राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए अयोध्या में हुई धर्मसभा
अयोध्या। 2019 के चुनाव नज़दीक हैं ऐसे में राजनीति गलियारे में चुनावी सरगर्मियां तेज़ होना लाज़मी है। राम मंदिर का मुद्दा इस देश की राजनीति के लिए तब और भी ज़्यादा अहम हो जाता है जब चुनावी मौसम आता है। पार्टियों को लगता है इस मुद्दे को हवा देकर राजनीति में अपनी पैठ बनाई जा सकती है। बहरहाल क्योंकि केन्द्र में बीजेपी की सरकार है और उ.प्र. में योगी की सरकार है इसलिए इन दिनों यह मुद्दा तूल पकड़े हुए है। इसी मुद्दे के चलते शिवसेना प्रमुख शनिवार से रामनगरी अयोध्या में हैं। भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में होने वाली धर्मसभा राम की नगरी में शुरू हो चुकी है। धर्म सभा में शामिल होने के लिए शनिवार से ही साधु-संतों और रामभक्तों के आने का सिलसिला जारी है। माहौल को देखते हुए सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त किए गए हैं, ताकि कोई अनहोनी से निपटा जा सके।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय सचिव चम्पत राय ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के लिए हमें पूरी जमीन चाहिए और जमीन बंटवारे का कोई भी फाॅर्मूला मंजूर नहीं होगा। चम्पत राय ने आगे कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन के मालिकाना हक का केस वापस ले लेना चाहिए, और वीएचपी इस जमीन पर नमाज नहीं होने देगी। बता दें कि राम मंदिर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था।
धर्म सभा के मंच से आरएसएस के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह कृष्णा गोपाल ने कहा कि जो भी धर्मसभा का निर्णय होगा, आरएसएस उसे मानेगी। वहीं जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने धर्मसभा को संबोधित किया, उन्होंने बिना नाम लिए केंद्र सरकार के बड़े मंत्री का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भरोसा दिलाया है कि 11 दिसंबर से 12 जनवरी तक होगा राम मंदिर पर बड़ा फैसला होगा।
वीएचपी, आरएसएस और बजरंग दल के हजारों कार्यकर्ता देश भर से बसों और ट्रेनों के जरिए धर्म सभा में हिस्सा लेने के लिए अयोध्या के कारसेवकपुरम में बड़े भक्तमाल की बगिया में इकट्ठा हुए। इस सभा में आरएसएस के 1 लाख और वीएचपी के 1 लाख कार्यकर्ताओं के हिस्सा लेने का दावा किया जा रहा था, सिर्फ वाराणसी से 10000 बजरंगी (बजरंग दल) आयोध्या पहुंचे।
वीएचपी की धर्म सभा से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सुबह साढ़े 9 बजे के लगभह रामलला के दर्शन किए। दर्शन कर वे सीधे होटल लौट गए, धर्मसभा को लेकर अयोध्या में सुरक्षा के चाक चैबंद बढ़ा दिए गए।
रविवार को हुई इस धर्म सभा में 3 लाख कार्यकर्ताओं के शामिल होने का दावा किया जा रहा था। इसके अलावा मंच पर 100-150 साधु-संत विराजमान हुए और लोगों का संबोधन किया गया। मंच पर शामिल होने वालों में अहम संतों में जगतगुरु रामानंदाचार्य, स्वामी हंसदेवाचार्य, रामभद्राचार्य, रामेश्वर दास वैष्णव, राम जन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास का नाम शामिल थे।