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सरकार की प्राथमिकता में किसानों की समृद्धि शामिल होनी चाहिए : आईसीएफए

नई दिल्ली। नई सरकार द्वारा बजट से पहले कृषि और संबद्ध क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए अभी हाल ही में भारतीय खाद्य और कृषि परिषद (Indian Council of Food and Agriculture, ICFA) द्वारा एक मल्टी-स्टेकहोल्डर परामर्श बैठक बुलाई गई। खाद्य और कृषि क्षेत्र के कई गण्यमान लोग एक नीतिगत एजेंडे को तय करने के उद्देश्य से एक मंच पर आए और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि किसानों की समृद्धि नई सरकार के शीर्ष पर होनी चाहिए। मल्टी-स्टेकहोल्डर परामर्श बैठक का आयोजन नई दिल्ली मे गत सप्ताह किया गया।
कृषि नीति एजेंडा पर नेशनल राउंडटेबल में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, आईसीएफए के चेयरमेन डॉ एम जे खान ने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के एक अलग मंत्रालय बनाने के नए सरकार के प्रयास की सराहना की। इस क्षेत्र के किसान सरकार के इस पहल से लाभान्वित होंगे। परामर्श बैठक का मुख्य केंद्र बिन्दु विकास, स्थिरता और किसानों की आय था। नीतियों की शक्ति बहुत बड़ी है और खेतों और किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ खाद्य और कृषि क्षेत्र की विकास क्षमता को प्राप्त करने की आवश्यकता है।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधारस्तंभ है क्योंकि 50 प्रतिशत से अधिक आबादी इससे अपनी आजीविका चलाती है। भारत ने पिछले पाँच दशकों में कृषि में तेजी से प्रगति की हैय और यह खाद्य बिखराव से खाद्य सम्पन्न राष्ट्र के स्तर तक पहुंच गया है। इसके अलावा, भारत दुनिया में विभिन्न वस्तुओं के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में भी उभरा है।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (National Academy of Agricultural Sciences, NAAS) के ऐमेरिटस अध्यक्ष डॉ आर बी सिंह ने व्यापक कृषि चुनौतियों पर बोलते हुए कहारू “युवाओं को कृषि के क्षेत्र में शिक्षा और पेशे से जुड़ने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। कृषि को सकल घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत की दर से बढ़ना चाहिए और इसे मानव जाति की सेवा में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” सरकार को कृषि आधारित स्टार्ट-अप और उद्यमिता विकास के लिए उच्च प्राथमिकता देना चाहिए, डॉ सिंह ने कहा।
भारतीय कृषि कई नियमों से नियंत्रित है और स्टेट सब्जेक्ट होने के नाते इस क्षेत्र में देश भर में नीतियों में एकरूपता का अभाव है। कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है और अभी तक राष्ट्रीय आर्थिक योजना और नीतियों में इसे कम प्राथमिकता मिली है।
डॉ के एल चड्ढा, अध्यक्ष, हॉर्टिकल्चर सोसाइटी ऑफ इंडिया, ने कहा : “हम कृषि में पारंपरिक नहीं रह सकते। हमें बदलने और विकसित होने की जरूरत है। विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों के कार्यान्वयन में एक सुधार की आवश्यकता है।” चूंकि नई सरकार से कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की उम्मीद है, एक ठोस एजेंडा कृषि और कृषि-व्यवसाय क्षेत्र के विभिन्न चुनौतियों को दूर करने में सक्षम होगा।
निम्नलिखित में से कुछ सम्माननीय व्यक्तियों ने कृषिगत नीति आवश्यकताओं के विभिन्न पहलुओं पर अपने वक्तव्य व्यक्त किए :
पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एग्री सपोर्ट एंड अलायन्स प्रमुख श्री आरडी कपूर का मानना था कि ऐसा नहीं है कि उद्योग किसानों के कल्याण के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है। किसानों तक पहुंचने के लिए उद्योग अपने तरीके से पहल कर रहा है। अधिकांश उद्योग विभिन्न सीएसआर पहलों के माध्यम से किसानों की मदद कर रहे हैं और उन्हें दूरस्थ क्षेत्रों तक विस्तारित करने की आवश्यकता है। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।
ट्रेक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टीएमए) के अध्यक्ष श्री टी आर केसवन ने कहा कि सरकार को कृषि में दुरुस्तीकरण लानी चाहिए ताकि इनपुट लागत कम हो सके।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के महासचिव युधवीर सिंह ने किसानों की ओर से बोलते हुए कहा, ष्किसान की स्थिति में सुधार के लिए साथ ही साथ कृषक समुदाय की स्थायित्व और समृद्धि के लिए एक सुनिश्चित आय तय करने की जरूरत है और इसके लिए इसके मूल कारण की जड़ तक जाना पड़ेगा।’

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