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भारतीय सभ्यता की झलक प्रस्तुत करने वाली प्रदर्शनी राष्ट्रीय संग्रहालय में शुरू हुई

नई दिल्ली। भारत की सहस्राब्दी पुरानी सभ्यता आज से राष्ट्रीय संग्रहालय में शुरू हुई प्रदर्शनी में जीवंत हुई। करीब दो माह तक चलने वाली इस अंतरमहाद्वीपीय (इंनटरकांटिनेंटल) प्रदर्शनी में भारत की हजारों साल पुरानी सभ्यता के व्यापक परिदृष्य को अनेक कलाकृतियों के माध्यम से उजागर किया गया है। यह प्रदर्शनी यहां आने वाले दर्शकों को देष के षानदार अतीत की रोमांचकारी एवं मजेदार यात्रा पर लेकर जाती है और प्राचीन काल से ही बाहर की दुनिया के साथ भारतीय सभ्यता के संबंधों को भी उजागर करती है।
’इंडिया एंड द वर्ल्ड : हिस्ट्री इन नाइन स्टोरीज’ नामक यह प्रदर्शनी भारत में अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी है और इस प्रदर्शनी के लिए ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन राश्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्लीय छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय (सीएसएमवीएस), मुंबई और करीब 20 निजी संग्रहालयों के साथ अभूतपूर्व संधि हुई है ताकि इस अत्यंत महत्वपूर्ण प्रदर्शनी के लिए संसाधन जुटाए जा सकें।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय ने मुख्य अतिथि के तौर पर षनिवार को इस प्रदर्शनी का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में करीब 200 प्राचीन और आधुनिक वस्तुओं एवं कलाकृतियों को प्रदर्षित किया गया है जिनके जरिए कला की विभिन्न अभिव्यक्तियों, कलाकृतियों, कहानियों एवं विभिन्न सौंदर्य के जरिए भारत के विकास को कालक्रम एवं विशयगत रूप से चित्रित किया गया है।
अगर आप इस प्रदर्शनी में आएंगे तो अनेक कलाकृतियां एवं सामग्रियां आपका ध्यान तुरंत आकर्शित कर लेंगी जिनमें अब तक ज्ञात विष्व की सर्वाधिक प्राचीन कुल्हाड़ी (1.7-1.07 मिलियन वर्ष) भी शामिल है जो तमिलनाडु के अत्तिरामपक्कम से प्राप्त हुई। साथ ही मोहनजोदारो काल की नर्तकी (2500 ईसा पूर्व) की प्रतिकृतिय हड़प्पा काल का सोने के सींग वाला बैल (1800 ईसा पूर्व)य मुगलों की सूक्ष्म रचना विधा से प्रेरित होकर रेम्ब्रान्डट की कृतिय अषोका एडिक्ट (250 ईसा पूर्व) और प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस की निगरानी में तैयार 50 से अधिक पेंटिंग्स वाला भारत के संविधान की एक प्रतिकृति भी है।
श्री राम बहादुर राय ने प्रदर्शनी को ‘‘इतिहास के माध्यम से यात्रा’’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि यह प्रदर्षनी हम भारतीयों को इतिहास के उस कालखंड में ले जाती है जो हमें गौरवान्वित करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का उत्सव भी है और यह स्मरण करने का अवसर भी है कि हमारी सभ्यता लाखों सालों से अस्तित्व में है और इसने संस्कृति, विज्ञान और आध्यात्मिकता के संदर्भ में दुनिया को क्या- क्या दिया है।’’
ब्रिटेन के डिजिटल, संस्कृति, मिडिया एवं खेल मंत्री श्री मैट हैंगकॉक ने अपने संदेष में कहा, ‘‘ब्रिटेन और भारत के संबंधों का केन्द्र बिन्दु संस्कृति है और यह दोनों देषों का जोड़ने वाला जीवंत सेतु है। यह प्रदर्शनी न केवल हमारे साझे इतिहास की पड़ताल करती है, बल्कि यह दिखाती है कि हमारे संस्थान किस तरह से साझेदारी कर रहे हैं और यह साझेदारी भविश्य में भी जारी रहेगी। मुझे इस बात से खुषी है कि यह प्रदर्षनी दिल्ली में नए दर्षकों तक पहुंची है और मैं अगले सप्ताह एक आयोजन के षुभारंभ में अपनी उपस्थिति की उम्मीद करता हूं।’’
प्रदर्षनी के उद्घाटन के मौके पर अनेक गणमान्य सख्षियत मौजूद थे जिनमें भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एसक्विथ, मुख्य डाक महानिदेषक (दिल्ली क्षेत्र) श्री एल. एन. षर्मा, ब्रिटिष संग्रहालय के निदेषक डाॅ. हार्टविग फिषर, सीएसएमवीएस के महानिदेशक श्री सब्यसाची मुखर्जी प्रमुख हैं।
माननीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा और सचिव (संस्कृति) श्री राघवेंद्र सिंह हालांकि व्यस्त कार्यक्रमों के कारण इस मौके पर उपस्थित नहीं हो पाए लेकिन उन्होंने इस प्रदर्शनी की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
मुंबई में सफल प्रदर्शनी के बाद इस संग्रहालय में यह महाकाव्यात्मक प्रदर्शनी षुरू हुई जो 7 सप्ताह तक चलेगी। यह प्रदर्शनी भारतीय स्वतंत्रता के 70 साल पूरे होने तथा भारत और ब्रिटेन के बीच प्रमुख सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक वर्ष होने के सिलसिले में आयोजित की गई है। ब्रिटिष संग्रहालय ने इस प्रदर्शनी के लिए सबसे अधिक 124 वस्तुएं प्रदान की है। इनमें से कई वस्तुएं ऐसी हैं जिनका इससे पूर्व कभी भी भारत में प्रदर्शन नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. बी. आर. मणि ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्रदर्शनी ने अपने दिल्ली चरण में नई विशिष्टताओं को पेष किया है जिनमें नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए ब्रेल टैक्टाइल षामिल है ताकि वे इस प्रदर्शनी का मूर्त अनुभव हासिल कर सकें और वस्तुओं के साथ व्यापक संबंध स्थापित कर सकें।
उन्होंने कहा कि नव पुनर्निर्मित राष्ट्रीय संग्रहालय पुस्तकालय ने विद्वानों और इच्छुक आगंतुकों के लिए प्रदर्शनी से संबंधित हिंदी और अंग्रेजी में पुस्तकों का संग्रह अलग कर दिया है।
ब्रिटिश संग्रहालय की ओर से प्रदान की गई प्रतिष्ठित वस्तुओं में से रोमन डिस्कस-थ्रोवर डिस्कोबोलस (द्वितीय एडी), ओल्डुवाई हैंडैक्स, अलेक्जेंडर शैली में मस्तक, एक फिशटेल डैगर और मोजाम्बिक गृह युद्ध में इस्तेमाल की गई मषीन गनों तथा राइफलों से निर्मित 2002 थ्रोन आफ विपंस आदि षामिल हैं।
प्रदर्शनी में विशेष रूप से डिजाइन की गई 9 दीर्घाओं में मुख्य विशय का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं। प्रत्येक वस्तु अतीत के किसी न किसी महत्वपूर्ण काल खंड का प्रतिनिधित्व करती है। ये दीर्घाएं हैं – साझा आरंभ (1,700,000 साल पहले से लेकर 2000 ईसा पूर्व), प्रथम शहर (3000-1000 ईसा पूर्व), साम्राज्य (600 ईसा पूर्व – 200 ईस्वी), राज्य और आस्था (100-750 ईस्वी), दिव्यता का चित्रण (200-1500 ईस्वी), हिंद महासागर के व्यापारी (200-1650 ई्रस्वी), कोर्ट कल्चर्स (1500-1800 ईस्वी), स्वतंत्रता की खोज (1800 से लेकर वर्तमान तक), और टाइम अनबाउंड।
प्रत्येक दीर्घा में, लगभग 6-7 भारतीय वस्तुओं को केंद्र में रखा गया है, और उसी काल खंड से जुड़ी वैश्विक संस्कृति की वस्तुओं से घेरा गया है ताकि वैष्विक संदर्भ में तुलनात्मक रूप देखा जा सके। विभिन्न संस्कृतियों और देषों की वस्तुओं के बीच विभिन्न स्थानों और समय की वस्तुओं के बीच के संवाद प्रदर्षनी में प्रस्तुत कहानियों के सार हैं।
ब्रिटिश संग्रहालय के निदेशक डॉ. हार्टविग फिशर ने कहा कि भारत और विश्व ने वैसी संग्रहालय प्रदर्षनी के नए माॅडल एवं नए दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व किया है जो साझे इतिहास एवं साझे आधार के संदर्भ में वैष्विक परिप्रेक्ष्य में किसी एक संस्कृति को स्थापित करती हैं और इनके बीच की समानता एवं विविधताओं को देखकर इनके संग्रह और विषेशज्ञता की ताकत का अहसास होता है।
उन्होंने कहा, यह एक ऐसा इतिहास है जिसे आप पाठ्यपुस्तकों और विद्यालयों में नहीं पाएंगे। यह इस बारे में बेहतर समझ पैदा करता है कि किस तरह से कोई संस्कृति दूसरी संस्कृति के साथ संवाद करती है और उनके बीच आदान-प्रदान होता है। यह वैष्विक संग्रहालयों के बीच सहयोग के नए चरण एवं नए आयाम को परिलक्षित करता है।
सीएसएमवीएस के महानिदेशक श्री सब्यसाची मुखर्जी ने ‘‘भारत एवं विष्व’’ को वस्तुओं, संस्कृतियों, धर्म और मानव मस्तिश्क के बीच के संवाद के रूप में परिभाशित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनी की नौ दीर्घाओं ने दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाली घटनाओं के संदर्भ में भारतीय इतिहास के नौ गौरवमयी कालखंडों को उजागर किया है।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया में भारत की स्थिति का चित्रण है और यह व्याख्यानों और विभिन्न सांस्कृतिक के बीच के अंतरद्वंदों को समझने का अवसर प्रदान करता है।’’
इस अवसर पर, राष्ट्रीय संग्रहालय ने तीन पुस्तकें जारी की। ये हैं : दिव्यंाबारा (श्रीमती लोतिका वर्द्धराजन द्वारा लिखित राष्ट्रीय संग्रहालय के संग्रह में से परिधानों की उत्कृष्ट कृतियां), कैवाल्यम (डॉ. एस. वी त्रिपाठी एवं पवन जैन द्वारा लिखित राष्ट्रीय संग्रहालय में जैन चित्रकारी) तथा संजीब कुमार सिंह और गुंजन कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखित सिंघु घाटी की सभ्यता का परिचय।
डाक विभाग की ओर से जारी एक विशेष पोस्टल कवर का अनावरण करते हुए, श्री एल. एन. शर्मा ने कहा कि यह प्रदर्शनी 20 लाख साल पहले के भारतीय इतिहास को प्रदर्षित करती है। यह न केवल विभिन्न क्षेत्रों के संबंधों को बल्कि वैश्विक संबंधों को भी प्रदर्शित कर रही है और इस तरह से यह दर्षकों को जीवन भर के लिए एक अद्भुत अवसर और सीखने का महान अनुभव प्रदान करती है।
प्रदर्षनी में राष्ट्रीय संग्रहालय की स्मृति चिन्ह के साथ- साथ टी-शर्ट, डिजाइनर आभूषण और कैनवास बैग भी जारी किए गए।
राष्ट्रीय संग्रहालय की क्यूरेटर और प्रदर्शनी प्रभारी डॉ. अनामिका पाठक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
दो वर्षों की गहन योजना और क्यूरेटोरियल मंथन के बाद तैयार की गई प्रदर्षनी ‘‘इंडिया एंड द वर्ल्ड ’’ को ब्रिटेन और भारत की टीम ने संयुक्त रूप से क्युरेट किया है। ब्रिटिश संग्रहालय के जेरेमी डेविड हिल और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नमन पी आहुजा इसके सह-क्यूरेटर हैं।
प्रदर्षनी में पत्थर के उपकरण, हडप्पा कला में मोहर और मोती बनाने की कला, मुद्रा की डिजाइन, स्क्रॉल पेंटिंग, क्ले मोल्डिंग, अंधाधुंध फोटोग्राफी और मूर्तिकला जैसी शैक्षिक गतिविधियों के प्रदर्षन के अलावा, क्यूरेटोरियल वाॅक एंड टाॅक जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ये सभी आयोजन सभी उम्र और पसंद वाले दर्शकों को ध्यान में रखते हुए किये जा रहे हैं। इनके अलावा कार्यक्रम की वेबसाइट  (https://www.indiaandtheworld.org)  पर थियेटर वर्कषाॅप, निर्देषित पर्यटन, बच्चों के लिए विशयगत वाॅक और और खजाने की खोज तथा ऑनलाइन साप्ताहिक प्रश्नोत्तरी जैसे आयोजन भी किये जा रहे हैं।
प्रदर्शनी की एक विशेष विशेषता इसकी टैक्टाइल प्रदर्शनी है, जो सहायक उपकरण के साथ दर्शकों को एक बहु-संवेदी अनुभव प्रदान करती है। इस पहल के लिए, राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सेस फाॅर आॅल, दिल्ली आर्ट गैलरी और रेडियो मिर्ची के साथ सहयोग कर रहा है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, टाटा ट्रस्ट्स, गेटी फाउंडेशन और न्यूटन भाभा फंड के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी सोमवार और सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर 30 जून तक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगी।

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