सिरफिरा : आम आदमी के सपनों को हवाई पंख लगाने की कहानी को दर्शाती है फिल्म की कहानी
फिल्म का नाम : सरफिरा
फिल्म के कलाकार : अक्षय कुमार, राधिका मदान, सीमा बिस्वास, परेश रावल, जय उपाध्याय
फिल्म के निर्देशक : सुधा कोंगरा
फिल्म के निर्माता : सूर्या
फिल्म के लेखक : सुधा कोंगरा
रेटिंग : 3/5
फिल्म निर्देशक सुधा कोंगरा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘सिरफिरा’ 12 जुलाई से सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। कहानी का सब्जेक्ट यही है कि आम आदमी के सपनों को उड़ान देना। पहले के समय में आम आदमी हवाई यात्रा करने में सक्षम नहीं था। लक्जरी जीवन जीने वाले ही हवाई यात्रा के हकदार होते थे और माने भी जाते थे। भारत में कम लागत वाली एयरलाइन्स के जनक कहे जाने वाले कैप्टन जीआर गोपीनाथ एक रुपये में टिकट और ई-टिकट के साथ वाणिज्यिक विमानन क्षेत्र में क्रांति लाए थे। इस फिल्म की कहानी कैप्टन जीआर गोपीनाथन के जीवन पर आधारित है।
फिल्म की कहानी :
शुरुआत वीर म्हात्रे (अक्षय कुमार )और उसके दो साथियों द्वारा एक प्लेन को इमरजेंसी लैंडिंग करवाकर दुर्घटना को टालने से शुरू होती है और कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है। महाराष्ट्र के गांव में एक स्कूल शिक्षक के बेटे वीर म्हात्रे (अक्षय कुमार) पर बातें हो रही है, जिससे शादी के लिए देखने के लिए रानी(राधिका) और उसका परिवार उसके गांव जा रहा है। रानी और उसके परिवार के साथ बातचीत में ही मालूम पड़ता है कि वीर पहले एयरफोर्स में था, लेकिन उसने नौकरी छोड़ दी है। रानी से मुलाकात होने के बाद वीर बताता है कि उसका सपना आम आदमी के लिए एक कम लागत वाली एयरलाइंस शुरू करने का हैरानी भी उसे बताती है कि उसका सपना खुद की बेकरी शुरू करना है। रानी कहती है कि दोनों पहले अपने सपने को पूरा करेंगे उसके बाद शादी की सोचेंगे. दोनों अपने-अपने सपने को पूरा करने में जुट जाते हैं। साल निकल जाते हैं। रानी का बेकरी का बिजनेस चल पड़ता है। दोनों शादी भी कर लेते हैं। वीर का साथ रानी, मां, दोस्त और उसके गांव वाले हर कदम पर देते हैं, लेकिन लेकिन वीर की राह की मुश्किलें कम ही नहीं होती हैं क्योंकि उसका सामना एयरलाइन इंडस्ट्री के सबसे बड़े बिजनेसमैन परेश गोस्वामी (परेश रावल) से है। जिसके हाथ में पूरा सरकारी तंत्र है और परेश गोस्वामी की पूरी कोशिश है कि वीर का सपना किसी भी कीमत पर पूरा न हो, क्या वीर आसमान तक पहुंच पाएगा या उसके नीचे की जमीन भी छीन ली जाएगी?
क्लाकारों की अदाकारी:
अक्षय कुमार की सिरफिरा देखकर लगता है कि अक्षय ने अपने किरदार को सफल बनाने के लिए पूरी कोषिष की है और अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ भी करते हैं। राधिका मदान स्क्रीन पर ठीक-ठाक नज़र आती है। परेष रावल का किरदार नेगेटिव है और एवरेज है। बाकी सभी सर्पोटिंग किरदरों ने भी ठीक-ठाक काम किया है। कई जगहों पर सीन आपको भावुक करते हैं। बात करें गानों की तो गाने भी औसत हैं क्योंकि थिएटर से बाहर आते-आते म्यूज़िक ज़बान पर नहीं चढ़ता याद नहीं रहता। फिल्म में इमोषन है, ड्रामा है।
अक्षय कुमार की सरफिरा साउथ की सोरारई पोटरु की हिंदी रीमेक है। जिसे सुधा कोंगरा ने डायरेक्ट किया है जिन्होंने ओरिजनल फिल्म को भी डायरेक्ट किया था। रीमेक की गई फिल्म में थोड़ा बहुत रिस्क रहता है क्योंकि कई बार लोगों के मन यही सवाल होता है कि आखिर रीमेक करने की क्या ज़रूरत थी जब ओरिजनल फिल्म बनी ही थी।
फिल्म क्यों देखे:
यह एक ऐवरेज और ड्रामाटिक फिल्म है, हो सकता है कि कहानी आपको पसंद भी आए। अगर आप अक्षय के बहुत बड़े फैन हैं तो एक बार तो आपको फिल्म देखनी ही चाहिए।