लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

ब्रेन ट्यूमर: जल्द पहचान से आसान इलाज

-डॉ. आदित्य गुप्ता
डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी, अग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस
आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
ब्रेन ट्यूमर, आपके मस्तिष्क में एक पिंड या आसामान्य कोशिकाओं का विकास है। ब्रेन ट्यूमर कईं प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं और कुछ कैंसर युक्त होते हैं। ब्रेन ट्यूमर आपके मस्तिष्क में विकसित हो सकता है (प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर) या कैंसर की शुरूआत आपके शरीर के किसी दूसरे भाग में हो सकती है और वो मस्तिष्क में फैल सकता है (सेकंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर)। कैंसर के कारण आपके तंत्रिका तंत्र की कार्यवाही कितनी प्रभावित होगी यह इसपर निर्भर करता है कि कैंसर कितनी तेजी से विकसित हो रहा है और किस स्थान पर स्थित है।
– लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के कौन-कौनसे लक्षण दिखाई देंगे वो उसके आकार, स्थिति और उसके विकास की दर क्या है के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसके लक्षणों में सम्मिलित हो सकते हैं-सिरदर्द के पैटर्न में बदलाव होना। सिरदर्द जो धीरे-धीरे अधिक गंभीर होता जाता है, जी मचलाना या उल्टी होना, दृष्टि प्रभावित होना जैसे धुंधला दिखाई देना, चीजें दो-दो दिखाई देना, हाथ या पैर में धीरे-धीरे संवेदना कम होना, संतुलन बनाने में समस्या आना। बोलने में परेशानी होना। रोजमर्रा के कार्यों में भ्रम की स्थिति, व्यक्तित्व या व्यवहार में परिवर्तन। चक्कर आना, विशेषरूप से ऐसे व्यक्ति को जिसे कभी यह समस्या नहीं हो। सुनने में समस्या होना।
– कारण
ब्रेन ट्यूमर तब विकसित होता है जब सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में गड़बड़ी हो जाती है। इस म्युटेशन के कारण विकसित होती हैं और तेजी से विभाजित होती हैं, इनके विकास के कारण आसपास की जीवित कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आसामान्य कोशिकाओं का एक पिंड बन जाता है, जो ट्यूमर का निर्माण करता है। व्यस्कों में, प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर्स, सेकंडरी ट्यूमर की तुलना में कम सामान्य हैं. प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कईं प्रकार के होते हैं। प्रत्येक का नाम उन कोशिकाओं के नाम पर पड़ा जो इसमें शामिल होती हैं। सेकंडरी (मेटास्टैटिक) ब्रेन ट्यूमर वो ट्यूमर है जो शरीर में कहीं ओर विकसित होता है और फिर मस्तिष्क में फैल जाता है। सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर उन लोगों को अधिक होता है, जिन्हें पहले भी कैंसर हो चुका होता है। कोई भी कैंसर मस्तिष्क में फैल सकता है, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर, मैलेनोमा के मस्तिष्क तक पहुंचने के मामले अधिक देखे जाते हैं।
– रिस्क फैक्टर्स
अधिकतर लोगों को जिन्हें ब्रेन ट्यूमर होता है, उसका कारण स्पष्ट नहीं होता है, लेकिन डॉक्टरों ने कुछ रिस्क फैक्टर्स की पहचान की है जो ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ा देते हैं।
– रेडिएशन का एक्सपोजर
जिन लोगों को एक विशेष प्रकार के रेडिएशन जिसे आयोनाइजिंग रेडिएशन का एक्सपोजर मिलता है, उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। आयोनाइजिंग रेडिएशन के उदाहरणों में सम्मिलित हैं कैंसर के उपचार के लिए रेडिएशन थेरेपी और एटॉमिक बम के कारण हुआ रेडिएशन एक्सपोजर।
– ब्रेन ट्यूमर का पारवारिक इतिहास
उन लोगों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है, जिनके परिवार में पहले भी लोग ब्रेन ट्यूमर की चपेट में आ चुके हैं। जिनके परिवार में जेनेटिक सिंड्रोम का पारवारिक इतिहास होता है, उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
– डायग्नोसिस
अगर आपको संदेह है कि आपको ब्रेन ट्यूमर है, आपका डॉक्टर आपको निम्न टेस्टों और प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकता है, जिनमें सम्मिलित हैं-
– न्यूरोलॉजिकल एक्जाम
न्यूरोलॉजिकल एक्जाम में सम्मिलित हैं, दृष्टि, सुनने, संतुलन, समन्वय आदि की जांच। एक या अधिक क्षेत्र में समस्या संभवता क्लु उपलब्ध करा सकती है कि मस्तिष्क का कौन सा भाग ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित है।
– इमेजिंग टेस्ट्स
सामान्यता ब्रेन ट्यूमर को डायग्नोज करने के लिए मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) इस्तेमाल की जाती है।
– कम्प्यूटराइज टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोजीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी)
ब्रेन इमेजिंग के लिए, कभी-कभी दूसरे इमेजिंग टेस्ट जैसे कम्प्यूटराइज टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोजीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी) का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी सलाह आपका डॉक्टर तब देता है जब यह संदेह होता है कि आपका ब्रेन ट्यूमर उस कैंसर का परिणाम है जो शरीर के किसी और भाग में विकसित हुआ है।
– बायोप्सी
आसामान्य उतकों को इकऋा करना और उनकी जांच करना।
– उपचार
ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है, इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकता को भी ध्यान में रखा जाता है।
– सर्जरी
अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है, आपका सर्जन उतने ब्रेन ट्यूमर को निकालेगा जितना संभव हो सकेगा। कुछ मामलों में, ट्यूमर छोटे होते हैं और उन्हें आसपास के मस्तिक के उतकों से आसानी से अलग किया जा सकता है, जिसके कारण सर्जरी के द्वारा इसे पूरी तरह निकालना संभव होता है। दूसरे मामलों में, ट्यूमर को आसपास के उतकों से अलग नहीं किया जा सता है या वह मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है, इसके कारण सर्जरी जोखिम भरी हो जाती है। ब्रेन ट्यूमर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी में कईं जोखिम होते हैं, जैसे संक्रमण और ब्लीडिंग। दूसरे रिस्क इसपर निर्भर होते हैं कि ट्यूमर मस्तिष्क के किस भाग में स्थित है।
रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है। रेडिएशन थेरेपी दो प्रकार से दी जाती है।
– एक्सटर्नल बीम रेडिएशन
इसमें रेडिएशन आपके शरीर के बाहर स्थित मशीन से आते हैं।
– ब्रैकीथेरेपी
बहुत दुर्लभ मामलों में, रेडिएशन को शरीर के भीतर, ब्रेन ट्यूमर के बिल्कुल पास रखा जा सकता है। प्रोटॉन बीम का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के बहुत पास स्थित हो, प्रोटॉन थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी से संबंधित साइड इफेक्ट्स को कम कर देती है। रेडिएशन थेरेपी के साइड इफेक्ट्स इसपर निर्भर हैं कि आपको रेडिएशन के किस प्रकार का और कितना डोज दिया जा रहा है। सामान्य साइड इफेक्ट्स में सम्मिलित है थकान, सिरदर्द, याददाश्त कमजोर पडना और स्कॉल्प पर जलन और खुजली होना।
– रेडियो सर्जरी
यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है। इसमें कैंसरयुक्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है। प्रत्येक बीम इतनी शक्तिशाली नहीं होती है, लेकिन वो बिंदु (ब्रेन ट्यूमर) जहां सभी बीम्स मिलती हैं, बहुत बड़ा डोज प्राप्त करता है। इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर. रेडियो सर्जरी एक ही ट्रीटमेंट में हो जाती है और अधिकतर मामलों में, इसमें उसी दिन घर जा सकते हैं।
– कीमोथेरेपी
इसमें दवाईयों का इस्तेमाल ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है. कीमोथेरेपी की दवाएं, गोली के रूप में ली जा सकती हैं या नसों में इंजेक्शन के द्वारा ली जाती हैं। इसका कितना डोज दिया जाएगा यह ट्यूमर के प्रकार पर निर्भर करता है, इसके कारण जी मचलाना, उल्टी होना या बाल झडने की समस्या हो सकती है। इसे देने से पहले ब्रेन ट्यूमर की कोशिकाओं की जांच की जाती है कि कीमोथेरेपी आपके लिए कितनी सहायक रहेगी। ब्रेन ट्यूमर के प्रकार पर भी यह निर्भर करता है।
– टारगेट ड्रग थेरेपी
टारगेट ड्रग थेरेपी, कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट आसामान्यताओं पर फोकस करती है, इन असामान्यताओं को ब्लॉक कर के कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है।
– स्पीच थेरेपी सेशन
ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग में भी विकसित हो सकता है, जहां से बोलने, सोचने और देखने की क्षमता नियंत्रित होती है। उपचार के बाद आपकी आवश्यकता के आधार पर डॉक्टर आपको स्पीच थेरेपी लेने का सुझाव दे सकता है, इसके लिए स्पीच पैथोलॉजिस्ट का सहारा लिया जा सकता है।
– फिजिकल थेरेपी
मोटर स्किल या मांसपेशियों की शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए फिजिकल थेरेपी के सेशन लिए जाते हैं।
– ऑक्युपेशनल थेरेपी
ऑक्युपेशनल थेरेपी, सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से प्राप्त करने में सहायता करती है।

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