तथा अन्य प्रकार के नशा करने वाले नागरिकों को ऐसी आदतें छुड़वाने के लिए प्रत्येक सरकारी अस्पताल में विशेष विभाग गठित किये जाने चाहिए। शराब छुड़वाने में परिवार के सदस्यों को पूरे प्रेम के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। शराब पीने वाले व्यक्ति को नियमित योगाभ्यास, ध्यान-साधना, मसाज, शिरोधारा, पोषक भोजन, गर्म स्नान तथा गर्म स्थान, मनोरंजन तथा प्रेम, अधिक मात्रा में जल का सेवन आदि उपायों का सहारा अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है।

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