बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने किया ‘भागवद् गीता – सेइंग इट दि सिंपल वे’ का अनावरण…
नई दिल्ली। एक समारोह में लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने प्रसिद्ध लेखक विजय सिंगल की पुस्तक भगवद् गीता – सेइंग इट दि सिंपल वे का अनावरण किया। इस अवसर पर बिजनेसवर्ल्ड पत्रिका के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने चर्चा का संचालन किया। जीवन को सर्वथा बदल देने में सक्षम भगवद् गीता के श्लोकों का हिंदी व अंग्रेजी अनुवाद एक साथ होना इस पुस्तक की विशेषता है जिससे पाठकों के लिए श्लोकों के मर्म को समझ पाना आसान हो जाता है। हर पृष्ठ पर केवल दो श्लोक और हिंदी तथा अंग्रेजी में अर्थ होने से पृष्ठ पर मैटर की घिचपिच नहीं है ताकि पाठकों की रुचि बनी रहे।
एक पूर्व नौकरशाह विजय सिंगल आध्यात्मिकता, दर्शन, मनोविज्ञान और धर्म के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध लेखक हैं। उन्होंने श्लोकों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया है। भावार्थ की प्रस्तुति ऐसी है कि ध्यान मुख्य कथन से न भटके। विद्वान लेखक ने यह भी सुनिश्चित किया कि श्लोकों का अर्थ न केवल सटीक हो बल्कि वे उनके मर्म को भी समझ सकें। पुस्तक के अनावरण से पहले बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार और लेखक विजय सिंगल के साथ पुस्तक पर एक संक्षिप्त चर्चा का आयोजन किया गया जिसका संचालन बिजनेसवर्ल्ड पत्रिका के अध्यक्ष एवं मुख्य संपादक डा. अनुराग बत्रा ने किया। चर्चा भगवद् गीता के दर्शन से संबंधित थी और यह कि आज के इन्सान के लिए इसकी शिक्षाओं की व्यावहारिक उपयोगिता क्या है।
विजय सिंगल एक लब्धप्रतिष्ठ लेखक हैं और उनकी पूर्व प्रकाशित पुस्तकें ए डिविनिटि इन फ्लो – गंगा, एब्सोल्यूट वननेस – दि जर्नी विधिन, हिंदुइज्म – फ्रॉम माया टु मोक्ष, बिहाइंड साइकोलॉजी – सर्चिंग फॉर दि रूट्स, साइकी ऑफ दि कॉमन मैन, मनोविज्ञान – जीवन का रहस्य, एटर्नल ईकोज – दि जर्नी टु दि सेल्फ एवं र्स्पाकलिंग पंजाब सदाबहार बेस्ट-सेलर पुस्तकें हैं।
पुस्तक के बारे में बताते हुए विजय सिंगल ने कहा, उन्माद के इस जमाने में, कोई भी व्यक्ति आसानी से समाज के चलन में डूब कर अपना समय गंवा सकता है और अंततरू वह पाता है कि उसके पास कुछ नहीं बचा और वह शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी सूनेपन का शिकार है। गीता के श्लोक हमें यह संदेश देते हैं कि हमें तस्वीर को समग्रता में देखने की आवश्यकता है। हमें अपने विचारों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि हम अनावश्यक चिंता से बच सकें। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारी समस्याएं बाधाएं नहीं हैं बल्कि सफलता की सीढ़ियां हैं।
पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा, इस पवित्र पुस्तक का अनावरण करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। मैंने हमेशा अपने दैनिक जीवन में गीता की कुछ शिक्षाओं का उपयोग किया है। इससे मेरा जीवन कुछ कम जटिल और थोड़ा अधिक शांत हो गया है। मेरा विश्वास है कि भगवान एक है और आप खुद को समझने और अंतर्ज्ञान के लिए कोई भी रास्ता अपनाएं, अंततः वह परमपिता परमेश्वर की ओर ही ले जाएगा।
पुस्तक में निहित संदेश लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर सकते हैं क्योंकि यह हमें दुनिया की कठोर वास्तविकताओं से परिचित कराते हैं और बताते हैं कि उनकी सहायता से परिस्थितियों पर काबू कैसे पाया जा सकता है। यह हमारे अस्तित्व की सच्चाई समग्रता में वर्णन करते हुए जीवन के उद्देश्य की व्याख्या करता है, साथ ही भौतिक सफलता और आध्यात्मिक परिपूर्णता की ओर ले चलता है। गलाकाट प्रतियोगिता की आज की दुनिया में भी भगवद् गीता की शिक्षाएं बहुत प्रासंगिक हैं क्योंकि वे अपने अस्तित्व, उद्देश्य, ब्रह्मांड के साथ संबंध और मनुष्य की असली प्रकृति के बारे में प्रश्न करना सिखाते हैं। इन सवालों के जवाब ढूंढने से जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने और दिशा देने में मदद मिलती है, जिससे सच्ची आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है। गीता के माध्यम से हमें नेता के आवश्यक गुण, चुनौतियों का सामना करने, लचीला रहने, अहंकार और अज्ञानता को त्यागने आदि से संबंधित उपयोगी पाठ सीखने को मिलते हैं। युग चाहे कोई भी हो लेकिन एक सफल और समग्र जीवन जीने के लिए ये शाश्वत पाठ हमेशा उपयोगी और प्रासंगिक बने रहेंगे।