कांग्रेस के दो विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस हुई कमज़ोर
नई दिल्ली। जब से बीजेपी की सरकार बनी है तब से कांग्रेस के लिए अच्छा वक्त नज़र नहीं आ रहा है। अभी हाल ही में कांगे्रस जब गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का स्वास्थ्य बिगड़ा था तब से कांग्रेस को सरकार बनाने की संभावना नजर आने लगी थी लेकिन कांग्रेस को झटका तब लगा जब उनके दो विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने का मन बना लिया।
कांग्रेस के दो विधायकों विधायक दयानंद सोपते और सुभाष शिरोदकर के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा की संख्या घटकर 38 हो गई और सबसे बड़े दल कांग्रेस के 16 विधायकों की संख्या घटकर 14 हो गई। विधानसभा की ताजा स्थिति पर नजर डालें तो कांग्रेस-बीजेपी के पास 14-14 विधायक, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3, 3 निर्दलीय और एनसीपी के 1 विधायक शामिल हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत लगातार नाजुक होने के बावजूद बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा, इसके पीछे की वजह है कि बीजेपी को समर्थन देने वाली पार्टियां पर्रिकर के अलावा किसी और नेता मानने को तैयार नहीं हैं. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की स्वीकार्यता को देखते हुए ही उनसे देश के रक्षा मंत्री का प्रभार वापस लेकर गोवा की कमान सौंपी गई थी।
फिलहाल मुख्यमंत्री पर्रिकर दिल्ली के एम्स से अपने गांव लौट चुके हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर स्थिति सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट नहीं है। गोवा में विपक्षी कांग्रेस लगातार राज्यपाल मृदुला सिन्हा से राज्य के संवैधानिक संकट को देखते हुए विशेष सत्र बुलकर बहुमत साबित करने की मांग कर रही थी। इसी संदर्भ में कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति को ज्ञापन लिखकर उन्हें ताजा स्थिति से अवगत कराया था।
कांग्रेस के लगातार बढ़ते दबाव और मनोहर पर्रिकर के स्वास्थ्य को लेकर असमंजस की स्थिति में बीजेपी एक बार फिर सक्रिय हुई है। और इसलिए बीजेपी इस रणनीति पर काम करती दिख रही है कि यदि पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता चुन लिया जाता है तो विधानसभा में पार्टी को बहुमत साबित करना होगा।
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले इन विधायकों का दावा है कि भविष्य में कांग्रेस के और विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। यदि इन विधायकों का दावा सही साबित हुआ तब बीजेपी को अन्य नेता की अगुवाई में सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने में मुश्किल नहीं होगी। लिहाजा एक बार फिर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चाणक्य नीति के सामने कांग्रेस हाथ मलती रह जाएगी।