लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

साइलेंट किलर है ऑस्टियोपोरोसिस

(डॉ. योगेश गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट, ऑर्थोपेडिक्स, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट व् डॉ पी पी कोतवाल, सीनियर कंसलटेंट एंड हेड, ऑर्थोपेडिक्स, पी.एस.आर.आई से बातचीत पर आधारित)
ऑस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का कमजोर होना। जिसके तहत हड्डियों का बोन मास कम हो जाता है। स्टियो का अर्थ होता है हड्डी और पोरोसिस का मतलब कमजोर या मुलायम, यानी जिस बीमारी में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, उसे ऑस्टियोपोरोसिस के नाम से जानते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण जल्दी से दिखाई नहीं देते, इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं। साथ ही इसमें दर्दे के अलावा फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है। हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की माने तो भारत की हर तीसरी महिला व पुरुष (जिनकी उम्र 40 से अधिक हो) इस बीमारी का शिकार हो सकते है। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ हड्डियों का कमजोर होना आम बात है। लेकिन हड्डियों आसानी के टूटने के कागार पर पहुंच जाए तो उसे ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। आजकल छोटी उम्र के लोगों में भी यह समस्या बढ़ रही है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण

  • शुरूआत में हड्डियों व मांसपेशियों में हल्का दर्द होना मामूली चोट पर फ्रैक्चर हो जाना।
  • जोड़ों का दर्द।
  • खड़े होने व सीधे बैठने में कठिनाई।
  • सुबह के समय कमर में दर्द होना।
  • हड्डियां का पतली होकर टूटना।
  • पीठ और गर्दन में दर्द होना।
  • बुढ़ापे में शरीर की झुकी हुई स्थिति भी ऑस्टियोपोरोसिस का संकेत है।
  • समय के साथ लगभग 6 इंच तक लम्बाई कम होना।
  • हड्डियों व मांसपेशियों में हल्का दर्द होना।
  • पीठ के निचले हिस्से व गर्दन में हल्का सा दबाव पढ़ने पर तेज दर्द होना।
  • साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस गंभीर या कमजोरी से उत्पन्न होने वाले फ्रैक्चर के खतरों को बढ़ाता है।

कारण

  • महिलायों में यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले अधिक देखने को मिलती है।
  • परिवार में आनुवांशिक कारणों से भी यह अधिक होने की संभावना बढ़ जाती है। थायरॉइड (thyroid) हारमोन की अधिकता से भी ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत बढ़ जाती है।
  • प्रोटीन व कैल्शियम की कमी, विटामिन डी की कमी।
  • बढ़ती उम्र व नींद की गोली लेना, हार्मोनल दवा लेना से भी यह बीमारी हो जाती है।
  • महिलाओं में जल्दी मासिक धर्म बंद होना भी एक कारण है।
  • सामान्य से कम वजन होने से कुपोषण होता है जिससे की ऑस्टियोपोरोसिस होता है।
  • सॉफ्ट ड्रिंक का अधिक सेवन करना व स्मोकिंग करना।
  • व्यायाम ना करना, आलसी व्यक्तियों में यह ज्यादा देखने को मिलता है।
  • डायबीटीज व थॉयरॉइड जैसी बीमारियों का होना। ज्यादा दवाईयों का इस्तेमाल करना।

ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि 40 साल को बाद से ही शारीरिक जांच कराते रहे। जिसके की बीमारियों से होने वाले खतरों का पता चल सके। घूमना, टहलना, रैकेट खेल, सीढ़ियां चढ़ना, प्रतिरोध मशीनों का उपयोग करना, इन सबको रोजमर्रा के जीवन में शामिल करें । इस से ऑस्टियोपोरोसिस के होने का खतरा टाला जा सकते है । अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार पूर्ण सावधानी बरते।

डाइट

  • दूध से बने उत्पाद जैसे की दही, पनीर,खोया आदि का सेवन करे। साथ ही सब्जियों में पालक,बीन्स,ब्रोकली,चुकंदर,कमलककड़ी का सेवन करें।
  • विटामिन डी के लिए सुबह की धूप में जरूर बैठे।
  • गर्भवती व दुग्धपान वाली महिलाओं को कैल्शियम की गोली का सेवन करना चाहिए लेकिन सिर्फ डॉक्टर की सलाह से।
  • शराब व सिगरेट का सेवन ना करें।
  • हफ्ते में पांच व छ दिन व्यायाम करे। जिसमें 30 मिनट शक्ति प्रदान करने वाले कसरत, दोनो प्रकार के व्यायाम सप्ताह में दो से तीन बार करना चाहिये।
  • नमक का सेवन कम करें।
  • सोडा, कॉफी, चॉकलेट का सेवन कम करना चाहिए।
  • धूम्रपान फ्रैक्चर के ठीक होने की प्रक्रिया को धीरे करता है। शरीर में हड्डी बनाने की प्रक्रिया को कम करता है। इसलिए धूम्रपान ना करें।
  • कुछ ऐसी भी दवाईयां है जिससे की ऑस्टिओपोरेसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। जैसी दर्दनाशक कॉर्टिकोस्टेरिड दवा जिम्मेदार मानी जाती है जो हड्डियों को कमजोर बनाती है। इसलिए दवाईयों का सेवन कम करें।
  • शराब से कैल्शियम अवशोषण में कमी आती है जिससे की हड्डियों के निर्माण में सहायक ईस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है। इसलिए शराब का सेवन कम करें।

कुछ आवश्यक सुझाव

  • सेब हड्डियों की सूजन को कम करके उनके घनत्व को बढ़ाता है। इसलिए रोजाना सेब का सेवन करे।
  • नारियल का तेल एंटीऑक्सीडेंट यौगिक हड्डियों के ढांचे को सुरक्षित रखती हैं। इसलिए नारियल के तेल को अपने आहार में शामिल करे।
  • बादाम का दूध में कैल्श्यिम की उच्च मात्रा पायी जाती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस का बेहद अच्छा उपचार है। रोज एक गिलास बादाम वाला दूध नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
  • तिल के बीज को भोजन में शामिल करने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। क्योंकि तिल में भी कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है, जो कि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व है।
  • अनानास (Pine Apple) में मैंगनीज पायी जाती है। जो कि ऑस्टियोपोरोसिस को कम करती है। इसलिए रोजाना खाना खाने से पहले अनानास का सेवन करे। चाहे तो इसे खा सकते है या फिर इसके जूस का सेवन कर सकते है।

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