राष्ट्रीय

जनकपुरी पश्चिम-कालकाजी मंदिर मेट्रो कॉरीडोर परिचालन के लिए तैयार

दिल्ली । मेजेंटा लाइन का जनकपुरी पश्चिम-कालकाजी मंदिर खंड दिल्ली मेट्रो के चरण-3 में अब तक शुरू किया गया सबसे लंबा खंड होगा। 24.82 कि.मी. लंबे खंड में हौजखास में (येलो लाइन के साथ) और जनकपुरी पश्चिम (ब्लू लाइन के साथ) इन्टरचेंज सुविधाओं सहित 16 स्टेशन हैं और यह जनकपुरी पश्चिम से नोएडा में बॉटेनिकल गार्डन तक मेजेंटा लाइन का भाग है। इस खंड के शुरू हो जाने के बाद संपूर्ण दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की लंबाई बढ़कर 277 कि.मी. और मेट्रो स्टेंशनों की संख्यास 202 हो जाएगी।
इस कॉरीडोर की मुख्यं विशेषताएं निम्नेलिखित हैं :-
1. लंबाई: 24.82 कि.मी.
(भूमिगत : 21.8 कि.मी., एलिवेटेड : 2.9 कि.मी.)
2. स्टेशन : 16 (14भूमिगत, 2 एलिवेटेड)
3. स्टेशनों के नाम : जनकपुरी पश्चिम, डाबरी मोड़, दशरथपुरी, पालम, सदर बाजार ब्ंदजवदउमदज, टर्मिनल 1 : इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय, हवाईअड्डा, शंकर विहार, वसंत विहार, मुनिरका, आर के पुरम, हौज खास, आईआईटी, पंचशील पार्क, चिराग दिल्ली, जी के, नेहरू एन्कलेव।
4. कलर कोड : मेजेंटा
5. डिपो : कालिन्दी कुंज
6. इन्टकरचेंज स्टेशन : जनकपुरी पश्चिम (द्वारका: नोएडा / वैशाली ब्लू लाइन के साथ) तथा हौज खास (समयपुर बादली: हुडा सिटी सेंटर येलो लाइन के साथ)।
7. इस कॉरीडोर के तीन स्टेडशनों को, को-ब्रांडिंग के लिए लिया गया है। ये हैं टर्मिनल 1 : इन्दिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, आईआईटी एवं जी के एन्कलेव।

फेज- 3 की प्रगति का ब्यौरा :

  • अब तक शुरू किया गया फेज..3 का नेटवर्क  : 62 किलोमीटर
    क्र.सं.             शुरू किए गए कॉरीडोर                      किलोमीटर
    1.       केन्द्रीय सचिवालय-कश्मीरी गेट                    9.37
    2.      बदरपुर-एस्कॉर्ट्स मुजेसर                               13.975
    3.      जहांगीरपुरी : समयपुर बादली                         4.489
    4.      दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैम्पपस : मजलिस पार्क   21.56
    5.      बॉटेनिकल गार्डन: कालकाजी मंदिर                 12.64
  • इस खंड को शुरू करने के बाद फेज- 3 की लंबाई  : 87 किलोमीटर
  • इस खंड के शुरू होने के बाद फेज-3 का बचा हुआ नेटवर्क : 72 किलोमीटर (नोएडा-ग्रेटर नोएडा खंड को छोड़कर)

क्र.सं.                      शुरू किए जाने वाले कॉरीडोर                                     किलोमीटर
1.                    दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैम्पबस- शिव विहार              37.036
2.                    मुण्डका-बहादुरगढ़                                                      11.182
3.                    नोएडा सिटी सेंटर.इलेक्ट्रॉ निक सिटी                          6.8
4.                    द्वारका.नजफगढ़                                                      4.295
5.                    एस्कॉकर्ट्स मुजेसर-बल्लनभगढ़                               3.2
6.                    दिलशाद गार्डन: नया बस अड्डा                                 9.41

कनेक्टिविटी संबंधी मुख्य बातें :-
दिल्ली मेट्रो के जनकपुरी पश्चिम-कालकाजी मंदिर खंड के शुरू हो जाने से राष्ट्रीय राजधानी की कनेक्टिविटी काफी बेहतर हो जाएगी। इस कॉरीडोर के शुरू होने से पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली तथा नोएडा शहर पहले से काफी बेहतर रूप से आपस में जुड़ जाएंगे। जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन की पूरी मैजेंटा लाइन परचार इंटरचेंज स्टेशन – जनकपुरी वेस्ट (ब्लू लाइन के साथ), हौज खास (पीले लाइन के साथ), कालकाजी मंदिर (वायलेट लाइन के साथ) और बॉटनिकल गार्डन (ब्लू लाइन के साथ) होंगे।
कनेक्टिविटी संबंधी मुख्य बातें निम्नंलिखित होंगी :

  • हौज खास महत्वीपूर्ण मेट्रो हब के रूप में उभरेगा
    हौजखास मेट्रो स्टेशन, हुडा सिटी सेंटर-समयपुर बादली (लाइन 2) तथा जनकपुरी पश्चिम-बॉटेनिकल गार्डन मेट्रो कॉरीडोरों के बीच इन्टरर-कनेक्टिविटी को सुगम बनाने के लिए एक इंटरचेंज स्टेथशन के रूप में परिवर्तित हो गया है।
    लाइन 2 पर गुरुग्राम से आने वाले यात्री हौज खास में उतर पाएंगे और नोएडा में बॉटेनिकल गार्डन के लिए सीधी ट्रेन में सवार हो सकेंगे। इस कनेक्टिविटी के माध्यंम से गुरूग्राम और नोएडा के बीच यात्रा समय में कम से कम आधे घंटे की कमी आएगी।
    इस महत्वकपूर्ण लिंक के उदघाटन के बादए हुडा सिटी सेंटर और बॉटेनिकल गार्डन के बीच यात्रा करने के लिए लगभग 50 मिनट का समय लगेगा। वर्तमान में हुडा सिटी सेंटर से नोएडा में बॉटेनिकल गार्डन तक मेट्रो यात्रा में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है और राजीव चैक में इंटरचेंज करना पड़ताल है। नए और पुराने हौज खास स्टे शनों के बीच पेड एरिया से पेड एरिया की कनेक्टिविटी होगी।
  • पश्चिमी दिल्ली की कनेक्टिविटी
    द्वारका-नोएडा मेट्रो कॉरीडोर (लाइन 3) पर जनकपुरी पश्चिम मेट्रो स्टेाशनए पश्चिमी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली के क्षेत्रों और नोएडा तक अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक इंटरचेंज स्टेएशन के रूप में भी परिवर्तित हो गया है।
    यह इंटरचेंज स्टेहशन फेज-3 के जनकपुरी पश्चिम.बॉटेनिकल गार्डन कॉरीडोर का पहला स्टेशन होगा जो लाइन 3 को महत्वपूर्ण स्थानों यथा, इंदिरा गांधी अंतर्राष्टीय हवाईअड्डे के टर्मिनल 1, मुनिरका, हौज खास, नेहरू प्लेस और नोएडा में बॉटेनिकल गार्डन से जोड़ेगा।
    संपूर्ण जनकपुरी पश्चिम-बॉटेनिकल गार्डन कॉरीडोर वर्तमान में परिचालित लाइन 3 के लिए फीडर के रूप में भी कार्य करेगा क्यों कि इस कॉरीडोर के मूल स्टेशन-जनकपुरी पश्चिम एवं बॉटेनिकल गार्डन लाइन 3 के महत्व्पूर्ण स्टेरशन हैं।
    इसलिए इस नई लाइन से लाइन 3 और राजीव चैक मेट्रो स्टेशन पर भीड़भाड़ कम करने में काफी सहायता मिलेगी क्यों कि दोनों कॉरीडोरों से जनकपुरी पश्चिम से बॉटेनिकल गार्डन तक की यात्रा में लगभग बराबर समय लगेगा।
  • आईटी हब नेहरू प्लेनस के लिए बेहतर कनेक्टिविटी
    दक्षिणी दिल्लीे में नेहरू प्लेस में, जो भारत के सबसे बड़े आईटी हब में से एक है, दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के कश्मीरी गेट-एस्कॉएर्ट मुजेसर कॉरीडोर पर पहले से मेट्रो स्टेशन है।
    अब जनकपुरी पश्चिम-बॉटेनिकल गार्डन कॉरीडोर पर नेहरू एन्कलेेव नामक नया मेट्रो स्टेेशन इस क्षेत्र को सीधे उत्तर प्रदेश में नोएडा शहरए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीनय हवाई अड्डे के डोमेस्टिक टर्मिनल से जोड़ेगा और साथ ही राष्ट्रीमय राजधानी क्षेत्र के अन्यं महत्व्पूर्ण स्था नों जैसे कि गुड़गांव तक यात्रा करने में लगने वाले समय को काफी कम कर देगा।
  • डोमेस्टिक एयरपोर्ट मेट्रो नेटवर्क पर आ जाएगा
    इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के डोमेस्टिक टर्मिनल को भी फेज-3 में मेट्रो कनेक्टिविटी मिलने जा रही है। वर्तमान में परिचालित एयरपोर्ट एक्सप्रेस लिंक हवाई अड्डे के नए टी-3 टर्मिनल तक मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान करता है जहां से सभी अंतर्राष्ट्री य एवं सभी प्रीमियम घरेलू एयरलाइन्स उड़ानें भरती हैं। मगर, डोमेस्टिक टर्मिनल के लिए कोई मेट्रो कनेक्टिविटी नहीं है जहां से कम किराए वाली एयरलाइन्स उड़ानें भरती हैं। इस स्टेशन से डोमेस्टिक यात्रियों को बहुत अधिक सहायता मिलेगी। आएं इस पर एक नजर डालें :
  • दक्षिणी दिल्ली से : कालकाजी, नेहरू प्लेस, हौज खास, मुनिरका आदि से सीधी कनेक्टिविटी।
  • पूर्वी दिल्ली से : वैशाली (गाजियाबाद, आनंद विहार, लक्ष्मी नगर आदि से आने वाले यात्री लाइन 3 एवं 4 से यात्रा शुरू कर सकते हैं तथा जनकपुरी पश्चिम पर लाइन बदल सकते हैं।
  • पश्चिमी दिल्लील से : पंजाबी बाग, एन एस प्लेेस आदि से आने वाले यात्री नए मजलिस पार्क-दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैम्पीस कॉरीडोर से यात्रा शुरू कर सकते हैं, राजौरी गार्डन में लाइन बदल सकते हैं, उसके बाद लाइन 3 पर आकर इस कॉरीडोर पर सेवाएं प्राप्तर करने के लिए जनकपुरी पश्चिम पहुंच सकते हैं।
  • उत्तरी और मध्यम दिल्ली से : विश्वविद्यालय और मध्य दिल्ली के क्षेत्रों से आने वाले यात्री लाइन 2 से यात्रा शुरू करके हौज खास पहुंच सकते हैं और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीाय हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 के लिए ट्रेन में बैठ सकते हैं।
  • नोएडा से : नोएडा में बॉटेनिकल गार्डन से सीधी कनेक्टिविटी (बॉटेनिकल गार्डन से लगभग 35 मिनट)।
  • दिल्ली मेट्रो का ‘नॉलेज कॉरीडोर’: चार बड़े विश्वेविद्यालयों तक कनेक्टिविटी
    मेजेंटा लाइन दिल्ली मेट्रो का ‘नॉलेज कॉरीडोर’ भी साबित होगा। यह नया कॉरीडोर देश के चार बड़े प्रमुख विश्वविद्यालयों को जोड़ेगा जो अब तक मेट्रो से जुड़े नहीं थे। दो मेट्रो स्टेशनों के नाम (जामिया मिलिया इस्लामिया और आईआईटी) भी दो विश्वविद्यालयों से प्रेरित हैं।
    जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थोन (आईआईटी) ऐसे संस्थाान हैं जिन्हें मेट्रो कनेक्टिविटी मिलेगी। पिछले वर्ष दिसम्बर में बॉटेनिकल गार्डन-कालकाजी मंदिर खंड के शुरू हो जाने से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय तथा नोएडा में एमिटी विश्व विद्यालय को पहले ही मेट्रो कनेक्टिविटी प्राप्त हो चुकी है।
    मुनिरका स्टेकशन जेएनयू तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा जो लगभग 2 किलोमीटर की दूरी के भीतर होगा। जामिया मिलिया इस्लामिया स्टेशन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वमविद्यालय के लिए कनेक्टिविटी प्रदान करेगा और एमिटी विश्वविद्यालय से सटा ओखला बर्ड सैंक्चुअरी नामक स्टेशन है।

यात्री सुविधाएं :
उपर्युक्त कनेक्टिविटी संबंधी लाभों के अलावा, इस खंड से यात्रियों के लिए कई सुविधाएं भी मिलेंगी।

  • पैदल चलने वालों के लिए आउटर रिंग रोड पर 9 सब-वे
    दिल्लीद मेट्रो ने आउटर रिंग रोड पर 9 सब-वे बनाए हैं : मुनिरका, आर के पुरम, आईआईटी, पंचशील पार्क, चिराग दिल्ली, ग्रेटर कैलाश, नेहरू एन्कलेव (2 सब-वे)।
    ये सब-वे प्रवेश/निकास के लिहाज से बेहद अहम होंगे और साथ ही पैदल यात्रियों के लिए स्वतंत्र सब-वे के रूप में भी कार्य करेंगे। सभी सब-वे में यात्रियों के लिए स्टेषन, एसक्लेटर्स और लिफ्ट होंगे।
  • स्टेेशनों पर मल्टीट मॉडल इंटीग्रेशन (एमएमआई)
    वसंत विहार से नेहरू एन्कलेव तक मेजेंटा लाइन के सभी स्टेरशनों पर, जो आउटर रिंग रोड के आसपास स्थित होंगे, UTTIPEC दिशा-निर्देशों तथा स्थान की उपलब्धकता के अनुसार स्टेशनों के प्रवेश एवं निकास बिंदुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। प्रवेश बिंदुओं पर अलग से ऑटो एवं कार के रूकने के स्थान बनाए गए हैं। सभी स्टेशनों में प्रवेश/निकास बिंदुओं के 100 मीटर के भीतर बस स्टैंड भी होंगे।
    वसंत विहार, पंचशील पार्क और नेहरू एन्कलेव में ऑटो स्टैण्ड की सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं, जबकि आईआईटी में साईकिल पथ बनाए गए हैं ताकि आईआईटी के छात्र साइकिल से स्टेशन तक जा सकें। सभी स्टेेशनों पर लिफ्ट, जिसे रैम्प की सहायता से जोड़ा जाएगा, के निकट दिव्यांभग यात्रियों के वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था होगी। यात्रियों की सुविधा के लिए सभी ड्रॉप आफ प्वाइंट्स, ऑटो पार्किंग स्टैण्ड, दिव्यांगों के वाहनों के पार्किंग स्थानों पर पर्याप्त संकेतक लगाए जाएंगे।
    डीएमआरसी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इन स्टेशनों के शुरू होने से आउटर रिंग रोड पर यातायात के प्रवाह पर कोई प्रभाव न पड़े। स्थाकन की कमियों के बावजूद डिजाइन में सभी आवश्य क परिवर्तन किए गए हैं ताकि ऑटो, कारों, इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि के लिए ड्रॉप आफ प्वाइंट्स हेतु स्थान उपलब्ध कराए जा सकें। स्टेशन पर प्रवेश/निकास स्थान के निकट आपाधापी एवं भीड़भाड़ कम करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर समुचित रूप से रेलिंग लगाने की योजना है।

    ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन

  • इस सेक्शन के सभी स्टेशनों को IGBC (इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल) द्वारा प्लैटिनम रेटिंग प्रदान की गई है। डीएमआरसी के फेज-3 में अब तक 65 से भी ज्यादा स्टेशनों और तीन रिसिविंग सब-स्टेशनों (RSS) को यह मान्यता मिल चुकी है।
  • इन प्लैटिनम रेटेड बिल्डिंग्स का निर्माण खास तौर पर ऊर्जा संरक्षण के लिहाज से किया गया है जिसमें कार्बन उत्सर्जन, जल संरक्षण, WASTE MANAGEMENT  जैसे बिंदुओं का खास खयाल रखा गया है।

इंजीनियरिंग संबंधी चुनौतियां :
इस सेक्शिन परए डीएमआरसी के इंजीनियरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जनकपुरी पश्चिम से पालम तक के एलायनमेंट को एलिवेटेड से भूमिगत में परिवर्तित किया गया क्योंडकि एलिवेटेड लाइन के निर्माण से सड़कों में काफी डायवर्जन और तोड़फोड़ करना आवश्य क होता। इसी प्रकार, हौज खास स्टेशन को सतह से 29 मीटर नीचे बनाया गया। इंजीनियरिंग संबंधी कुछ चुनौतियां निम्न लिखित हैं :

  • जनकपुरी पश्चिम-पालम क्षेत्र को भूमिगत बनाया गया।
    जनकपुरी पश्चिम से पालम तक के क्षेत्र को मूल रूप से एलिवेटेड कॉरीडोर के रूप में सोचा गया था। मोटे तौर पर 6 किलोमीटर लंबे इस क्षेत्र का डिजाइन पश्चिमी दिल्ली के बहुत ही भीड़भाड़ वाले आवासीय एवं व्या वसायिक क्षेत्रों से होकर किया गया था। इसके अतिरिक्ति, व्यस्त नजफगढ़ रोड पर जनकपुरी पश्चिम में एलिवेटेड इंटरचेंज सुविधा का निर्माण दिल्ली मेट्रो टीम के लिए दूसरी बड़ी चुनौती होती।
    जनकपुरी पश्चिम से पालम तक आरंभ में प्रस्ताुवित एलिवेटेड मेट्रो क्षेत्र को निम्नसलिखित बाधाओं को ध्याुन में रखते हुए भूमिगत क्षेत्र मे परिवर्तित किया गया :
  • एलिवेटेड एलायनमेंट में दशरथपुरी और जनकपुरी पश्चिम के बीच 223 मीटर रेडियस के 5 ‘शार्प कर्व (CURVES) का निर्माण शामिल था जिसमें इन स्थानों पर स्थायी गति अवरोधक का निर्माण भी शामिल था।
  • दशरथपुरी और पालम के बीच प्रस्तामवित एलिवेटेड एलायनमेंट के लिए 20 मीटर चौड़ी सड़क के बीच में रैम्पऔ का निर्माण आवश्यक था और व्यस्त, सड़क की चौड़ाई में होने वाली कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कोई वैकल्पिक स्था्न नहीं बचा था।
  • एलिवेटेड एलायनमेंट में कई प्रोपर्टीज थीं जिन्हें गिराया जाना होता और उन्हें कहीं और बनाया जाना होता।
  • डाबड़ी मोड़ और जनकपुरी पश्चिम में एलिवेटेड स्टेंशनों को क्रमश : 16 मीटर और 23 मीटर की ऊंचाई पर बनाए जाने का प्रस्ताव था। नीचे सड़क की यातायात और जनकपुरी पश्चिम में चालू स्टेईशन को बाधित किए बगैर इतनी ऊंचाई पर स्टेाशन की संरचनाओं का निर्माण कठिन होता।
  • नीचे व्यटस्तत और भीड़भाड़ वाले नजफगढ़ रोड पर यातायात को बाधित किए गए बगैर एलिवेटेड जनकपुरी पश्चिम इंटरचेंज स्टेशन का निर्माण बहुत बड़ी चुनौती होता। इसके अतिरिक्त वहां इस समय चालू स्टेसशन के किसी प्रवेश/निकास स्थान को बंद करना कठिन होता क्योंरकि ब्लू लाइन पर यह स्टे शन उस क्षेत्र के प्रमुख मेट्रो स्टेेशनों में एक है।
    इस क्षेत्र में सुरंग का निर्माण भी कई चुनौतियों से भरा था। जनकपुरी पश्चिम में आगे और पीछे की आवाजाही के लिए टनल बोरिंग मशीनों का प्रयोग करके ट्रेनों की रिवर्सल फैसिलिटी के लिए विकासपुरी तक दो 676 मीटर लंबे सुरंगों का निर्माण किया जाना प्रस्तािवित था। इन सुरंगों को चालू जनकपुरी पश्चिम मेट्रो स्टे शन के नीचे तथा उस क्षेत्र में संरचनात्मक रूप से संवेदनशील लगभग 50 श्रमिक हटमेंट्स, जिनकी संरचना बहुत कमजोर थी, से होकर गुजरना था।
    इस चुनौती का सामना करने और ऊपर स्टेचशन एवं हटमेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एलिवेटेड स्टेरशन और हटमेंट्स की बिल्डिंग की स्थिति का व्योपक सर्वेक्षण किया गया। उसके बादए एक मॉनीटरिंग योजना तैयार की गई। बोरिंग के दौरान भवनों और ग्राउंड की स्थिति की मॉनीटरिंग करने के लिए बिल्डिंग सेटलमेंट्स मार्कर्स, इनक्लिनोमीटर्स, सरफेस मार्कर्स लगाए गए। सुरंग तैयार करने वाली टीम सुरंग बनाने के दौरान, अर्थ प्रेशर, ग्राउटिंग की मात्रा और मक डिस्पोुजेबल की मात्रा की लगतार मॉनीटरिंग कर रही थी ताकि संरचनाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना बोरिंग का कार्य पूरा हो सके।
    इसके परिणामस्वहरूप, व्यईस्तर ब्लू लाइन, जो दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के आर्टेरियल कॉरीडोरों में से एक है और प्रतिदिन लगभग 8 लाख लोगों को ढोती है, पर सेवाओं को बाधित करना आवश्योक नहीं था। इस क्षेत्र में 100 मीटर का क्रॉस आवर टनल सेक्शोन भी शामिल था जिसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके बनाया जाना था। इसलिए, टीबीएम को क्रॉस ओवर के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थाकनांतरित करने के लिएए 100 मीटर क्षेत्र के लिए टीबीएम सील्ड (लगभग 400 मीट्रिक टन वनज) को धकेलने के लिए 2 पुश रैम्प सिलिंडरों का प्रयोग किया गया।
    यह इंजीनियरिंग की दूसरी महत्वकपूर्ण उपलब्ध थी क्योंटकि टीबीएम सील्ड को एक स्थारन से दूसरे स्थाआन तक खींच कर ले जाया गया। सामान्यपतया, टीबीएम को कस्टटम मेड रिट्राइवलशाफ्ट के माध्य म से रिट्राइव किया जाता है और उसके बाद नए स्थाएन में लांचिंग शाफ्ट के माध्यलम से रि.-इंसर्ट किया जाता है किंतु ऐसे पारंपरिक इंजीनियरिंग के लिए पृथक रिट्राइवल एवं लांचिंग शाफ्ट का निर्माण किया जाना होता जिसके लिए और अधिक भूमि एवं उपर्युक्त प्रोजर्टीज कोहटाया जाना आवश्याक होता। इसके अतिरिक्त, इस प्रक्रिया के लिए रिट्राइवल और उसके बाद टीबीएम के लांचिंग के लिए प्रत्येरक बार लगभग एक माह का समय आवश्यक होता। इन बाधाओं से बचने के लिएए पुश रैम्प् सिलिंडरों का प्रयोग करके टीबीएमशील्डह को खींचा गया।
  • हौज खास इंटरचेंज ; दिल्ली मेट्रो का सबसे गहरा स्टेशन
    हौज खास स्टेइशन का निर्माण दिल्ली मेट्रो टीम के लिए बड़ी चुनौती था। चूंकि यहां इंटरचेंज सुविधा थी इसलिए, इंजीनियरों को यह भी सुनिश्चित करना था कि हौज खास स्टेबशन के पुराने और नए भागों के बीच इंटर कनेक्टिविटी निर्बाध एवं आरामदायक हो।
    दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के सभी अन्य इंटरचेंज स्टेशनों की तरह इस स्टेेशन में भी नए एवं पुराने हौज खास स्टेलशनों के बीच पेड एरिया से पेड एरिया तक कनेक्टिविटी है।
    नए स्टेशन को एक रैम्प के माध्ययम से वर्तमान में चालू स्टेशन से जोड़ा गया है। वर्तमान हौज खास स्टेशन लक्ष्मण पब्लिक स्कूल से शुरू होता है और आउटर रिंग रोड के लगभग मध्ये तक जाता है।
    हौज खास में वर्तमान स्टेैशन 17 मीटर गहरा है। नए स्टेरशन के निर्माण के लिए मौजूदा स्टेाशन से नीचे जाना संभव नहीं था क्योंकि फाउंडेशन 32 मीटर है तथा आउटर रिंग रोड पर फ्लाइओवर का भी फाउंडेशन है।

इसलिए, यदि नए स्टेपशन का निर्माण मौजूदा स्टेरशन से नीचे किया जाना होता तो हमें लगभग 42 मीटर गहरा जाना होता जो बहुत ही कठिन होता। इसलिए, नए स्टेरशन को 29 मीटर की गहराई पर मौजूदा स्टे शन के निकट बनाया गया है जिसकी लंबाई 265 मीटर है। इसका डिजाइन 5 स्तरीय स्टेशन (रेल-प्लेटफॉर्म-इंटरमीडिएट-इंटरमीडिएट-कॉनकोर्स) के रूप में किया गया है। सामान्यतया, इंटरचेंज स्टेाशनों में केवल 3 या कुछ मामलों में 4 स्तर होते हैं।
एक सब-वे नए और पुराने स्टे शनों को जोड़ रहा है। स्टेशन के अनपेड एरिया में एक पुराने सब-वे को पुराने एवं नए स्टेशनों को जोड़ने वाले पेड सब-वे में परिवर्तित किया गया है। यह लगभग 40 मीटर लंबा और 12 मीटर चैड़ा है।
एएफसी गेट्स, जो पूर्व के स्टेशन पर कॉनकोर्स में स्थित हैं, को नए इंटरचेंज स्टेेशन में ग्राउंड लेवल मंो लाया गया है। पुराने और नए स्टेशन के बीच रैम्पॉ पर लेवल में 2 मीटर का अंतर है।
वहां के निवासियों को शोर-शराबे से बचाने के लिए हौजखास में साउंड बैरियर्स लगाए गए। ये साउंड बैरियर्स पूरे स्टेकशन बॉक्से में लगातार लग हुए है। इन बैरियर्स से ध्वनि में लगभग 32 से 35 प्रतिशत की कमी आती है। इससे सटा आवासीय क्षेत्र सर्वप्रिय विहार है। साउंड बैरियर्स के रूप में पफ शीट, जो ध्वनि को अवशोषित करने वाली सामग्री हैं, को बैरिकेड्स के आंतरिक हिस्से, पर लगाया गया है। ऐसे ही बैरियर्स वसंत विहार में भी लगाए गए हैं।

सुरंग के नीचे सुरंग : इंजीनियरिंग संबंधी एक बड़ी उपलब्धि
इंटरचेंज स्टेशन के साथ-साथ, जनकपुरी पश्चिम-बॉटेनिकल गार्डन लाइन का भूमिगत कॉरीडोर हौज खास में दिल्ली् मेट्रो नेटवर्क की पहले से परिचालित येलो लाइन को भी पार करता है। इसलिए, नई लाइन के सुरंग भी उस परिचालित लाइन के नीचे से गुजर रहे हैं।
फेज-2 में, एयरपोर्ट एक्सुप्रेस लाइन की सुरंग लगभग 45 मीटर की गहराई में दो स्तारीय राजीव चैक मेट्रो स्टेशन के नीचे से गुजरी थी। यह उपलब्धि पहले दो फेज में दिल्ली मेट्रो में कभी हासिल नहीं हो पाई थी। फेज-3 में, हौज खास के अतिरिक्त 3 अन्यल स्थानों पर चालू सुरंगों के नीचे सुरंग बनाए गए हैं।
हौज खास में नया मेट्रो सुरंग स्टेेशन के शीघ्र बाद एक बिंदु पर लगभग 29 मीटर गहराई में है। हमने इसे मौजूदा सुरंग से 3 मीटर नीचे गुजारा है। मौजूदा सुरंग के किसी मूवमेंट को रोकने के लिए समुचित उपाय किए गए। ग्राउटिंग के माध्यटम से सेटलमेंट की गुंजाइश को रोका गया। नए सुरंग बनाए जाने के समय सपोर्ट प्रदान करने के लिए मौजूदा सुरंग के आसपास डी वाल का निर्माण किया गया। मौजूदा सुरंग के मूवमेंट की मॉनीटरिंग करने के लिए पर्याप्त इंस्ट्रूलमेंटेशन भी किया गया।
जनकपुरी पश्चिम में भारत में सबसे लंबी ऊंचाई वाले, एस्केलेटर्स लगाए गए हैं
नए जनकपुरी पश्चिम मेट्रो स्टे शन में लगाए गए एस्के लेटरों की ऊंचाई भारत में किसी स्केेलटर्स की ऊंचाई से अधिक है। इन स्केसलटरों की ऊंचाई 15.65 मीटर है जो कश्मीसरी गेट मेट्रो स्टेेशन पर लगाए गए 14.575 मीटर की ऊंचाई वाले एस्केलेटरों से अधिक ऊंचे हैं।
एस्केलेटरों की क्षैतिज लंबाई 35.32 मीटर है। इन एस्के लेटरों की ऊंचाई पांच मंजिला भवन के बराबर है। प्रत्येेक एस्के लेटर का वजन 26 टन है और इन एस्केंलेटरों को लगाने के लिए 250 टन के क्रेन को विशेष रूप से प्लांलट किया गया था।

मेट्रो स्टेेशनों में कलाकृति :
दिल्ली मेट्रो नेटवर्क के अन्य मेट्रो स्टेंशनों की तरह इस कॉरीडोर के स्टेशनों को भी कलाकृतियों एवं पेंटिंग से सजाया गया है। विभिन्न् स्टेरशनों पर विभिन्न थीम का उपयोग किया गया है तथा इस कार्य को निष्पोदित करने के लिए कई कलाकारों को लगाया गया है। उदाहरण के लिए, चिराग दिल्ली में तितलियों को चित्रित करते हुए एक खूबसूरत कलाकृति लगाई गई है। ग्रेटर कैलाश स्टेशन में फैशन के कई ट्रेंड को कलाकृतियों के जरिए चित्रित किया गया है। कुछ स्टेशनों की छतों पर एक विशेष प्रकार का प्रिंट लगाया है जिससे वहां का दृश्य मनोरम हो गया है। उदाहरण के लिए पालम मेंए एक प्रवेश/निकास स्थान की छत को विशेष प्रिंट से सजाया गया है जिसमें नीले आकाश को चित्रित किया गया है। इस नए एवं अभिनव प्रयोग से स्टेाशनों की सुंदरता काफी बढ़ गई है।

परिचालन विवरण:-
मैंजेंटा लाइन के पूरी तरह शुरू होने के बाद इस कॉरीडोर पर वर्तमान में 24 ट्रेनें सेवा में रहेंगी और फिर ट्रेनों की संख्या 26 तक पहुंच जाएगी। इस कॉरीडोर पर फिलहाल 5 मिनट 15 सेकेंड की फ्रीक्वेंसी पर ट्रेनें मिला करेंगी मगर यात्रियों की तादाद को देखते हुए इसे घटाया भी जा सकता है। रविवार को छोड़कर बाकी सभी दिन सुबह 6 बजे से इस कॉरीडोर पर ट्रेनें सेवा में रहेंगी। रविवार को यात्रियों के लिए पहली ट्रेन सुबह आठ बजे से उपलब्ध होगी। बोटैनिकल गार्डन से जनकपुरी वेस्ट तक यात्रा की दूरी एक घंटे में तय की जा सकेगी।

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