स्वास्थ्य

एचईएससी थेरेपी : ऑटिज्म का सबसे सुरक्षित इलाज

-डा. गीता शर्राफ
स्टेम सेल विशेषज्ञ, निदेशक, न्यूटेक मैडीवर्ल्ड
पिछले दिनों ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित तीन वर्षीय बच्चे का सफल इलाज एचईएससी थेरेपी से किया गया। एएसडी एक न्यूरो-डेवलपमेंटल डिसआर्डर है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, न्यूरो इंफ्लामेशन होता है और मरीज समाज से अलग-थलग रहने लगता है, बोल कर अथवा हाव-भाव के जरिए लोगों के साथ संवाद ठीक से नहीं कर पाता, उसकी रुचि सीमित हो जाती है और बार-बार आॅब्सेसिब व्यवहार का प्रदर्शन करता है। ‘‘जब उसके माता-पिता ने उसे न्यूटेक मेडिवल्र्ड में भर्ती कराया उस समय उसे ध्यान में कमी, आंख नहीं मिला पाने, किसी से बातचीत नहीं करने, हाथों में थरथराहट, किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाने, खुद कोई काम नहीं कर पाने, और स्पष्ट नहीं बोल पाने आदि समस्याएं थी। रोगी के चिकित्सीय इतिहास से एएसडी का पता चला। उसे स्पीच और ऑक्युपेशनल थेरेपी दी जा रही थी लेकिन उससे कोई खास फायदा नहीं हो रहा था। हमने एसपीईसीटी स्कैन करके उसके मस्तिष्क की जांच की, जिसमें पेरिफेरल सर्कुलेटरी फेल्योर का पता चला जो हाइपोपरफ्यूजन के नाम से जाना जाता है। यह सर्कुलेट करने वाले तरल पदार्थ में कमी के कारण होता है।’’ एएसडी से पीड़ित लोगों में चयापचय और विटामिन डी की कमी होती है। एएसडी के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं जिनमें मातृ एंटीबॉडी का हस्तांतरण, मातृ रक्त में संक्रमण, और भारी धातुओं का संपर्क, प्रसवपूर्व फोलिक एसिड की कमी, आनुवंशिक विकार, खसरा और विद्युत चुम्बकीय विकिरण के संपर्क में आना शामिल हैं। ये कारक सीएनएस, न्यूरो के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। हालांकि इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन एचईएससी के माध्यम से उपचार से रोगी गुणवत्ता पूर्ण जीवन जी सकता है। चूंकि इस रोगी की हालत गंभीर हो रही थी, इसलिए उसकी एचईएससी थेरेपी शुरू की गई। इसे ऑक्युपेशनल और फिजिकल थेरेपी के साथ 4 सत्रों में पूरा किया गया। प्रत्येक सत्र के बाद, हाइपोपरफ्यूजन पर नजर रखने के लिए स्पेक्ट (एसपीईसीटी) स्कैन किया गया। इलाज से रोगी के आई कांटैक्ट, सामाजिक व्यवहार और बोलने में महत्वपूर्ण सुधार दिखाई दिया और वह अपनी बुनियादी जरूरतों को अधिक स्वतंत्र रूप से पूरा करने में सक्षम हो गया। उसकी बोलचाल, सामाजिक जागरूकता में भी सुधार देखा गया और दूसरे सत्र के बाद वह अपने माता-पिता से भावनात्मक रूप से जुड़ गया. स्पेक्ट स्कैन में भी बहुत कम हाइपोपरफ्युजन देखा गया और मस्तिष्क के प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। दूसरा और तीसरा चरण किसी दुष्प्रभाव के बगैर प्रभावित क्षेत्र की अधिकतम मरम्मत और पुनर्जन्म के लिए शरीर में अधिक कोशिकाओं को जोडने के लिए किया जाता है।
मानव इम्ब्रियोनिक स्टेम कोशिकाएं (एचईएससी) प्लुरिपोटेंट होती हैं, जो अनिश्चित काल तक फैल सकती हैं और सभी कोशिका प्रकारों में अंतर कर सकती हैं। यह एएसडी में एचईएससी थेरेपी का उपयोग करने के लिए एक अंतर्निहित सिद्धांत प्रदान करता है. एचईएससी थेरेपी से इलाज के बाद मरीज में सेरेब्रल पाल्सी और कॉर्टिकल विजुअल एम्प्येरमेंट में भी सुधार देखा गया। स्टेम सेल थेरेपी असाध्य बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा, उपचार के तीसरे सत्र के बाद, उसकी अभिव्यक्तियों में भी सुधार देखा गया, साथ ही ध्यान केंद्रित करने की अवधि में भी वृद्धि देखी गई। एचईएससी उपचार ने लडके के मस्तिष्क में रक्त परफ्यूजन में सुधार करके, मोटर, सामाजिक और ज्ञान कौशल में सुधार करके ऑटिज्म को कम करने में मदद की। मानव इम्ब्रियोनिक स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर वाले मरीजों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार है। एचईएससी थेरेपी के बाद न्यूक्लियर इमेजिंग का उपयोग कर ब्लड परफ्यूजन में महत्वपूर्ण सुधारों का निरीक्षण करने के लिए स्पेक्ट (एसपीईसीटी स्कैन किया जाता है। यह परीक्षण अंगों के कामकाज और मस्तिष्क में ब्लड परफ्यूजन की सीमा की जांच करने के लिए किया जाता है। यह थेरेपी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर से पीड़ित मरीजों में मोटर कौशल, सामाजिक कौशल और संज्ञान में सुधार करने में प्रभावी रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *