लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

फैटी लिवर के दौरान लिवर में भी हो सकती है सर्जरी

– डॉ. एस के नगरानी
सीनियर कंसलेंट – मधुमेह और मेटाबोलिक रोग विशेषज्ञ,
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉसिपटल, शालीमार बाग
वर्तमान समय में डब्ल्यूएचओ के अनुमान के हिसाब से दुनिया भर में 1 अरब से अधिक लोगों का वजन ओवरवेट होता है उसमें से कम से कम 300 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। अस्वस्थ मोटे रोगियों में नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीजय एनएएफएलडी का प्रचलन 75 से 100 प्रतिशत तक हो सकता है। आपके लिवर में फैट जमा होने का मतलब है, भविष्य में डायबीटीज होने का खतरा, परंतु इस स्तर पर आपको घबराने की नहीं बल्कि अलर्ट होने की जरूरत है। सिर्फ ज्यादा शराब पीने से ही लिवर खराब नहीं होता। बहुत अधिक सॉफ्ट ड्रिंक्स और डिब्बे वाले जूस पीने वालों में भी लिवर सिरोसिस बीमारी होने की आशंका उतनी ही होती है जितनी शराब पीने वालों में।
कुछ साल में नॉन – अल्कोहलिक फैटी लिवर के मामले भी उतने ही तेजी से सामने आ रहे हैं जितने शराब पीने वालों के आते हैं। शराब नहीं पीने वालों के लिवर में शराब पीने वालों के जैसे लक्षण उभरते हैं, इसे नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज एनएएफएलडी कहा जाता है। मोटापा और डायबिटीज भी एनएएफएलडी के कारण हो सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार 9 से 36 फीसदी मामले इस श्रेणी में आते हैं। भारतीय पुरुषों में इसके होने की संभावना अधिक पाई जा रही है।
आज की परिस्थितयों में नान-एल्कोहलिक फैटी-लीवर डीजीज जिसे एनएएफएलडी भी कहा जाता है लीवर सम्बन्धी परेशानियों का बड़ा कारण है। यह तब तक एक सामान्य अवस्था है जब तक कि यह बढ़कर लीवर में सूजन उत्पन्न कर कोशिकाओं को नष्ट न कर दे। इस कारण लीवर का साइज सामान्य से बड़ा हो सकता है तथा लीवर की सामान्य कोशिकाओं का स्थान डेमेज्ड कोशिकाएं ले सकती हैं जो आगे चलकर लीवर सिरोसिस, लीवर फेलियर एलीवर कैंसर या लीवर के बीमार होने के कारण होने वाली मृत्यु का कारण बन सकता है। प्रारम्भिक अवस्था में इसमें कोई खास लक्षण उत्पन्न नहीं होते है। कभी-कभी पेट की दाहिनी और एक हल्का दर्द महसूस होता है एजो लीवर में फैट् की वृद्धि के कारण उत्पन्न होता है। कालांतर में यह बढ़ते हुए लीवर सिरोसिस की स्थिति उत्पन्न कर देता है जिसे फूले हुए पेट, त्वचा में खुजलाहट, उल्टी, भ्रम, मांसपेशियों में कमजोरी एवं आंखों में उत्पन्न पीलापन से पहचाना जा सकता है। पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, बदहवासी और वजन तेजी से कम होना आदि लक्षण भी होते है।
कुछ परिवारों में आनुवांशिक रूप से देखा जाता है और कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आता है। हां मध्य आयु वर्ग या मोटे लोगों में अचानक इसकी पहचान हो जाती है। अत्यधिक दवाओं के सेवनए वायरल हीपेटायटिस अचानक वजन कम होने एवं कुपोषण के कारण भी यह उत्पन्न हो सकता है। हाल के कुछ अध्ययन अनुसार आंतों में कुछ विशेष प्रकार के जीवाणुओं की वृद्धि भी नॉन एल्कोहलिक फेट्टी लीवर डीजीज का कारण बन सकती है।
इसके अलावा ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक्स लेने वालों में लिवर की बीमारियां होना चिंता का विषय है। एनएएफएलडी के अधिकांश मामलों में लोग शुगर का सेवन अधिक करते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स या पैकेट वाले जूस के साथ रोजाना कम से कम 12 चम्मच शुगर शरीर में जाती हैए जो लगभग 31 ग्राम बनती है, इसका मतलब है कि जिस रफ्तार से देश में डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे हैं, एनएएफएलडी के मामले भी तेजी से बढ़ते जाएंगे।
क्या है इसकी जांच प्रक्रिया :
रक्त जांच
अल्ट्रासाउंड
एमआरआई
सिटी स्कैन
लीवर बायोप्सी
आधुनिक उपचार
फैटी लिवर का सबसे ज्यादा खतरा ओवरवेट मोटापा और डायबिटीज से होता है। इसलिए डायबिटीज होने या वजन बढ़ने पर समय समय पर मरीजों को लिवर फक्शन टेस्ट कराते रहना चाहिए। जैसे ही लिवर में चर्बी के लक्षण दिखे तो सतर्क हो जाना चाहिए. तुरंत विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। खानपान व जीवनशैली को नियंत्रित करना चाहिए। नियमित व्यायाम और प्राणायाम आदि भी आपके उपचार में मददगार सिद्ध होंगे।
फैटी लिवर का पता लगने के बाद वजन सामान्य करने पौष्टिक आहार लेने जिसमें खूब सारे फल और सब्जियां शामिल हो नट्स और ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल हर दिन 30 मिनट की एक्सरसाइज करने और अपनी मर्जी से कोई भी दवा लेने से बचने की सलाह दी जाती है। यदि शुरुआती दौर में इसका पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है, बाद में धीरे-धीरे लिवर सिरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यदि एक बार सिरोसिस हो जाए तो उसके बाद यह बीमारी लाइलाज हो सकती है। कई बार नीडल बायॉप्सी की भी जरूरत होती है। केवल वजन कम करने और बेहतर मेटाबोलिक प्रोफाइल के लिए ही बैरिएट्रिक सर्जरी नेतृत्व नहीं करता है, बल्कि यह नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में भी सुधार कर सकता हैं।
बैरिएट्रिक सर्जरी कई लोगों के लिए संजीवनी बन गया है यह प्रक्रिया मोटापे से संबंधित स्थितियों में सुधार करने से जुड़ा हुआ है। विशेषज्ञों ने नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज पर बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रभाव को देखकर ही उस प्रवृत्ति पर निर्माण किया गया। बैरिएट्रिक सर्जरी वजन कम करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है यदि जीवन शैली संशोधनों और औषधीय चिकित्सा लंबे समय तक सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है।
बैरिएट्रिक सर्जरी एक प्रभावी उपचार विकल्प है उनके लिए जो निहायत मोटे और मोटापे से संबंधित मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी से जुड़े होते हैं। वर्तमान प्रमाण से पता चलता है कि इन रोगियों में बैरिएट्रिक सर्जरी से स्टेएटॉसिस यकृत में सूजन और फाइब्रोसिस के ग्रेड में कमी की जा सकती है। बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद मीन एक्सेस वेटलॉस 60 प्रतिशत स्टेएटॉसिस 84 प्रतिशत लुप्त होता है और फाइब्रोसिस रोगियों में 75 प्रतिशत नष्ट होता है। हेपैटोसेलुलर बैलुनिंग 50 प्रतिशत नष्ट होते है।

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