सामाजिक

रजा फाउंडेशन की ओर से ‘उत्तराधिकार 2018’ के तृतीय संस्करण का आयोजन

नई दिल्ली। उत्तराधिकार भारतीय शास्त्रीय परम्परा के शिष्यों का रजा समारोह है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय कलाओं में गुरु-शिष्य-परम्परा के महत्त्व और जरूरत का रेखांकन है। रजा फाउंडेशन इस परम्परा पर एकाग्र दो वार्षिक समारोह करता है रू उत्तराधिकार और महिमा। महिमा अगली जनवरी में होगा जिसमें वरिष्ठ शास्त्रीय कलाकार अपने गुरुओं से प्राप्त सीख और विरासत प्रस्तुत करेंगे।उत्तराधिकार 2018 के अंतिम दिन की पहली प्रस्तुति गुरु सुलोचना ब्रहस्पति की शिष्या डॉ. सरिता पाठक यजुर्वेदी का गायन और दूसरी प्रस्तुति गुरु माधवी मुद्गल की शिष्या सुश्री आरुषि मुद्गल का ओड़िसी नृत्य था।
डॉ. सरिता पाठक यजुर्वेदी, आचार्य के.सी.डी. ब्रहस्पति एवं विदुषी सुलोचना ब्रहस्पति की शिष्या है। ये रामपुर सदारंग परम्परा से संबद्ध हैं। डॉ. सरिता शुक्ल यजुर्वेदी दूरदर्शन एवं आल इंडिया रेडियो से जुडी हैं तथा दिल्ली विश्विद्यालय के भारती कॉलेज के संगीत विभाग की अध्यक्ष हैं। उत्तराखंड संगीत एवं संस्कृति शीर्षक पुस्तक की लेखिका हैं। डॉ. सरिता पाठक यजुर्वेदी में राग पूरिया धनाश्री और राग मारू विहाग में तराना प्रस्तुत किया। आज की इस प्रस्तुति में डॉ. सरिता शुक्ल यजुर्वेदी के साथ संगत तबला पर उस्ताद अख्तर हुसैन, जो फरुक्खाबाद घराने से सम्बंधित हैं और उस्ताद मेहदी हुसैन खान के शिष्य हैं तथा आल इंडिया रेडियो के ए ग्रेड कलाकार हैंय ने दिया और सारंगी पर गुलाम मुहम्मद ने साथ दिया । ये मुरादाबाद घराना से सम्बंधित हैं।
इस शाम की दूसरी प्रस्तुति सुश्री आरुषि मुद्गल का ओड़िसी नृत्य थी। सुश्री आरुषि मुद्गल ओड़िसी की चर्चित कलाकार हैं। वे श्रीमति माधवी मुद्गल की अग्रणी शिष्या हैं बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार, यंग वूमन एचीवर्स अवार्ड, बाल श्री अवार्ड, राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड, चित्रकला संगम सम्मान, सनातन नृत्य पुरस्कार इत्यादि से विभूषित हैं। इन्होंने देश-विदेश में भी कई प्रस्तुतियां दी हैं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का आरम्भ ‘जय गणेश’ मंगलाचरण से किया, इसका नृत्य संयोजन गुरु माधवी मुद्गल ने किया था और संगीत गुरु मधुप मुद्गल ने दिया था। इसके बाद वे जयदेव के गीतगोविन्द से ‘यामी हे’ शीर्षक अष्टपदी की प्रस्तुति दिया, इसका नृत्य निर्देशन गुरु माधवी मुद्गल एवं संगीत निर्देशन गुरु मधुप मुद्गल ने दिया था। अपनी प्रस्तुति में सुश्री आरुषि मुद्गल ‘अहे नील शैल’ की प्रस्तुति दी, जो ओड़िया मुस्लिम भक्त कवि सालबेग का भगवान् जगन्नाथ की स्तुति का पद है। इसके नृत्य निर्देशन ओड़िसी के हस्ताक्षर गुरु केलुचरण महापात्र हैं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन राग भैरवी में निबद्ध पल्लवी और नृत के टुकड़े से करेंगी जिसका शीर्षक है भैरवी पल्लवी। इसका नृत्य निर्देशन गुरु माधवी मुद्गल ने और संगीत निर्देशन गुरु मधुप मुद्गल ने किया। इस प्रस्तुति में सुश्री आरुषि मुद्गल का साथ गायकी पर सावनी मुद्गल एवं खुशाल शर्मा, पखावज पर खडक सिंह, और बांसुरी पर रजत प्रसन्ना ने दिया। इस प्रस्तुति के साथ ही रजा फाउंडेशन के उत्तराधिकार 2018य जो कि उत्तराधिकार का तृतीय संस्करण थाय का समापन हुआ।
इस माह में रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित होने वाले अन्य कार्यक्रम इस प्रकार हैं। 8 अक्टूबर को शाम 6ः30 वजे से इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर के सी. डी. देशमुख सभागार में यानि की यहीं, गाँधी जयंती के 150 वें वर्ष में रजा फाउंडेशन द्वारा शुरू किये जा रहे गाँधी मैटर्स का उद्घाटन व्याख्यान प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. आशीष नंदी का गाँधी एज अ डिसेंटर विषय पर होना है।

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