हलचल

घायलों की चिकित्सा में सुधार पर चर्चा के लिए जुटे आर्थोपेडिक विशेषज्ञ

नई दिल्ली। हादसों (ट्राॅमा) को प्रमुख स्वास्थ्य समस्या मानते हुए दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन (डीओए) हादसों में घायल होने वाले लोगों की देखभाल एवं चिकित्सा में सुधार के उद्देश्य से सर्वसम्मत गाइडलाइन बनाने के लिए आज एक दिन के सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें देश भर के आर्थोपेडिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन (डीओए) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में आज आयोजित ‘‘मिडकॉन, 2018’’ में देश भर से जुटे 200 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने घायलों की चिकित्सा में सुधार के तौरकृतरीकों के बारे में चर्चा की ताकि घायलों की देखभाल एवं चिकित्सा में सुधार किया जा सके और हर साल हजारों लोगों की जान बचाई जा सके।
विशेषज्ञों के अनुसार हमारे देश में हर साल विभिन्न हादसों में पांच लाख लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और इनमें से ज्यादातर की उम्र 18 से 30 वर्ष होती है। इन हादसों में 22.8 प्रतिशत सड़क परिवहन से संबंधित होते हैं जबकि अन्य 77.8 प्रतिशत हादसे उंचाई से गिरने (खास तौर पर कम उम्र के बच्चों में), खेती से संबंधित हादसे, आग्नेय एवं अन्य हथियारों से नुकसान पहुंचने, हमले, भारी वस्तुओं के गिरने, आग लगने, डूबने, प्राकृतिक आपदा और आतंकवादी हमलों से संबंधित होते हैं।
आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर दो मिनट में हादसों के कारण एक व्यक्ति की मौत होती है। सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में हर दिन 413 लोगों की और हर घंटे 17 लोगों की मौत केवल सड़क दुर्घटनाओं में होती है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में सड़क हादसों में हर साल 15 लाख से अधिक लोगां की मौत होती है। सड़क हादसों के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे नम्बर पर है।
इस सम्मेलन का मुख्य विषय था – ‘ट्राॅमा केयर में होने वाली जटिलताओं की रोकथामष्। सम्मेलन में शरीर के सभी हिस्सों में होने वाले फ्रैक्चर के प्रबंधन पर चर्चा हुई। कुल मिलाकर नौ सत्र आयोजित हुए। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञों में ब्रिटेन के विशेषज्ञों के अलावा देश के सभी हिस्सों तथा दिल्ली के चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन के दौरान डीओए के सदस्यों के लिए पोस्टर प्रतियोगिता तथा इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले स्नातकोत्तर छात्रों के लिए क्विज का आयोजन किया गया।
मिडकॉम, 2018 के वैज्ञानिक अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने कहा, ‘हादसों में लगने वाली चोटें, सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली क्षति, गिरने से लगने वाली चोटें एवं फ्रैक्चर आदि के इलाज का खर्च गरीब लोगों के बर्दाश्त के बाहर होता है। खास तौर पर गांवों में गरीब परिवारों के लिए ऐसे हादसे आर्थिक विपदा लेकर आते हैं।
दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर रमेश कुमार ने कहा कि हमारे देश में ज्यादातर लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं होने के कारण ये लोग घायलों का इलाज निजी अस्पतालों में करा पाने में अक्षम होते हैं। घायलों के इलाज के लिए बेहतर सरकारी चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हो तथा गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध हो तो हादसों के घायलों का बेहतर और तत्काल इलाज हो सकता है और काफी घायलों की जान बचाई जा सकती है।’’
दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव डा. ललित मैणी ने कहा कि पहली बार दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन ने अपने सम्मेलन में सामाजिक दृष्टिकोण को शामिल किया गया। इस बार इस सम्मेलन के जरिए ‘‘प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने’’ का संदेश दिया गया। इस सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों को इकोफ्रेंडली पेन एवं बैग दिए गए जिनपर ‘‘नो टू प्लास्टिक’’ लिखा था। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में सभी विशेषज्ञों को भरने के लिए एक प्रश्नावली दी गई। इस सर्वे से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके एक सर्वसम्मत गाइडलाइन तैयार की जाएगी ताकि ट्रौमा केयर को सुधारने में मदद मिले।

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