हलचल

भारतीय शास्त्रीय गायन एवं नृत्य की एकल प्रस्तुति का आयोजन

नई दिल्ली। रजा फाउंडेशन के तत्वावधान में ‘आरम्भ 11’ के अंतर्गत दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन 12-10-2018 को नयी दिल्ली के अलियांस फ्रांसिस के सभागार में भारतीय शास्त्रीय गायन एवं नृत्य की एकल प्रस्तुति का आयोजन किया गया। रजा फाउन्डेशन साहित्य, कला और संगीत के क्षेत्र में युवाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर एक विश्वसनीय संस्था के रूप में सामने आया है। रजा फाउन्डेशन प्रसिद्ध चित्रकार सैय्यद हैदर रजा द्वारा युवाओं में भारतीय कला को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किया गया था। रजा फाउंडेशन द्वारा आरम्भ कार्यक्रम भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में युवाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए सितम्बर 2017 में नयी दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम के साथ किया गया था। यह कार्यक्रम आरंभ की ग्यारहवीं कड़ी है। पहले दिन के कार्यक्रम का आरम्भ युवा ध्रुव-पद गायिका सुश्री पेल्वा नाईक द्वारा राग पूर्वी के अवतरण से हुआ। युवा गायिका सुश्री पेल्वा नाईक ध्रुव-पद के प्रतिष्ठित स्कूल डागर स्कूल की युवा ध्रुव-पद गायिका हैं। वे प्रतिष्ठित ध्रुव-पद गायक उस्ताद फरीदुद्दीन डागर की शिष्या हैं। पेल्वा अपने घराने की पारम्परिक तत्वों के प्रति ईमानदार हैं, वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्राचीन अनुशासन में बहुत ही विनम्र होकर इसकी ताजा विशेषताओं को परम्परा से सीमित छुट लेकर अपने गायकी को विशेष और वैयक्तिक बनाती हैं। कल की प्रस्तुति में उन्होंने राग पूर्वी को अपने प्रस्तुति का हिस्सा बनाया। सबसे पहले उन्होंने आलाप, फिर मध्यलय और द्रुत लय को प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन झपताल में निबद्ध डागर घराने की भक्ति के समय की बंदिश जिसका निर्माण उस्ताद मोईनुद्दीन डागर ने किया है, ‘पायो पीर परम योद्धा पायो’ बंदिश से किया। सुश्री पेल्वा नाईक का पखावज पर डागर धराने से संबद्ध श्री संजय आगले जी ने तथा तानपुरा पर सुश्री अनुजा कामत एवं सुश्री पल्लवी श्याम सुन्दर ने संगत किया।
कार्यक्रम के दुसरे हिस्से में सुश्री आर. भार्गवी ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य की कत्थक की प्रस्तुति दी। कत्थक पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह सबसे प्राचीन जीवित नृत्य रूपों में से एक है। आर. भार्गवी लखनऊ घराने की कत्थक नृत्यांगना हैं तथा कत्थक के चर्चित गुरु श्री मुन्ना शुक्ला जी की शिष्या हैं। इन्हें संस्कृति मंत्रालय की राष्ट्रीय शोध-वृत्ति प्राप्त है तथा इन्होने राष्ट्रीय ख्याति के विविध मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। सुश्री आर. भार्गवी ने अपनी प्रस्तुति का आरम्भ कृष्ण स्तुति से किया, फिर उन्होंने तीन ताल में अपने घराने की बारीकियों को अपनी प्रस्तुति में शामिल किया, जिसमें उठान, मध्यलय, मध्यलय में उठान, समों की तिहाई, टुकड़ा, गत, बेगम का चलन, बाहुबंद, गत निकास इत्यादि की प्रस्तुति दी और समापन पंडित बिंदादीन महाराज जी की ठुमरी ‘देखो री ना माने श्याम’राग देश में झपताल में निबद्ध बंदिश से किया। सुश्री आर. भार्गवी के साथ तबला पर तबला विशारद और चर्चित कत्थक गुरु श्री मुन्ना शुक्ला के शिष्य श्री अनिरुद्ध शुक्ल, सारंगी पर संगीत भास्कर एवं संगीत प्रभाकर और गायन एवं सारंगी वादन में विशेषज्ञ श्री अनिल मिश्र ने, सितार पर आकाशवाणी के । ग्रेड श्रेणी के कलाकार श्री खालिद मुस्तफा खान, गायन पर गुरु श्री सोमा सिंह जी की शिष्या ऐश्वर्या थपियाल ने और बोल पढंत पर गुरु श्री मुन्ना शुक्ला जी की शिष्या और चर्चित कत्थक नृत्यांगना सुश्री ज्योत्सना बनर्जी ने संगत किया।
‘आरम्भ 11’ दूसरे दिन 13-10-2018 को नयी दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम सभागार में भारतीय शास्त्रीय गायन की एकल प्रस्तुति का आयोजन किया गया। जिसे मेवाती घराने के युवा गायक श्री सिद्धार्थ मिश्रा ने प्रस्तुत किया। श्री सिद्धार्थ ने गुरु श्री राजीव दीक्षित और मोहम्मद राउफ से संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा ली है। श्री सिद्धार्थ अभी संगीत मार्तण्ड पद्म विभूषण श्री जसराज जी के शिष्य गुरु श्री गिरिशवर से संगीत की शिक्षा ले रहें हैं। श्री सिद्धार्थ मिश्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से भारतीय शास्त्रीय गायन में संगीत की मास्टर्स डिग्री की शिक्षा प्राप्त की है। श्री सिद्धार्थ मिश्र ने कई राष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। श्री सिद्धार्थ मिश्र के साथ संगत पर हारमोनियम के साथ उनके गुरुभाई डॉ. महेंद्र कदम और तबला पर डॉ. विनोद कुमार मिश्र थे। तानपुरे पर श्री अंकित सैनी एवं श्री विपिन कुमार ने श्री सिद्धार्थ मिश्र के साथ संगत किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति को राग शुद्ध कल्याण पर केंद्रित रखा। राग शुद्ध कल्याण के आरोह में मध्यम और निषाद स्वर वर्जित है, अवरोह में मध्यम तीव्र एवं शेष शुद्ध स्वर लगते हैं। इस राग की जाति ओढव-सम्पूर्ण वक्र और थाट कल्याण है। वादी गांधार और संवादी स्वर धैवत है तथा इस राग का समय रात्रि का प्रथम पहर है। इस राग के आरोह में राग भूपाली और अवरोह में राग यमन के स्वर लगने के कारण इसे भूप कल्याण के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का आरंभ विलम्बित एकताल में  ‘बोलन लागी’ बंदिश तथा द्रुत तीन ताल में श्पीहरवा मोरा रेश् शीर्षक बंदिश सुनाई। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन एक भजन से किया। इस अवसर पर शहर के विद्वतजन, कलाविद और सुधी श्रोता मौजूद रहे।
इसी के साथ रजा फाउण्डेशन द्वारा आयोजित आरम्भ विद्यालय शृंखला जिसका उदेश्य विद्यालयी छात्रों में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के संस्कार देना है, के चौथे चरण में 11 अक्टूबर 2018 को सुश्री पेलवा नाईक ने मदर्स इन्टरनेशनल स्कूल में द्रुपद की प्रस्तुति, 12 अक्टूबर 2018 को श्री सिदार्थ मिश्र ने सर्वोदय विद्यालय, जोरबाग, दिल्ली सरकार में शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति और सर्वोदय कन्या विद्यालय, पण्डारा रोड, दिल्ली सरकार में सुश्री आर भार्गवी ने अपनी प्रस्तुति दी।

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