लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

स्लिप्ड डिस्क का बेहतर उपचार है – पी.ई.डी.

– डाॅ. सतनाम सिंह छाबड़ा
डायरेक्टर, (न्यूरो एंड स्पाइन डिपार्टमेंट, सर गंगाराम अस्पताल)
आजकल लोगों के लिए कमर दर्द भी एक बहुत बड़ी कष्टदायक समस्या बनी हुई है और अब ये दुनिया में एक महामारी का रूप लेता जा रहा है। आज हर उम्र के लोग इससे परेशान हैं और दुनिया भर में इसके सरल व सहज इलाज की खोज जारी है। वास्तव में मनुष्य के शरीर में कमर को सबसे मजबूत भाग माना जाता है व हमारी कमर की बनावट में हड्डियां, कार्टिलेज (डिस्क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट व नसें आदि सभी शामिल हैं। इनमें से किसी के भी विकारग्रस्त होने पर कमर दर्द उत्पन्न हो सकता है। मैकेनिकल कारणों के साथ टी.बी. से लेकर कैंसर तक कोई भी कारण दर्द पैदा कर सकता है। कमरदर्द का शिकार पुरुषों से अधिक महिलाएं होती हैं जिसका मुख्य कारण होता है कमर की मांसपेशियों की कमजोरी। इसका दूसरा कारण है कमर की हड्डियों के जोडों में विकार है। कमर दर्द से जुड़ी बीमारियों के प्रायरू लक्षण हैं-पैरों का सुन्न होना, भारी या कमजोरी का एहसास होना, पेशाब में परेशानी, चलने पर पैरों के दर्द का बढ़ना, झुकने या खांसने पर पूरे पैर में करंट जैसा लगना आदि. कई बार रोगियों की चाल शराबियों जैसे लडखड़ाती चाल हो जाती है। कमर दर्द के कई मुख्य कारण है। ये सभी कारण कई रीढ़ संबंधी बीमारियों को जन्म देती है जैसे-स्पोंडिलाइटिस, सर्वाइकल, टी.बी, कमर में ट्यूमर, स्प्लि डिस्क आदि। स्प्लिड डिस्क इसमें से एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गई है।

परंपरागत इलाज
इस स्प्लिड डिस्क का रोग कमर के अलावा गर्दन में भी हो सकता है। अभी तक पुराने स्प्लिड डिस्क के ऑपरेशन से लोग काफी भयभीत थे, क्योंकि इसमें नसों के कट जाने व अपाहिज हो जाने का डर रहता था. इस बीमारी से निजात पाने के लिए कई शोध किए जा रहे हंै तथा नई-नई आधुनिकताओं ने व कई प्रयोगों ने बहुत सी नवीन तकनीकों को जन्म दिया है इसके अलावा कई दवाइयों के माध्यम से भी इनका इलाज किया जा रहा है। किंतु इन सब के द्वारा बीमारी को जड़ से उखाड़ पाना या पूरी तरह से निवारण कर पाना अभी तक संभव नहीं था।

पी.ई.डी (परक्यूटेनियस इंडोस्कोपिक डिक्सक्टेमी)
यह सर्जरी केवल एक छोटे से छिद्र के द्वारा संभव हो जाती है और इसमें मरीज को बेहोश करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। इस ऑपरेशन में टीवी पर देखते हुए एक चार मिलीमीटर का इंडोस्कोप सुन्न करके डिस्क में डाला जाता है और सी आर्म व टेलीविजन मॉनिटर पर 20 गुणा बड़ी तस्वीर को देखते हुए सूक्ष्म व सफल तरीके से निकाला भी जा सकता है। इसमें अलग से रक्त या ज्यादा दवाइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती. मरीज ज्यादा दिनों तक अस्पताल में भी नहीं रहना पड़ता और सबसे बडी फायदा तो यह है कि मरीज जल्द से जल्द अपने काम पर वापस लौट सकता है। अब लोगों को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्यों कि पी ई डी बेहद आसान व सुरक्षित तरीके से कमर दर्द के मरीजों को उनके मर्ज से निजात दिला सकता है। उनके अनुसार हृदय रोग व गुर्दे और लीवर फेलियर के मरीज या शुगर व सांस जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों में भी यह उपचार मुमकिन है यानी कि बेहोशी की सारी जटिलताओं से मरीज बच जाता है।

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