शिक्षा

सीमाओं के अनुरूप अपने लक्ष्य निर्धारित करें

– सक्सेस गुरु ए.के. मिश्रा
(निदेशक, चाणक्य आईएएस एकेडमी)
निःसंदेह सही महत्वाकांक्षा एवं लक्ष्य के साथ काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये पहले देखें की सफलता के लिए महत्वावाकांक्षा का स्वरूप कैसा हो। यह उतनी ही जरूरी है जितना की किसी मशीन के लिए ईंधन। मगर जहां एक तरफ संतुलित, यथार्थपरक व गतिशील महतववाकांक्षा आपको गंतव्य तक पहुंचाती है वहीं लचर, अव्यावहारिक व ढुलमुल सोच न केवल गंतव्य से दूर ले जाती है, बल्कि हताशा, निराशा व अवसाद के सागर में तिनके की तरह बहा ले जाती है। अपनी महत्वकांक्षा को सकारात्मक रूप देने के लिए निम्नलिखित कदम उठायें…….
अपनी सीमाओं का अवलोकन करें :
आप विश्व का तीव्रतम धावक बनना चाहते हैं या सिविल सेवा परीक्षा में टॉप करना चाहते हैं, अपनी सीमाओं के अनुरूप अपने लक्ष्य निर्धारित करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी और आपका धन व अमूल्य समय भी बर्बाद होगा। ऐसा करते वक्त आप व्यावहारिक जीवन के आवश्यक नियामकों पर ध्यान दें। उदाहरणार्थ-आपका स्वास्थ्य, उम्र, गुण, शिक्षा, विभिन्न सहारे, पारिवारिक-सामाजिक माहौल इत्यादि। इन सबका परस्पर सामंजस्य होना आवश्यक है।
अपनी ताकत को पहचानें :
प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशिष्ट गुण होते हैं। न केवल वे गुण आपकी एक खास पहचान बनाते हैं बल्कि आपके कार्य साधन में एक विशिष्ट भूमिका भी निभाते हैं। अपनी क्षमताओं को और भी निखारने का प्रयास करें व उनके व्यावहारिक प्रयोग के नायाब तरीके भी ढूंढे।
अपनी कमियों को भी पहचानें :
व्यावहारिक जीवन के रास्तों को पार करने के लिए यह एक आवश्यक गुण है। अपनी कमियों को पहचानने पर ही आप किसी समस्या को सुलझाने की कोई दूसरी तरकीब ढूंढ पायेंगे। दूसरी तरफ कमियों का अहसास न होने पर बार-बार हताशा का सामना करना पड़ सकता है, यथा-मैं परीक्षा हिन्दी माध्यम से दूं या अंग्रेजी माध्यम से?
सही कदम उठायें :
विश्लेषण, पूर्व अनुभव व अनुभवी शुभचिन्तकों की सलाह को आधार बनाकर सही कदम उठायें. दरअसल सही निर्णय लेने की आवश्यकता हमेशा पड़ती है। निरंतर अभ्यास से यह विकसित होती हैै।
कल करे सो आज कर :
इस सीख के मर्म को समझें। उपयुक्त अवसर आने पर शीघ्र कदम उठायें। अच्छे अवसर बार-बार नहीं आते और अवसर चूक जाने से सिर्फ पछतावा ही हाथ लगता है। कदम उठाने का मतलब है जिम्मेदारी लेना। कदम नहीं उठाने पर हमें प्रतीत होता है कि हम जिम्मेदारी लेने से बच गये। मगर यह अकर्मण्यता कई अप्रिय परिस्थितियों को जन्म देती है। दूसरी तरफ सही समय पर सही कदम सफलता की संभावना के निकट ले जाती है। आइये देखें, निम्न दो तरह के लोगों में आप कहां हैं? सही समय पर सही कदम उठाने वाले संशय, झिझक व अनिश्चितता से ग्रस्त व्यक्ति काम के लिए पहल करते हैं, किसी सुयोग की प्रतीक्षा में रहते हैं। समाधान व विभिन्न उपायों, समस्यायों व बाधाओं के बारे को तलाशते हैं। यथावत् कदम उठाते हैं। धारा के साथ बहते हैं, यह आपको अपने बारे में समझने में मदद करेगा। आप खुद में क्या-क्या बदलना चाहेंगे? क्या-क्या नया करना चाहेंगे? अपनी महत्तवाकांक्षा को हमें काफी यत्नपूर्वक विकसित करना चाहिए। अक्सर देखा गया है कि लोग बिना विभिन्न पक्षों पर विचार किये लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं मगर बाधाओं और बदलती परिस्थितियों से तालमेल नहीं बिठा पाते। अतः एक लचीला रुख भी अपनाना जरूरी है। उचित अवसर मिलने या न मिलने पर अपने लक्ष्य की दिशा को मोड़ने से न हिचकें, न घबरायें और न ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बनायें। अपने आपको परिस्थिति के अनुरूप ढालने का प्रयत्न करें। कभी-कभी हमें अपना वांछित लक्ष्य नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में हताश व निराश होकर बैठ जाने के बजाय सबसे पहले स्थिति को स्वीकार करें। फिर इसका यथार्थपरक विश्लेषण करें कि कहां-क्या गलती हुई, क्या कमी रह गई। जैसे, किसी कमरे का तापक्रम घटाते-बढ़ाते हैं, वैसे ही अपने लक्ष्य को अपेक्षाकृत हल्का बनायें या नई रणनीतियां बनायें। पूर्व अनुभवों से सीख लें। पूरी कोशिश करें पुरानी गलतियां न दुहराई जायें। विश्वास रखें-संभावनाएं अनंत हैं व असफलता अस्थाई। अगर हम एक असफलता पर हताश हो, बैठ जायें तो हमारे अंदर की अनंत संभावनाओं के प्रस्फुटित होने की राह अवरुद्ध हो जाती है।

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