माॅनसून में कैसे करें त्वचा तथा बालों की देखभाल?
-शहनाज हुसैन
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेषज्ञ है तथा हर्बल क्वीन
बरसात का मौसम पुरे यौवन पर है। मानसून के दस्तक देने के साथ है हरियाली भरे वातावरण में माहौल जीवन्त तथा तरोताजा हो जाता है। गर्मी के बीच मानसून की बौछारों का लोग भीगकर स्वागत करते है। बारिश की पहली फुहार से गर्मी से रहत के साथ ही बाताबरण में ठंडक तथा नमी का अहसास होना शुरू हो जाता है। लेकिन मानसून में शरीर में कई तरह के संक्रमण घर कर जाते हैं तथा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता काम हो जाती है जिससे त्वचा तथा बालों सम्बन्धी रोग घर कर जाते है तथा यह मौसम सौंदर्य सम्बन्धी परेशानी का सबब बन जाता है। बारिश के पानी में नहाने से त्वचा चिपचिपी तथा बेजान हो जाती है जिससे मुहांसे, खुजली, जलन तथा लाल दाग घर कर जाते है। लेकिन मानसून में आप अपनी त्वचा तथा बालों की उचित देखभाल करके इस मौसम का बेहतरीन आनंद उठा सकते है।
मानसून के नमी तथा आर्द्रता भरे मौसम में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे शरीर में कीटाणुओं के संक्रमण की वजह से त्वचा तथा बालों की अनेक समस्याओं से जूझना पडता है। मानसून के मौसम में त्वचा को नमी या गीलेपन से बचाने की अत्याधिक आवश्यकता होती है क्येांकि गीलेपन से त्वचा में रोगोें के कीटाणु प्रवेश करते है जिसे त्वचा में जलन, फुन्सी, लाल चकते तथा दाद-खाज आदि बीमारियों का समावेश होता हे। मानसून में त्वचा की देखभाल के लिए आर्युवैदिक सावधानी अपनाना अत्यन्त आवश्यकता होती है।
गर्मियों के शुष्क वातारण के बाद मानसून में आर्द्रता की अत्याधिकता की वजह से तैलीय तथा मिश्रित त्वचा को सौंदर्य की समस्याओं से रूबरू होना पडता है, इस मौसम में तैलीय त्वचा अत्याधिक चिकनी तथा निर्जिव हो जाती है।
त्वचा तथा खोपड़ी पर गीलेपन की वजह से गन्दगी तथा अत्य प्रदूषण वाले तत्व आसानी से जम जाते है। इस मौसम में बाल सामान्यता निर्जिव हो जाते है। बाल शैम्पू के बाद शिथिल हो जाते है तथा अपनी चमक खो बैठते है। इस मौसम में बाल फूल जाते है तथा उलझ कर खुरदरे बन जाते है। मानसून में मौसम के मिजाज को ध्यान में रखते हुए अपनी सौंदर्य दिनचर्या को व्यवस्थित करना चाहिए।
- मौनसून के मौसम में त्वचा को वातावरण में प्रदूषण से बचाए रखने के लिए त्वचा की गहराई से क्लीजिंग की जानी चाहिए।
- मानसून में सप्ताह में फेशियल स्क्रब का सप्ताह में दो बार प्रयोग किया जाना चाहिए। फेशियल स्क्रब को चेहरे पर लगाकर हल्के से गोलाकार मोशन में रगड़ना चाहिए तथा इसके बाद चेहरे को ताजे पानी से धो डालिए।
- तैलीय त्वचा के लिए चावल के आटे में थोड़ा से गुलाब जल मिलाइए जबकि सामान्य तथा शुष्क त्वचा के लिए बादाम को दूध या दही में मिलाइए। अत्याधिक शुष्क तथा संवेदनशील त्वचा के लिए स्क्रब का प्रयोग न करें। मानसून सीजन में अपने चेहरे को बार-बार ताजे साफ पानी से धोइए। आर्द्रता भरे मौसम में फूलों पर आधारित स्किन टाॅनिक या फ्रेशनर काफी मददगार साबित होता है। ताजगी भरा स्किन टाॅनिक बनाने के लिए गुलाब जल को विच हेजल में मिलाकर प्रयोग में लाया जा सकता है।
- विचहेजल दवाईयों की दुकान में आसानी से मिल जाता है। तैलीय त्वचा के लिए गुलाब जल तथा हेजल को बराबर मात्रा में मिलाकर टाॅनिक बनाइए। शुष्क त्वचा के लिए एक भाग विच हेजल में तीन भाग गुलाब जल मिलाकर टाॅनिक बनाइए। इस मिश्रण को एक बोतल में डालकर फ्रिज में रख लिजिए। इस टाॅनिक से काटनवूल पैड की मदद से चेहरे को साफ कीजिए। इससे त्वचा में ताजगी का अहसास होता है तथा त्वचा के छिद्रों को कसने में मदद मिलती है जिससे त्वचा में काले धब्बे, मुंहासे तथा फोड़े-फुन्सियों को रोकने में मदद मिलती है।
- यदि चेहरे पर चकत्ते, मुहांसे, फुन्सी आदि हो तो चेहरे को दिन में दो बार मैडिकेटड साबून या क्लीनिजर से धोना चाहिए तथा इसके बाद चेहरे पर गुलाब जल स्किन टाॅनिक लगाना चाहिए। चन्दन के पेस्ट में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर इसे चेहरे में फाड़ेे-फुन्सी आदि जगहों पर लगाऐ तथा इससे त्वचा को काफी राहत मिलेगी। बरसात के आर्द्रता भरे मौसम में भारी नारिशिंग क्रीम जैसे तैलीय पदार्थो के उपयोग से बचना चाहिए। यदि आपकी शुष्क त्वचा है तो हल्की तरल माईस्चराईजर आपकी मददगार साबित हो सकती है।
मानसून फेस मास्क के लिए 3 चम्मच जेई को अण्डे के सफेद भाग तथा एक चम्मच शहद तथा दही में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लीजिए। यदि आप अण्डे का सफेद भाग उपयोग में नहीं लाना चाहते तो इसके विकल्प के तौर पर गुलाब जल या संतरे का जूस प्रयोग लाया जा सकता है। इस मिश्रण को चंहरे पर लगाकर आधे घंटे बाद इसे साफ ताजे पानी से धो डालिए। इसे सप्ताह में दो बार प्रयोग में लाइए। इस फेसपैक में शुष्क तथा नीबूं पाऊडर तथा संगतरे की छीलन भी मिलाई जा सकती है। आपने यह महसूस किया होगा कि मानसून में आपको बालों में बार-बार शैम्पू करना पड़ता है। यदि आप हल्का शैम्पू प्रयोग करते है तो मानसून में प्रतिदिन शैम्पू का उपयोग किया जा सकता है। इस दौरान थोड़े से शैम्पू का उपयोग करके बालों को ताजे पानी से अच्छे से धो डालिए। बालों की सेहत सौंदर्य तथा फैशन के लिए छोटे तथा घूंघराले बालों की भी नियमित रूप से शैम्पू करने की जरूरत होती है। - यदि आपके बाल अत्याधिक शुष्क न हो तो गाढ़े कंडीशनर का प्रयोग न करें। मानसून में चाय तथा नीबूं का हर्बल हेयर रिंस काफी लाभदायक साबित हो सकता है। प्रयोग की गई चाय पत्त्यिों को खुले पानी में फिर उबाल लें तथा इस पदार्थ को ठण्डा कर लें तथा इसे शैम्पू के बाद बालों को धोने में उपयोग में लाऐ। एक मग पानी में नीबूं जूस मिलाकर इससे बालों को अन्तिम बार धोया जा सकता है।
- शैम्पू करने से पहले आप अण्डे के सफेद भाग को आधा घंटा तक बालों पर लगाकर आधा घंटा बालों को धो लें। इससे बालों को पोष्टिकता मिलती है तथा यह क्लीनंजर का काम करता है तथा बालों में तैलीयपन कम करता है तथा बालों में तैलीयता कम करता है। सप्ताह में एक बार मेंहदी के उपयोग से बालों में पोष्टिकता तथा चमक आती है।
- पसीने तथा तेलों के स्राव से कुछ लोगों की खोपड़ी से दुर्गन्ध आने की समस्या शुरू हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए एक कम मग में नीबूं जूस तथा आधा कप गुलाब जल मिलाइए तथा इससे सिर को धोने से दुर्गन्ध की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
- बरसात के दिनों में अपने बालों को चेहरे से दूर सादा तरीके से रखिए। बालों को अपनी गर्दन से दूर रखिए। इससे आपके हल्केपन तथा ताजगी का अहसास होगा। त्वचा से सटे उलझे हुए बाल काफी भद्दे लगते है।
- मानसून के सीजन में पसीने की वजह से शरीर में तरल पदार्थो की कमी आ जाती है। अपने शारीरिक तन्त्र को साफ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में ताजा साफ पानी, नीबूं पानी नारियल पानी तथा ताजे फलों का जूस पीजिए। इस सीजन में स्टार्चयुक्त भारी खाने से हमेशा परहेज करें। सलाद, फल, अंकुरित अनाज तथा दही को अपनी नियमित डाईट में शािमल करें। गर्म चाय की आदत से बचकर आइस टी, नीबूं जल, शहद आदि का अधिकतम उपयोग करें।
- सौंदर्य केवल बाहरी दिखावा नहीं बल्कि आंतरिक अहसास होता है।