रूरल मैनेजमेंट : गांवों के संग संवारें भविष्य
तकनीकों की बढ़ती पहुंच से अब गांव और शहर की दूरी सिमट रही है, गांवों के विकास में युवा योगदान दे रहे हैं, लेकिन अब भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में कुषल पेषेवरों की दरकार है, ऐसे में ग्रामीण विकास यानी रूरल डेवलमेंट में कैरियर की राह चुन कर युवा अपने भविष्य को स्वर्णिम राह पर ले जा सकते हैं।
भारत गांवों का देश है, देश की तरक्की में गांवों का अहम योगदान रहा है, कुछ समय पहले तक गांवों के बाजार पर ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन अब परिस्थितियां तेजी से बदल रही है, तकनीक और इंटरनेट ने गांव और शहर के बीच की दूरियां सिमटा दी है। अपेरल मेड-अप व होम फर्निषिंग सेक्टर स्किल काउंसिल के डॉ. रूपक वशिष्ठ का कहना है कि बुनियादी और उन्नत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें जोर दे रही है, प्रतिश्ठित कंपनियों भी महसूस करने लगी है कि भारतीय ग्रामीण बाजार काफी बड़ा है। मामला चाहे गांवों में उद्योग लगाने का हो, वस्तुएं अथवा सेवा बेचने का हो या फिर गांवों के निए नई प्रौद्योगिकी विकसित करने का, सभी में इन दिनों काफी विकास हो रहा है, गांवों और ग्रामीण बाजार पर इस नई पहल से अब ग्रामीण प्रबंधन एवं मार्केटिंग की जानकारी रखने वाले कुषल युवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है, इस लिहाज से इस क्षेत्र में युवाओं के लिए कैरियर के नए और बेहतरीन अवसर उत्पन्न हो रहे हैं, इनमें से एक प्रमुख कैरियर विकल्प है- रूरल डेवलपमेंट या रुरल मैनेजमेंट।
क्या है रूरल डेवलपमेंट?
रूरल डेवलपमेंट यानी की ग्रामीण विकास का काम मुख्यतः शिक्षा, स्वास्थ्य, नारी सशक्तिकरण, जल संरक्षण के क्षेत्र मंे ज्यादा से ज्यादा हो रहा है। मार्केटिंग मंे ग्रामीण लोगों के बीच उत्पादन और सेवाओं का प्रचार, बिक्री एवं नए ग्राहकों को जोड़ना शामिल है। ग्रामीण प्रबंधन में गांवों में चल रही विकास योजनाओं और व्यापारिक अभियानों का संचालन, निर्देशन आदि करना होता है।
कैसे चुनें यह कैरियर?
रूरल डेवलपमेंट एक प्रोफेशनल कोर्स माना जाता है। इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के और तरक्की पाने के लिए आपकी स्किल्स और रुचियां मायने रखती है। इस क्षेत्र में जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ता है वैसे-वैसे तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने लगते हैं, अगर आपकी रुचि गांव और गांव के विकास मंे है और गांव मंे समय बिताना अच्छा लगता है, तब तो यह क्षेत्र आपके के लिए बिल्कुल मुफीद है, रुरल डेवलपमंेट या रुरल मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स करने के बाद कुछ समय का व्यावहारिक अनुभव लेकर आप इस क्षेत्र में शुरुआत कर सकते हैं।
संभावनाएं :-
शहर और गांव की दूरियां घटने से इस क्षेत्र मंे बेहतरीन संभावनाएं पैदा हो रही है, पहले रूरल डेवलपमेंट में नौकरी का मतलब सिर्फ एनजीओ को ही माना जाता था, लेकिन अब कई नामी गिरामी बहुराष्ट्रीय कंपनियाें गांवों में अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कई कंपनियां अपना ई चौपाल खोल रही है, बीमा के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कई नई कंपनियां आई है और अपना रुख गांवों की तरफ कर रही है।
मेल-जोल से होगा बेहतर काम :-
काम के दौरान ग्रामीणों के साथ मेल जोल बढ़ा कर काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं। ग्रामीणों के लिए बनाई गई योजनाओं में कमियां, खूबियां, सोशल एक्टिविज़्म आईटीआई आदि के प्रति ग्रामीणों को जागरुक कर उनको दी जा रही सुविधाओं को बताने जैसे काम कर सकते हैं। संभावित आपदाओं से ग्रामीणों को उबारने का काम भी इसी सेक्टर के अंतर्गत आता है।
शहरों में भी मौका :-
यह जरुरी नहीं है कि कैरियर को चुने के बाद आपको हमेशा गांवों में ही रहना पड़ेगा, ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा भी काफी जगहों पर नौकरी मिलती है, ग्रामीण क्षेत्र मंे भी काम करने पर आपको शहरों में काम करने का मौका मिलता रहेगा। गांवों के लिए शहरों में बैठ कर योजनाएं बनाने का काम होता है। आज भी इस क्षेत्र में काम करने वाले अधिकतर कंपनियों के दफ्तर शहरों में ही हैं। ऐसे में आप गांव और शहर दोनों जगह रह कर इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं।
पाठ्यक्रम :-
ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़कर कैरियर बनाने के प्रमुख रूप से रुरल डेवलपमेंट और रुरल मैनेजमेंट के कोर्स देशभर के कई संस्थानों मंे उपलब्ध है। रुरल डेवलपमेंट और मैनेजमेंट में पीजी और पीजी डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। देश के कई प्रमुख मैनेजमेंट संस्थान अपने पोस्टग्रेजुएट प्रोग्रामों में रुरल मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन कोर्स कराते हैं।
योग्यता :-
पोस्ट ग्रेजुएट और पीजी डिप्लोमा कोर्स में नामांकन लेने के लिए आवेदक को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विष्ाय में ग्रेजुएट होना जरुरी हैं।
वेतन :-
पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद शुरूआती वेतन 15 से 20 हजार रुपये आसानी से मिल जाते हैं। अनुभव और आपकी कार्यकुशलता के आधार पर कम समय से तरक्की की संभावना रहती है।