‘दही-हांडी में 18 वर्ष से कम के युवक नहीं ले सकते भाग’
जन्माष्टमी के मौके पर महाराष्ट्र में होने वाले दही-हांडी में 18 वर्ष से कम उम्र के युवक हिस्सा नहीं ले सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि मानव पिरामिड की ऊंचाई 20 फुट से अधिक नहीं होगी। यह सीमा मुंबई हाईकोर्ट ने तय की थी। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि भगवान कृष्ण मक्खन चुराते थे लेकिन हमने यह नहीं सुना कि वह कलाबाजी भी करते थे।
न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने मुंबई हाईकोर्ट द्वारा तय की गई शर्तों में छूट देने से इनकार किया है। पीठ ने कहा कि दही हांडी में शामिल होने वाले के लिए उम्रसीमा और पिरामिड के तय की गई ऊंचाई को छोड़ अन्य मसले पर बाद में विस्तृत सुनवाई का निर्णय लिया है।
शीर्ष अदालत का यह आदेश महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर आया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट केपूर्व आदेश में स्पष्टीकरण की गुहार की गई थी जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को प्रभावी बनाने पर रोक लगा दी गई थी।बुधवार को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘गोविंदा’ भगवान कृष्ण का प्रतीक होते हैं और ऐसा माना जाता है कि 12-15 आयु वर्ग के युवक दही-हांडी के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। लेकिन पीठ ने उनकेआग्रह को ठुकराते हुए कहा कि इससे लोग जख्मी होते हैं। पीठ ने कहा, ‘हमने सुना है कि भगवान कृष्ण मक्खन चोरी करते थे लेकिन हमने यह नहीं सुना है कि भगवान कृष्ण कलाबाजी करते थे।’ जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि जोखिम तो हर खेल में होता है।