लाइफस्टाइलस्वास्थ्य

हार्मोनल असंतुलन, हो सकता है ट्यूमर का संकेत

– डॉ. आदित्य गुप्ता
डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी (एग्रिम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंसेंज आर्टेमिस हॉस्पीटल, गुरुग्राम)
40 साल की उम्र के बाद जितने भी साल जिऐं तब तक शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल्स की आपूर्ति करते रहें। जीवन आसान और शरीर स्वस्थ बना रहेगा।

  • कैल्शियम :
    जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर इस खनिज पदार्थ को त्यागना शुरू कर देता है। इसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से कभी भी टूट जाती हैं। इसके लिए ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी जिम्मेदार है। खासतौर पर महिलाओं के शरीर की हड्डियां रजोनिवृत्ति के बाद ज्यादा खस्ता हो जाती हैं। कैल्शियम से मांसपेशियां, नाड़ियां, कोशिकाएं और रक्त नलिकाओं को ठीक से काम करने में मदद मिलती है। शरीर की कैल्शियम की जरूरतों को हड्डियों से पूरा किया जाता है, जबकि हड्डियों में कैल्शियम भोजन के जरिए पहुंचता है। युवावस्था में जितना कैल्शियम भोजन में लिया जाता है उससे 20 प्रतिशत अधिक कैल्शियम 50 पार की महिलाओं और 70 पार पहुंच चुके पुरुषों को लेना चाहिए, इसके लिए दूध, दही और पनीर बेहतर स्रोत माने जाते हैं।
  • कैल्शियम को जज्ब करने के लिए जरूरी है विटामिन डी :
    केवल कैल्शियम की गोलियां खा लेने भर से कुछ नहीं होता। कैल्शियम को शरीर में जज़्ब करने के लिए विटामिन डी अत्यंत आवश्यक होता है, अन्यथा खाया हुआ कैल्शियम मल मूत्र के साथ निकल जाता है। इसलिए यदि ऑस्टियोपोरोसिस रोकने के लिए यदि कैल्शियम लिया जा रहा है, तो उसके साथ विटामिन डी भी जरूर लें। इस विटामिन की वजह से मांसपेशियां, नाडियां और पूरे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर ढंग से काम करने लगती है। सूर्य को विटामिन डी का श्रेष्ठ स्रोत माना जाता है, इसलिए विटामिन डी को इंजेक्शन के जरिए अथवा भोजन के जरिए लिया जा सकता है।
  • विटामिन बी 6 :
    हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली विटामिन बी 6 का उपयोग बीमारियों के कीटाणुओं से लड़ने और ऊर्जा पैदा करने के लिए इस्तेमाल की है। विटामिन बी 6 की वजह से बच्चों के मस्तिष्क का तीव्र गति से विकास होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है विटामिन बी 6 की आवश्यकता भी बढ़ने लगती है। बुजुर्गों पर हुए कई शोध अध्ययनों पता चला है कि अच्छी याददाश्त और विटामिन बी 6 के स्तर के बीच एक मजबूत कड़ी है, इसलिए बुजुर्गो को विटामिन बी 6 की खुराक जरूर दी जानी चाहिए ताकि के वे डिमेंशिया या स्मृतिभ्रंश के शिकार न हों। चना विटामिन बी 6 का एक आसान और बढ़िया स्रोत है।
  • मैग्नेशियम :
    मैग्नेशियम शरीर में प्रोटीन और हड्डियों के निर्माण के काम में आता है। यह शरीर में ब्लड शुगर यानी रक्त शर्करा को स्थिर रखने के काम आता है। इसे नट्स, सीड्स और हरी पत्तेदार सब्जियों प्राप्त किया जा सकता है। बुजुर्ग अक्सर ये सब बहुत कम मत्रा में ले पाते हैं। कई बुजुर्गों को तो पेट भर खाना भी नसीब नहीं होता है। ऐसे में या तो बुजुर्गों की पाचन प्रक्रिया खराब हो जाती है, अथवा वे पहले से चल रही कोई बीमारी की ऐसी दवा खा रहे होते हैं जो शरीर में मैग्नेशियम को जज़्ब नहीं होने देता है।
  • प्रोबायोटिक्स :
    हमारे शरीर की आंतों में हमारे दोस्त के रूप में कई बैक्टरिया निवास करते हैं। इन्हें खमीर उठाए गए खाद्य पदार्थों से हासिल किया जा सकता है। इसमें दही, छाछ अथवा बेकरी से पकी हुई ब्रेड भी शामिल है। यदि आप पूरी तरह स्वस्थ हों तो प्रोबायोटिक्स को बहुत सुरक्षित माना जाता है।
  • ओमेगा-3 :
    ये फैटी एसिड्स इस प्रकृति के हैं जिन्हें अत्यंत आवश्यक माना जाता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि शरीर इस तरह के फैटी एसिड का निर्माण नहीं कर पाता है। ये आवश्यक फैटी एसिड्स आंखों, मस्तिष्क की कोशिकाओं और वीर्य की कोशिकाओं के स्वास्थ के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन फैटी एसिड्स की बदौलत बढ़ती उम्र की बीमारियां जैसे अल्जाइमर्स, ऑथ्र्राइटिस औैर मैक्युलर डिजनरेशन के खिलाफ सुरक्षा मिल जाती है। इस फैटी एसिड को अखरोट, कैनोला ऑइल या फ्लेसीड्स के जरिए हासिल किए जा सकते हैं।
  • जिंक :
    जिंक ऐसा माइक्रोन्यूट्रिएंट है जिसकी मदद से घ्राण और स्वाद इंद्रियां ठीक से काम करती हैं। जिंक की मदद से संक्रमण और दूर की नजर सुरक्षित रखी जा सकती है।
  • पोटेशियम :
    पूरे शरीर को पोटेशियम की जरूरत होती है। इसमें हार्ट, किडनी, मांसपेशियां और नाडियां शामिल हैं। यह दिल का दौरा पडने से भी रोकने में मदद करता है। हाई ब्लड प्रेशर और ऑस्टियोपोरोसिस में भी मददगार साबित होता है। केला, पालक, दूध और दही इसके बढ़िया स्रोत माने जाते हैं।

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