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नमस्ते थाईलैंड फेस्टिवल ने संगीत और सांस्कृतिक एक्स्ट्रा वेगेंजा से दिल्ली वासियों को किया मंत्रमुग्ध

दिल्ली। दिल्ली में आयोजित नमस्ते थाईलैंड फेस्टिवल 2019 का आज समापन हो गया है। दिल्ली के सेलेक्ट सिटीवॉक में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत सांस्कृतिक व संगीतमय प्रस्तुतियों ने लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिसका लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहाँ पहुंचे। रॉयल थाई एम्बेसी द्वारा की गई इस अनोखे समारोह का उद्घाटन भारत में थाईलैंड के राजदूत माननीय श्री चुतिनतोरन गोंगसाकडी ने 15 मार्च को किया। इस दौरान भारत में वियतनाम के राजदूत माननीय श्री टॉन सिन थान और भारत में म्यान्मार के राजदूत श्री मो क्याव ऑन्ग भी उपस्थित रहे।
भारत में थाईलैंड के राजदूत माननीय श्री चितिनतोरन गोंगसाकडी ने कहा कि, “महोत्सव के ये तीन दिन बड़े ही रोचक रहे और हमने यह महसूस किया कि इस साल महोत्सव में पिछले साल के मुकाबले अधिक संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। भारत और थाईलैंड के बीच एक अच्छा और शांतिपूर्ण द्विपक्षीय सम्बंध है। हमेँ बेहद खुशी है कि ये सम्बंध और प्रगाढ हो रहे हैं। हमारे मध्य 300 से भी अधिक फ्लाइट्स चल रही हैं और ये यात्राएँ यह दर्शाती हैं कि हमारे मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान कितना अधिक है। पिछले साल हमारे यहाँ 1.6 मिलियन भारतीय टूरिस्ट पहुंचे थे और 2020 तक इस संख्या के 2 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान हैं, जिस लक्ष्य को हम इसी साल पूरा कर लेने के लिए तैयार हैं। वर्ष 2030 तक हम यह उम्मीद करते हैं कि भारत से 10 मिलियन टूरिस्ट थाईलैंड पहुंचेंगे। 2017-2018 में हमारे व्यापार में 30ः तक का इजाफा हुआ है जो कि 12 बिलियन के आस-पास है, लेकिन हमे अब भी बहुत कुछ हासिल करना है।“
महोत्सव में प्रस्तुत विविधताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाने के लिए हर आयुवर्ग के लोग यहाँ पहुंचे। कपल्स ने जहाँ थाईलैंड के परम्परागत परिधानों को धारण करके फोटो शूट कराए वहीं बच्चे और युवा महिलाओं ने बॉडी आर्ट और टैटू को बेहद सराहा, और अपनी बाहों व कलाई पर इसे पेंट कराया। भारतीय दर्शकों को थाई संस्कृति से रूबरू कराने के लिए कई स्टेज कार्यक्रम भी पेश किए गए, जहाँ थाई संस्कृति के बारे में भारतीयों की जागरूकता को भी परखा गया। और यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि बहुत सारे लोगों ने थाई क्विज में पहली ही बार में बेहद उपयुक्त जवाब दिए और विजेताओं की खुशी देखने लायक थी।
थाई कलाकारों के द्वारा दी गई बेहतरीन प्रस्तुतियों, जिसमें उन्होंने थाई परिधान पहने हुए थे, दर्शकोँ को अपनी पेशकश से मंत्रमुग्ध कर दिया, प्रस्तुत कथानकों में रामायण भी शामिल था। और एक्शन से भरपूर मार्शल आर्ट की पेशकश, जिसे बेहद खूबसूरती से कोरियोग्राफ किया गया था, ने लागांे को मंत्रमुग्ध कर दिया। मिरेकल ऑफ सियाम, जो कि स्टेज पर नृत्य के जरिए एक पैराणिक यात्रा है की प्रस्तुति है, ने यहाँ आए लोगोँ का मूड बना दिया। इस प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने दर्शकोँ को एक दैविक यात्रा की अनुभूति करा दी।
पहले इस फेस्टिवल का सबसे अधिक जोर दोनो देशों के बीच एक दूसरे के भोजन, संस्कृति और कला के लिए प्रेम पर रहता था वहीं भारत में थाईलैंड के राजदूत माननीय श्री चुतिनतोरन गोंगसाकडी के अनुसार, “हम यह भलीभांति जानते हैं कि दोनो देशों के लोगों के बीच एक-दूसरे की संस्कृति को लेकर बेहद लगाव है और अब हम इसके जरिए राजनैतिक और आर्थिक सम्बंधों की नीव को और प्रगाढ़ बनाना चाहते थे। यह प्रगाढता व्यापार और पूंजीनिवेश से कहीं बढ़कर है। नमस्ते थाईलैंड लोगों के लिए जो अनुभव लेकर आया वह सबसे अधिक थाईपन का है। अगर भारतीय थाई संस्कृति से अधिक परिचित होंगे तो वे और अधिक संख्या में हमारे देश में आना चाहेंगे। भारत के बारे में थाईलैंड के लोगों की सोच में भी बदलाव आ रहा है। यह महोत्सव दोनो देशों की सांस्कृतिक प्रगाढ़ता को एक बेहतरीन दिशा देने के क्षेत्र में एक पहल है।“
कार्यक्रम के दौरान भारत में थाईलैंड के राजदूत माननीय श्री चुतिनतोरन गोंगसाकडी को स्टोव के पास लकडी की कड़छी हाथ में लेकर व्यंजन बनाते हुए भी देखा गया, क्योंकि वे थाईलैंड के बेहतरीन व्यंजन बनाकर कुकिंग को लेकर अपनी प्रसिद्ध प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे थे, जो यहाँ आने वाले लोगोँ के लिए एक बेहतरीन अनुभव था। यहाँ आने वाले बहुत सारे लोगों ने अपने कंधों और गर्दन में दर्द का इलाज थाई मसाज के जरिए करवाया । महोत्सव में लगाए गए 28 से भी अधिक दुकानोँ ने न सिर्फ थाईलैंड की चीजें भारतीयों तक पहुंचाई बल्कि थाईलैंड की व्यस्त सडकोँ पर शॉपिंग के नजारे को भी यहाँ पेश किया।
परम्परागत थाई संगीत और आधुनिक जैजके साथ एशिया 7 बैंड की प्रस्तुति ने शाम की समाँ को बेहद रंगीन बना दिया। जब यह तीन दिवसीय फेस्टिवल अपने समापन की ओर पहुंच रहा था तब दिल्ली वाले थाई अनुभव को और लम्बा किए जाने की चाह दिखाने से खुद को रोक नहीं पा रहे थे।

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