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अपोलो हाॅस्पिटल ने भारत के पहले सफल लिवर ट्रांसप्लांट की 20वीं सालगिरह मनाई

नई दिल्ली। संजय कंदासामी की उम्र आज 21 वर्ष है, लेकिन उनका बचपन सामान्य नहीं था। मात्र 20 माह की उम्र में उनके पिता ने उन्हें लिवर डोनेट किया। नवम्बर 1998 में उनकी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। इसी के साथ भारतीय डाॅक्टरों ने पहली सफल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी का इतिहास रच दिया। संजय न केवल अब सामान्य जीवन जी रहा है, बल्कि वह खुद डाॅक्टर बनने की ट्रेनिंग भी ले रहा है- यह संजय का इलाज करने वाले डाॅक्टरों और संजय एवं उसके परिवार की दृढ़ता का ही परिणाम है।
इस सफल सर्जरी ने भारतीय चिकित्सा जगत में नई क्रांति ला दी, इसकी 20वीं सालगिरह के मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हाॅस्पिटल ने संजय और उसके परिवार की बहादुरी पर भी रोशनी डाली।
इस मौके पर डाॅ. प्रीथा रेड्डी, वाईस चेयरपर्सन, अपोलो हाॅस्पिटल ग्रुप ने कहा, ‘‘लिवर रोग आज देश में चिंता का विषय बन चुके हैं, हर साल 2 लाख लोगों की मृत्यु इन बीमारियों के कारण हो रही है। हर साल लगभग 1800 लिवर ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, जबकि 20,000 लोगों को इसकी ज़रूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लिवर रोग भारत में मृत्यु का 10वां सबसे बड़ा कारण हैं। हालांकि पहली सफल सर्जरी के बाद भारत ने इस दिशा में ल्रबी दूरी तय की है, किंतु अभी इस क्षेत्र में बहुत सी कमियों को दूर करना बाकी है। हमारे विश्वस्तरीय ट्रांसप्लांट संेटर मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। आने वाले समय में हम दूर-दराज के इलाकों और उन लोगों तक अपनी सेवाएं पहंुवाएंगे, जिनके पास आज भी आधुनिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
जाने-माने भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘‘हर मिनट एक व्यक्ति उन लोगों की सूची में शामिल हो जाता है, जिन्हें ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है। आज 2 लाख भारतीय इस सूची में शामिल हैं, जबकि 10 फीसदी से भी कम लोगों को ट्रांसप्लांट मिल पाता है। हमें देश में अंगदान की दर बढ़ाने के लिए काम करना होगा। मैं 2011 में अपने अंगों के दान की शपथ ले चुका हूं और चाहता हूं कि देश के युवा इस दिशा में आगे बढ़ें। देश में अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है। इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाने की आवश्यकता है।’’
अशोक बाजपेयी, मैनेजिंग डायरेक्टर, इंद्रपस्थ अपोलो हाॅस्पिटल ने कहा, ‘‘आज हम इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सालगिरह मना रहे हैं, इस मौके पर मैं हमारे मरीज़ों और उनके परिवारों को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने हम पर भरोसा किया। हमारे विशेषज्ञों और स्टाफ की विशेषज्ञता के कारण आज हमारा ट्रांसप्लांट प्रोग्राम हज़ारों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। आने वाले समय में हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ट्रांसप्लांट सेंटर बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
इस मौके पर अपोलो हाॅस्पिटल ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डाॅ. अनुपम सिब्बल ने कहा, ’’आज का दिन भारतीय चिकित्सा जगत का खास दिन है। आज से 20 साल पहले भारत में पहली बार सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। संजय जैसे मरीजों के भरोसे, पक्के इरादे के कारण ही यह संभव हो सका कि हमने 50 देशों से आए 3200 मरीज़ों में सफल लिवर ट्रांसप्लांट किए, इनमें 302 बच्चे भी शामिल हैं। हम दुनिया भर से आए मरीजों को अपनी विशेषज्ञ सेवाओं से लाभान्वित करना चाहते हैं, जिन्हें ट्रांसप्लांट की ज़रूरत है।
2013 में 1200 सोलिडा आॅर्गन ट्रांसप्लांट्स के बाद यह प्रोग्राम दुनिया का सबसे बड़ा सोलिडा आॅर्गन ट्रांसप्लांट बन चुका है, अपोलो पिछले 6 सालों से लगातार अपनी इस अग्रणी स्थिति को बरकरार रखे हुए है।
स्ंजय कंदासामी ने कहा, ‘‘मैंने अपोलो के डाक्टरों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने 20 साल पहले मुझे नया जीवन दिया। उनकी मदद के बिना मैं आज यहां नहीं होता। मेरे माता-पिता और परिवार ने मुझे नया जीवन देने की पूरी कोशिश की। मेरे परिवार के पक्के इरादे और डाॅक्टरों की विशेषज्ञता के कारण ही आज मैं आपके बीच मौजूद हूं। मैं अपने देश के लोगों का जीवन बचाने में योगदान देना चाहता हूं और लोगों को बताना चाहता हूं कि जीवन में किसी भी चुनौती को जीतना संभव है।’’
स्ंजय जन्म के समय एक रेयर डिजीज बाइलरी आॅट्रेसिया से पीड़ित था। यह बीमारी 12000 में से एक बच्चों को होती है, जिसका एकमात्र इलाज लिवर ट्रांसप्लांट ही है। अपोलो की विशेषज्ञता के बारे में बात करते हुए डाॅ. नीरव गोयल, सीनियर कंसलटेन्ट, लिवर ट्रांसप्लांट ने कहा, ‘‘पिछले 20 सालों के दौरान हमारी विशेषज्ञता तेजी से विकसित हुई है। आज हम एबीओ इन्कम्पेटिबल और कम्बाईन्ड लिवर-किडनी ट्रांसप्लांट भी सफलतापूर्वक कर रहे हैं। हम मात्र 4 किलो वनज वाले बच्चों में सफल सर्जरी कर रहे हैं। देश की बड़ी आबादी को देखते हुए हम अपने इस प्रोग्राम को बड़े पैमाने पर विकसित करना चाहते हैं।’’

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