यूनाइटेड वे ने बच्चों के अनुकूल संरचना के साथ क्लासरूम पेश किए
नई दिल्ली । छोटे बच्चों की देखभाल और विकास के यूनाइटेड वे के अंतरराष्ट्रीय अभियान को आज अच्छी तेजी मिली। आया नगर, नई दिल्ली स्थित एसडीएमसी प्राइमरी स्कूल (गर्ल्स) में बच्चों के अनुकूल संरचना के साथ खासतौर से तैयार कक्षाओं की पेशकश की गई। यह 0-6 साल तक के बच्चों के लिए है। इसमें अंतरसक्रिय वाल आर्ट, लर्निंग और खेलने के साधन शामिल हैं और ये सभी बच्चों के लिए हैं। इसके अलावा, इसमें शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल टीचिंग एड और केयर गिवर एंगेजमेंट मटेरीयल शामिल है।
इस मौके पर सुश्री गीता कुमारी, सहायक निदेशक – शरीरिक शिक्षा, एसडीएमसी – सिविक सेंटर, सुश्री मंजू खत्री, डिप्टी डायरेक्टर, एसडीएमसी ग्रीन पार्क, श्री जॉन, स्कूल इंस्पेक्टर, श्री वेद पाल, निगम पार्षद, आयानगर यूनाइटेड वे दिल्ली की टीम और अन्य एनजीओ पार्टनर आदि मौजूद थे।
अपने अंतरराष्ट्रीय अभियान के तहत यूनाइटेड वे देश के कई शहरों में स्थानीय सरकार द्वारा चलाए जाने वाले आंगवाड़ी केंद्रों और प्री स्कूलों के साथ मिलकर काम करता है ताकि 0-6 साल के बच्चों के जीवन को उनके विकास के अहम वर्षों में प्रभावित कर सके। कंपलीट मेकओवर के लिए यह दिल्ली एनसीआर में यूनाइटेड वे द्वारा सपोर्ट किए जाने वाले 35 प्री स्कूलों और आंगनवाडियों में से एक है।
इस मौके पर आयानगर के निगम पार्षद, वेद पाल ने कहा, “इस स्कूल में बच्चों के शुरुआती जीवन में देखभाल की अवधारणा को देखकर मैं बेहद प्रभावित हूं और चाहूंगा कि इस मॉडल को पड़ोस के स्कूल में दोहराया जाए ताकि स्कूल एक उत्कृष्ट केंद्र बन सके और समाज में बदलाव लाने का साधन साबित हो।”
सुश्री मंजू खत्री, डिप्टी डायरेक्टर, एसडीएमसी, ग्रीन पार्क ने कहा, “मैं यह देखकर खुश हूं कि कैसे एक स्कूल अनूठे स्कूल केंद्रित बाल विकास मॉडल को अपना कर खुश है जो 0-5 साल के आयु वर्ग के बच्चे के संपूर्ण विकास पर जोर देता है। मैं इस क्षेत्र में बृहतर सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी की उम्मीद करती हूं।”
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 164.47 मिलियन बच्चे 0-6 साल के आयु वर्ग में हैं और यह कुल आबादी का 13.6 प्रतिशत है। इनमें से 43.19 मिलियन बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और यह 0-6 वर्ष के बच्चों की कुल आबादी का 26.3 प्रतिशत है तथा कुल शहरी आबादी का 11.5 प्रतिशत है। 0-6 वर्ष के बच्चों में 18.7 प्रतिशत शहरी बच्चे झुग्गियों में रहते हैं और इस वर्ग के करीब 128.5 मिलियन बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और इनमें से करीब 7.8 मिलियन बच्चे जो 0-6 साल के हैं, अब भी भारी गरीबी में रहते हैं और अनौपचारिक घरों में खराब स्थिति में रहने को मजबूर हैं।