उम्र बढ़ने के साथ बढ़ जाता है गर्भपात का खतरा
कईं अध्य्यनों में उम्र बढ़ने के साथ गर्भपात का खतरा बढ़ने की बात कही गई है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है क्रोमोसोम में खराबी आने से असामान्य-अंडों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है. इसके परिणामस्वरूप गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है, इसके साथ ही गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है। क्रोमोसोम में आसामान्यता क्यों आ जाती है इसके स्पष्ट कारण पता नहीं हैं! हालांकि अनुसंधानों ने इससे संबंधित कुछ मुद्दों को स्पष्ट किया है। अंडे जितने पुराने होंगे उनके स्पिंडल उतने ही आसामान्य होंगे-और असामान्य क्रोमोसोम के कारण आसामान्य अंडो के विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। उम्र बढने के कारण अंडों की गुणवत्ता प्रभावित होती है इससे निषेचन के बाद अंडों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, कुछ अपवाद भी होते हैं कुछ महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता 20 या 30 साल में ही खराब हो जाती है तो कुछ महिलाओं की 43 साल की उम्र तक भी बरकरार रहती है. हालांकि एक औसत महिला की अंडों की गुणवत्ता उम्र बढने के साथ कम हो जाती है।
पुरुष की आयु और गर्भपात
गर्भपात के लिये पुरुष की आयु अधिक महत्व नहीं रखती है इसके कईं कारण हैं जन्म के समय महिलाओं के पूरे अंडे मौजूद होते हैं इनमें विभाजन या पुनः वितरण नहीं होता है, जबकि यौवनावस्था प्राप्त करने के पश्चात् शुक्राणुओं का लगातार निर्माण होता रहता है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता थोड़ी प्रभावित होती है, लेकिन आमातौर पर एक स्वस्थ्य अंडे से निषेचन के पश्चात् यह भ्रूण की गुणवत्ता को अधिक प्रभावित नहीं करती है। पुरुष की आयु जो भी हो हो अगर महिला की उम्र 20-29 वर्ष के बीच होती है, गर्भपात का खतरा अधिक नहीं होता है, जब महिला की उम्र 30-34 वर्ष के बीच हो और पुरुष की आयु 40 वर्ष या उससे अधिक हो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। 35 पार की महिलाओं में गर्भपात का खतरा और अधिक होता है. अगर महिला की उम्र 40 वर्ष से अधिक और पुरुष की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो, तो युवा दंपत्ति की तुलना में गर्भपात का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है। गर्भवती महिला की आयु और गर्भपात की दर कईं अध्ययनों के पश्चात् यह आंकड़े प्राप्त हुए हैं।
40 की उम्र में गर्भपात कराना कितना सुरक्षित
चालीस तक आते-आते परिवार पूरी तरह सेटल हो जाता है और बच्चे भी बड़े हो जाते हैं ऐसे में गर्भवती होने की खबर एक शॉक के समान हो सकता है। ऐसे में गर्भपात का निर्णय लेना जरूरी लेकिन कठिन हो जाता है, यह सही निर्णय होता है लेकिन आसान नहीं। 30-35 की उम्र में गर्भपात कराने की तुलना में 40 पार के लोगों के लिये यह अधिक रिस्की होता है। यह एक अत्यधिक जाना हुआ तथ्य है कि उम्र बढ़ने के साथ गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. अधिकतर लोगों का मानना है कि मां के अधिक उम्र का होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता दोनों की उम्र का गर्भपात से सीधा संबंध है।
40 पार की महिलाओं में बढ़ते गर्भपात के मामले
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मातृत्वी में देरी न करें, क्योंकि तीस की उम्र पार करने के बाद फटिर्लिटी कम हो जाती है और यह संदेश का इतना प्रसार हो चुका है कि बहुत सारी महिलाएं यह मानने लगी हैं कि गर्भनिरोधक उपायों की अनदेखी करना सुरक्षित है इसलिये उन महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो 40 के बाद गर्भपात कराती हैं. आईवीएफ के बढ़ते चलन ने भी इस धारणा को मजबूत किया है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता तेजी से कम हो रही है। 30 के बाद प्रजनन क्षमता कम हो जाती है लेकिन इतनी कम भी नहीं हो जाती कि आप गर्भ निरोधक उपायों को नजरअंदाज कर दें, जो महिलाएं गर्भवती नहीं होना चाहती, उनके लिये संदेश स्पष्ट है कि गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल करें जब तक कि वो मोनोपॉज की आयु पार नहीं कर लेती। 40 से अधिक उम्र की हर दस महिलाएं जो गर्भपात कराने का विकल्प चुनती हैं उनमें से चार किसी गर्भ निरोधक का इस्तेामाल नहीं करती हैं।
बढ़ती उम्र और प्रजनन क्षमता
सच यह है कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता तब तक समाप्त् नहीं हो जाती जब तक कि वो मेनोपॉज की स्थित तक नहीं पहुंच जाती-वह दिन जब लगातार 12 महीनों तक उन्हें पीरियड्स नहीं आते। तीस की उम्र पार करते ही गर्भधारण की दर धीरे-धीरे कम होने लगती है। 35-40 वर्ष की आयु में यह और तीव्र हो जाता है, 40 की उम्र पार करते ही इस गिरावट में तेजी आ जाती है। हालांकि, 80 प्रतिशत महिलाएं 40-43 साल की उम्र में भी गर्भवती हो सकती हैं, उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता कम होने का सबसे प्रमुख कारण गहरे, कम गुणवत्तर वाले अंडे जिनका आकार अनियमित होता है।
कितना सुरक्षित है आईवीएफ तकनीक
आईवीएफ की सफलता दर 30 की उम्र पार करने के बाद कम होने के बाद कम होने लगती है लेकिन 38 वर्ष के पश्चात् इसमें तीव्र गिरावट आती है। गर्भाश्य की उम्र का इतना प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिये अगर आईवीएफ के द्वारा किसी युवा महिला के अंडों को पति के शुक्राणुओं से निषेचित करके गर्भाशय में स्थापित किया जाये तो गर्भपात की आशंका कम हो जाती है। सफल गर्भधारण में महिला के अंडे की उम्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर आईवीएफ तकनीक में ऐसी महिला के अंडो का उपयोग किया जाए जिसकी उम्र 44 वर्ष से अधिक है तो इसके सफल होने की संभावना केवल 1 प्रतिशत होती है. लेकिन अगर एग डोनर की आयु 30 वर्ष से कम है और अंडा प्राप्त करने वाली की 40 से अधिक तो सफल गर्भधारण की संभावना कईं गुना बढ़ जाती है।
सुरक्षित गर्भपात
90 प्रतिशत गर्भावस्था के 13 सप्ताह तक पहुंचने के पहले किये जाते हैं, गर्भपात जितनी जल्दी से जल्दी कराया जाए उतना ही अच्छा होता है। कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको सभी विकल्पों पर ध्यानन देना चाहिए। मेडिकल इमरजेंसी में ही गर्भपात 24 सप्ताह के बाद किया जाता है। आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं इसका पता लगाने के लिये, आपको गणना आखरी पीरियड के पहले दिन से करना चाहिए. अगर आपको गर्भावस्था के स्पष्ट चरण के बारे में मालूम न हो, तब आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन कराना चाहिए।
गर्भधारण से बचने के लिये क्या करें ?
गर्भधारण सबसे बचने के सबसे प्रचलित तरीकों में गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडीएस, कंडोम, जेलीस और क्रीम प्रमुख हैं. विश्वभर में सबसे अधिक महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन गर्भधारण करने से बचने के लिये करती हैं. जो महिला स्वास्थ्य है, धूम्रपान नहीं करती, उसका रक्त दाब सामान्य है और उसे हृदय से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है तो वह 50 वर्ष की आयु तक भी गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन कर सकती हैं. इसके अलावा एस्ट्रोजन-बेस्ड बर्थ कंट्रोल विकल्प जिसमें नुवा रिंग सम्मिलित है, यह वैजाइना में इंसर्ट की जाती है डायफ्रॉम के समान तीन सप्ताह लगाई जाती है और एक सप्तांह नहीं लगाई जाती है। आईयूडी मिरेना, कॉपर आईयूडी का उपयोग भी गर्भनिरोधक उपायों के रूप में लगातार बढ़ रहा है।
- -डाॅ.नुपुर गुप्ता
निदेशक व कंसलेंट ऑब्स्टट्रिशन एंड गाइनोकोलोजिस्ट, वेल वुमेन क्लीनिक, गुरुग्राम