लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

तम्बाकू के सेवन से बढ़ रही हैं गंभीर हृदय समस्याएं

हर साल तंबाकू और धूम्रपान से लाखों जिंदगियाँ बरबाद हो रही हैं। दुनिया भर में तंबाकू का इस्तेमाल अकाल मृत्यु और बीमारी का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 1 अरब लोग धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करते हैं जिनमें से आधे प्रतिशत लोगो की सामान्य उम्र से पहले मृत्यु होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 60 लाख लोग हर साल तम्बाकू के सेवन से मर रहे हैं। भारत की यह संख्या तकरीबन 10 लाख प्रति वर्ष है। इस बार वल्र्ड नो तंबाकू दिवस की थीम “तंबाकू और हृदय रोग” रखी गई है। इससे अभिप्राय है कि वर्ल्ड स्तर पर तंबाकू के कारण पैदा होने वाली हृदय और इससे जुडी अन्य गंभीर समस्याओं से लोगों को अवगत किया जाए। इसके लिए सरकार और आम जनता दोनों को ऐसे कदम उठाने चाहिएं जिससे विश्वस्तर पर तम्बाकू के कारण हृदय को होने वाले जोखिम को कम किया जा सके।
डॉ. ज्ञानदीप मंगल, सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट बताते हैं अनुमानत: 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस, इन्फिसिमा एवं 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है। भारत में जितनी तेजी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है की हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जाने खतरे में हैं। तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड, और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं। और यह सभी पदार्थ स्वास्थ के लिए जानलेवा हैं।
धूम्रपान और धुँए रहित (तंबाकू चबाना) दोनों ही समान रूप से जानलेवा हैं। लोग धूम्रपान या तो स्टाइल या फिर स्टेटस के लिए शुरू करते हैं पर तंबाकू आपके फेफड़ों पर हमला करता है और हृदय और रक्त धमनियों में ऑक्सीजन के आवागमन में बाधा डालता है। इतना ही नहीं तम्बाकू प्रजनन क्षमता को भी कमजोर कर सकता है। तंबाकू शारीर में कैंसर जेसी जानलेवा बीमारी को भी सीधा न्योता देता है।” बताते है डॉ अंशुमन कुमार, निदेशक, सर्जिकल ओन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल।
4000 रसायनों में से तंबाकू में 70 आईएआरसी समूह 1 कैंसरजन हैं, जो मुंह के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, ग्रासनली, अग्नाशय, मूत्राशय आदि में कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं। आपके द्वारा उपभोग किए जाने वाले तंबाकू की ब्रांड या प्रकार को देखकर कभी गुमराह न हों कि यह आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता। विश्वास कीजिए, तम्बाकू का सेवन हर हाल में आपको नुकसान पहुंचाता है” डॉ अंशुमन ने कहा।
तंबाकू के घातक प्रभाव
तंबाकू कैंसर का कारण बनता है :- तंबाकू का सेवन श्वसन तंत्र के कैंसर, फेफड़े, संपूर्ण ऊपरी जठरांत्र संबंधी, यकृत (लीवर), अग्न्याशय, गुर्दा, मूत्राशय, मौखिक कैविटी (गुहा), नाक कैविटी (गुहा), गर्भाशय ग्रीवा, आदि समस्याओं से जुड़ा होता हैं। धुंआ रहित तंबाकू (तंबाकू,चबाना और सूंघनीध्नसवार आदि) मौखिक कैविटी (गुहा) कैंसर का प्रमुख कारण है।
तंबाकू मुंह और दांत की समस्याओं का कारण बनती है :- एक व्यक्ति जितना ज्यादा तंबाकू चबाता है, उसको श्वेतशल्कता होने की उतनी ही अधिक संभावना होती है। तंबाकू दांतों में दाग और बुरी सांस का कारण भी बनता है। यह गम टिश्यू को भी नष्ट कर देता है।
हृदय रोग- धूम्रपान आपकी धमनियों की परत को नुकसान पहुंचाता है जिससे वसायुक्त पदार्थ (एथेरोमा) का निर्माण होता है और धमनी सिकुड़ जाती है। इससे एनजाइना, दिल का दौरा या स्ट्रोक की आशंका बढ़ सकती है। तंबाकू धुएं में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड आपके रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है। इसका मतलब है कि आपके दिल को शरीर में ऑक्सीजनआपूर्ति करने के लिए बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है।
श्वसन रोग (Respiratory Diseases)- मौखिक तम्बाकू में कम से कम 28 रसायन होते हैं जो कैंसर (कैंसरजनक) का कारण बनते हैं। इनमें से सबसे हानिकारक तंबाकू-विशिष्ट नाइट्रोसामाइन्स हैं, जो फेफड़ों में कैंसर के लिए जाने जाते हैं।
डॉ. पंकज सयाल, सीनियर कंसलटेंट, पल्मोनोलोजी, पी.एस.आर.आई. हॉस्पिटल बताते है तंबाकू और निकोटिन की लत छुड़ाने के लिए उपचार
उचित इलाज के साथ, तंबाकू की लत को प्रबंधित जरूर किया जा सकता है। परन्तु अन्य नशे की लत की तरह, तंबाकू की लत वास्तव में पूरी तरह से ‘ठीक हो’ यह नहीं कहा जा सकता है। असल रूप में किसी भी लत को अपनाना या छोड़ना इंसान के अपने दृढ़ संकल्प पर है। व्यक्ति चाहे तो वह इस लत से छुटकारा पा सकता है। कुछ चीजे आपकी सहायता अवश्य कर सकती है जैसे :-
निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT) :- यह थेरेपी पैच के रूप में भी जानी जाती है। इसमें एक छोटा सा, पट्टी की तरह स्टीकरध् पैच होता है उसको उपयोगकर्ता के हाथ या पीठ पर लगाया जाता है। पैच शरीर में निकोटिन की छोटी खुराक पहुंचाता है जो धीरे-धीरे लत छुड़ाने में मदद करता है।
निकोटिन गम:- निकोटिन गम धूम्रपान और तम्बाकू चबाने की लत को छुड़ाने में उपयोगकर्ताओं की मदद करता हैं। यह भी छत्ज् का दूसरा रूप है।जिन्हें तम्बाकू चबाने की लत होती है उनको आदत होती है की उनके मुंह में कुछ न कुछ चबाने के लिए हो, ऐसे में व्यक्ति को निकोटिन गम खिलाने से उसका लत से ध्यान हट जाता है। उपयोगकर्ता की हुड़क के प्रबंधन में मदद करने के लिए निकोटिन गम भी निकोटिन की छोटी खुराक शरीर में पहुंचता है
स्प्रे या इनहेलर :- निकोटिन स्प्रे और इनहेलर भी तम्बाकू और सिगरेट की लत छुड़ाने में निकोटिन की कम खुराक देकर मदद करता है। डॉक्टर्स के अनुसार यह उपचार का एक अच्छा विकल्प है।
दवाएं :- कुछ डॉक्टर्स अवसादरोधी दवाएं (antidepressants)  या उच्च रक्तचाप की दवाएं लेने की सलाह भी देते हैं इसके अलावा निकोटिन लोजेन्ज और सब -लिंगुअल टेबलेट्स भी नशे की लत वाले व्यक्ति की हुड़क रोकने के प्रबंधन में मदद करने में सक्षम होती हैं।
मनोवैज्ञानिक और व्यवहार उपचार :- तंबाकू नशा उन्मूलन के प्रबंधन हेतु बहुत सारी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। कुछ तंबाकू उपयोगकर्ताओं को हिप्नोथेरेपी, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, या न्यूरो भाषाई प्रोग्रामिंग(NLP) जैसे तरीकों से तम्बाकू की लत छुड़ाने में सफलता मिली है।
तम्बाकू है इनफर्टिलिटी के लिए भी जिम्मेदार
डॉ श्वेता गुप्ता क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट- फर्टिलिटी सॉल्यूशंस, मेडिकवर फर्टिलिटी के अनुसार, तम्बाकू के सेवन से स्त्री-पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। पुरुषों की गिरती प्रजनन क्षमता के लिए धूम्रपान को जिम्मेवार ठहराया जा सकता है क्योंकि धूम्रपान करने से न केवल पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी को क्षति पहुँचती है बल्कि उनके स्पर्म की संख्या में भी कमी आ जाती है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति यदि निःसंतान है तो तम्बाकू का सेवन इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि स्मोकिंग की वजह से लोगों में 30 प्रतिशत इनफर्टिलिटी होने की सम्भावना और महिलाओं को मिस्कैरिज (गर्भपात) का खतरा भी बढ़ जाती है। स्मोकिंग करने से न केवल ऑव्यूल को नुकसान पहुँचता है बल्कि समय से पहले मेनोपॉज की भी हो जाती है।

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