मूवी रिव्यु

भारतीय सेना के जाबांज जवानों द्वारा किए सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी को बयां करती है ‘‘उरी….’’

फिल्म का नाम : ‘‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’’
फिल्म के कलाकार : विक्की कौशल, यामी गौतम, परेश रावल, मोहित रैना, कीर्ति कुल्हारी, स्वरूप सम्पत, आकाशदीप अरोड़ा, मनीष चौधरी और अन्य
फिल्म के निर्देशक और लेखक : आदित्य धर
फिल्म के निर्माता : रोनी स्क्रूवाला
स्टार रेटिंग : 3ः5/5

जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है कि यह फिल्म में मोदी जी के राजीतिक सफर के दौरान 2016 उरी में हुए हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के उपर आधारित है। फिल्म में मोदी को कई बार दिखाया गया है लेकिन कहीं भी उनका नाम नहीं लिया गया है। यह देशभक्ति से भरपूर एक आर्मी ऑपरेशन फिल्म है। कुछ लोग इस फिल्म को देखकर इसे चुनावी मौसम में चुनावी एजेंडे का हिस्सा भी मान सकते हैं।

फिल्म की कहानी :
फिल्म शुरू होती है 2015 की म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक से जिसे मेजर विहान सिंह शेरगिल के रूप में विकी कौशल और मेजर करण के रूप में मोहित रैना कामयाबी से अंजाम देते हैं। इस ऑपरेशन के बाद मेजर विहान अपनी मां की देखभाल के लिए दिल्ली रहना चाहता है क्योंकि वह डाइमेंशिया की मरीज़ है इसलिए विहान आर्मी से प्री मैच्यौर रिटायरमेंट लेना चाहता है, लेकिन दिल्ली में उसकी तैनाती कर दी जाती है। उरी में हुए हमले के दौरान मेजर करण जो विहान का जीजा भी है की आंतकवादियों से जूझते हुए मौत हो जाती है। इसके बाद विहान बिल्कुल टूट जाता है और इसी वजह से वो सर्जिकल स्ट्राइक आॅपरेशन में शामिल होता है। उसके बाद ये ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया जाता है। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

एक्टिंग की बात करें तो विकी कौशल देश के जाबांज़ सैनिक के रोल में हैं काफी दमदार लगे हैं उन्होंने हमेशा की तरह इसे अच्छे से निभाया है। अजीत डोभाल के रोल में परेश रावल बखूबी जमे हैं, वो हर फोन कॉल के बाद अपना मोबाइल फोन तोड़ देते हैं। मोहित रैना का रोल बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने एक छोटे से रोल में खुद को साबित किया है, यह मोहित की पहली बाॅलीवुड डेब्यू फिल्म है। यामी गौतम और कीर्ति कुल्हारी भी अपने-अपने किरदारों में बेहतर लगे हैं। सभी ने अपने-अपने किरदारों के ज़रिए अपना बेस्ट देने कि कोशिश की है।
निर्देशक ने फिल्म को बेहतर बनाने के लिए गरूण ड्रोन की घटना को डाला है, फिल्म में नाटकीयता लाने के लिए इसे परेश रावल के द्वारा हर काॅल के बाद तोड़े जाने वाले मोबाईल फोन के सीन को डाला गया। कुछ जगह मेजर विहान की मां बहन और भांजी से जुड़े इमोशन डाले गए हैं जिसे देखकर आपका मन द्रवित हो उठेगा। लेकिन अगर हम बात करें फिल्म को बनाने के दौरान किए गए रिसर्च की तो इसमें बहुत ज़्यादा रिसर्च नहीं किया गया है ऐसा दिखाई देता है। क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली टीम ने अपने साक्षात्कार के दौरान बताया था कि टीम ने चार दिन पहले भी बिना किसी को भनक लगे पीओके में उन आतंकी कैम्पों की रेकी की थी और पूरा रूट देखकर वो वापस भी आ गए। उन्होंने पीओके में तेंदुओं के मूत्र का भी इस्तेमाल किया था ताकि रात में कुत्ते उस गंध के चलते उन पर हमला ना करें। ऐसे कई दिलचस्प वाक्य थे जिन्हें फिल्म में जोड़कर फिल्म को और भी दमदार बनाया जा सकता था। फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा स्लो है। गाने भी ज़्यादा नहीं है लेकिन फिल्म की कहानी के हिसाब से ठीक है।

फिल्म क्यों देखें ?: क्योंकि फिल्म सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी है तो यदि आप भी जानना चाहते हैं कि सेना के जवानों द्वारा यह आॅपरेशन किस तरह अंजाम दिया जाता है और किस तरह कि प्लानिंग होती है तो फिल्म देख सकते हैं।

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