’कातिलों को सज़ा देकर अदालत ने हमारे साथ इन्साफ किया’ – परिवारजन
नई दिल्ली। मार्च 2016 में गाय के नाम पर झारखण्ड के लातेहार जिले में हमारे परिवार के दो युवकों को मार दिया गया था। तथाकथित गौरक्षकों ने मारने के बाद इन दोनों की लाश को पेड़ से लटका दिया था। अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा देकर हमारे साथ इन्साफ किया। इस फैसले से हमारा भारतीय न्याय व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है। ये बाते आज दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में मारे गए युवकों के परिवारजनों ने कही। इस जीत के लिए हम मीडिया का शुक्रिया अदा करते है। जिसने इस मामले को कभी मरने नहीं दिया। साथ ही हम कानूनी लड़ाई में शुरू से लेकर आखिर तक हमारा साथ देने वाले संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का भी शुक्रिया अदा करते है। आज इस पत्रकारवार्ता का मकसद ये है कि जो हमारे साथ हुआ वो किसी और के साथ न हो।
सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा करें। मृतक मजलूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबी और भाई अफजल अंसारी ने कहा कि घटना के बाद से हम लोगों पर कई मुसीबत आई। मृतक मजलूम अंसारी परिवार का अकेला कमाने वाला था।उसकी हत्या के बाद परिवार पूरी तरह बिखर गया। पांच मासूम बच्चों के सर से उनके पिता का साया उठ गया।मजलूम अंसारी पर सिर्फ अपने परिवार की ही देखरेख की जिम्मेदारी नहीं थी, बल्कि वो अपने सास ससुर का भी सहारा था। सायरा बीबी ने बताया कि वो अपने माता पिता की इकलोती बेटी है, उसका कोई भाई नहीं है ऐसे में शादी के बाद से बूढ़े माँ बाप की जिम्मेदारी भी उसके पति मजलूम अंसारी पर थी। हत्या के बाद बच्चो के साथ साथ बूढ़े माँ बाप का सहारा भी खत्म गया। मैं कोई काम नहीं करती हूँ ऐसे में परिवार को बहुत तकलीफ उठाना पड रहा है। खुद का घर नहीं है।अभी माँ बाप के साथ उनके घर में रहती हूँ और बड़ी मुश्किल से गुजारा कर रही हूँ। भाई अफजल अंसारी ने बताया कि उनका भाई बहुत मेहनती और ईमानदार था।अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाता था। उसकी हत्या के बाद कारोबार बन्द हो गया। मृतक इम्तियाज खान के पिता आजाद खान और माँ नजमा बीबी ने बताया कि हमारा बेटा सिर्फ तेरह साल का था जब उसे मार दिया गया उसने अभी तो घर से निकलना शुरू ही किया था। इम्तियाज बड़ा मेहनती था। कत्ल के वक्त वो छठी कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई के साथ साथ अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाता था। डर और दहशत से पूरा कारोबार बन्द करना पड़ा।अभी परिवार की आर्थिक स्थित बहुत खराब हो गई है। इसी डर से छोटे बेटे ने स्कूल जाना छोड़ दिया है, कहता है कि जिन लोगों ने भाई को मार दिया है वो मुझे भी मार देंगें। छः भाई बहनों में इम्तियाज मंजला था, जिसे सभी घरवाले मोहब्बत करते थे। पिता आजाद खान ने कहा कि अभी थोड़ी सी खेती है बस उसी से घर चल रहा है। माँ नजमा बीबी ने कहा कि दो बेटियां शादी के लायक हो गई है उनकी शादी करना है। लेकिन पैसों की कमी के चलते शादी के बारे में नहीं सोच पा रहे हैं।
परिवारजनों ने कहा कि हम झारखण्ड हाईकोर्ट से मांग करते हैं कि जिस तरह गाय के नाम पर मारे गए रामगढ़ के अलीमुद्दीन केस में सजा पाये आरोपियों को जमानत दी गई, वैसा मामला हाईकोर्ट हमारे केस में नहीं करे। हमारे रिश्तेदारों को मारने वालो को हाईकोर्ट जमानत न दे। अगर हाईकोर्ट ऐसा करता है तो हमारी जान को खतरा हो सकता है।
हम उन तमाम घर वालो से भी अपील करना चाहते है जिनके बच्चों को गाय के नाम पर पूरे देश में मारा गया है।वो डरे नहीं और मजबूती से इन्साफ के लिए खड़े रहे।किसी भी कीमत पर इन्साफ की लड़ाई को नहीं छोड़े अगर वो ऐसा करते है तो उनको भी इन्साफ जरूर मिलेगा। हम लोग गरीब राज्य झारखण्ड के एक छोटे से गांव में रहने वाले गरीब और अनपढ़ लोग है लेकिन हमने इन्साफ पाने के लिये कोई समझौता नहीं किया।
परिवारजनो ने कहा कि सरकार की तरफ से उनको कोई उचित मुआवजा नहीं मिला है। लातेहार के एसपी और कलेक्टर कई बार एक लाख रुपए का चेक देने हमारे पास आये लेकिन हमने नहीं लिए क्योंकि जो रकम सरकार हमे दे रही थी वो बहूत कम थी। इस मुआवजे से सरकार हमारी इन्साफ की लड़ाई को रोकना चाहती थी। क्योंकि अब आरोपियों को सजा हो चुकी हैं और साबित हो चुका है कि बेदर्दी के साथ हमारे घरवालों को जान से मारा गया है। हम सरकार से अपील करते है कि वो हमें उचित मुआवजा के साथ-साथ दोनों परिवार के एक एक सदस्य को सरकारी नोकरी भी दे ताकि बच्चो को सही से पाला जा सके और जिन्दगी की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
पत्रकारवार्ता को सम्बोधित करते हुए अधिवक्ता सैफान शेख ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने मृतक मजलूम अंसारी की पत्नी सायरा बीबी और मृतक इम्तियाज के पिता आजाद खान की तरफ से हाईकोर्ट रांची में उचित मुआवजे के लिए रिट फाइल कर दिया था। हाईकोर्ट ने झारखण्ड स्टेट लीगल सर्विस ऑथोरिटी(झालसा) को जांच के बाद उचित मुआवजा देकर कोर्ट में सुचना देने का आदेश दिया था। लेकिन झालसा ने लापरवाही करते हुए बगैर उचित कारण के अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की हैं। अब हम लोग अदालत के आदेश की अवमानना के खिलाफ याचिका दाखिल करेंगे। हमारे आवेदन पर हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी नोकरी के लिए अलग रिट पीटिशन दाखिल करें। अगर आरोपी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करते हैं तो हम कानूनी तरीके अदालत में इसका विरोध करेंगे।
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद हंजला शेख ने कहा कि हम लोग 2016 में घटना के तीसरे दिन परिवार वालो से मिले थे और उन्हें कानूनी मदद का भरोसा दिलाया था। शुरुआत से लेकर फैसला होने तक हमने हर अदालती करवाही पर नजर रखी। हमारे संगठन ने परिवारजनों को लगातार मुलाकात करके उनके हिम्मत और हौंसले को कभी कमजोर होने नहीं दिया। आगे भी अगर कोई कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो संगठन हमेशा इनके साथ खड़ा रहेगा।