शिक्षा

बच्चों को समाज में परिवर्तन का वाहक बनाने के लिए गुरुक्यू की एक अनूठी प्रतियोगिता “ हम बदलेंगे इंडिया”

नई दिल्ली। क्या आप चाहते हैं कि सड़कें साफ रहें? क्या आप जोर से हॉर्न बजने पर चिढ़ जाते हैं? क्या आप सड़क पर थूकने वालों से नफरत करते हैं? क्या आप सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने को नापसंद करते हैं? क्या ट्रैफिक नियम तोड़ने पर आप परेशान हो जाते हैं? क्या आपको लगता है कि सार्वजनिक धूम्रपान अनुचित है? अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, जो इन मुद्दों से परेशान हो जाते हैं और कुछ बदलाव लाना चाहते हैं, तो यह आपका मौका है। युवा उद्यमी और गुरुक्यू की सीईओ और संस्थापक (भारत का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल प्लेटफॉर्मए जो छात्रों को बेस्ट ट्यूटर के साथ जोड़ता है) सुश्री मीनल आनंद स्टूडेंटस को परिवर्तन का वाहक बनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए इस अनूठी प्रतियोगिता का नेतृत्व कर रही हैं।
“हम बदलेंगे इंडिया” नामक यह प्रतियोगिता कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक के स्टूडेंटस के लिए खुली हुई है। यह एक निःशुल्क प्रतियोगिता है। सरकारी और प्राइवेट दोनों इसमें हिस्सा ले सकते है। इस पहल ने दिल्ली के कुछ प्रमुख स्कूलों जैसे दिल्ली पब्लिक स्कूल (आरके पुरम), जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल (मॉडल टाउन), एमिटी इंटरनेशनल (मयूर विहार), और माउंट कैरामल (वसंत विहार), समेत दिल्ली के अन्य 26 स्कूलों के साथ कुछ प्रमुख स्कूलों तक पहुंच बनाई है।
इस प्रतियोगिता के पीछे सोच यह है, युवा छात्रों को उन मुद्दों पर सोचने पर मजबूर करना, जो हमारे समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह प्रतियोगिता उनके विचारों और रचनात्मकता का इस्तेमाल कर इन मुद्दों के समाधान खोजने के लिए एक मंच प्रदान करती है। यह प्रतियोगिता इन मुद्दों के बारे में युवाओं को सोचने का मौका देकर उन्हें जागरूक करती है। हम चाहते हैं कि छात्र खुद को परिवर्तन के वाहक के रूप में पहचानें।
गुरुक्यू इंडिया की सीईओ और संस्थापक सुश्री मीनल आनंद ने कहा, “भारत के युवा छात्र अपने आसपास घटित होने वाले मुद्दों से परेशान हैं। वे अपने आस.पास के बारे में बेहद जागरूक हैं और उनके पास कुछ शानदार विचार हैं जो समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं। उन्हें केवल एक मंच की आवश्यकता है जहां वे अपने विचार साझा कर सकते हैं और बदलाव लाने के लिए काम कर सकते हैं। “हम बदलेंगे इंडिया” के माध्यम से, हम उन्हें वह मंच प्रदान करना चाहते हैं जहां वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं और बदलाव को सुनिश्चित कर सकते हैं।”

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