प्रसून जोषी ने इस वर्ष जेएलएफ में भाग न लेने पर खेद प्रकट किया
‘मैं इस बार जेएलएफ में भाग नहीं ले पा रहा हूँ। साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ जेएलएफ में चर्चा और विचार-विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दुःख मुझे रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों, आयोजकों और वहाँ आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए।
रही बात फिल्म से जुड़े विवादों की, यहाँ मैं एक बार पुनः यह कहना चाहता हूँ कि फिल्म पद्मावत को, नियमों के अंतर्गत सुझावों को जहाँ तक सम्भव हो सम्मिलित करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही प्रमाणित किया गया है। ये पूरी निष्ठा से एक संतुलित और संवेदनशील निर्णय का प्रयास है। अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा। विश्वास एक-दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनायी प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी, विवादों की जगह विचार-विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े।’