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सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में पूंजी डालने की योजना अवधि बढ़ायी

नई दिल्ली। सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में पूंजी डालने की योजना की अवधि तीन साल 2019-20 तक के लिये बढ़ा दी है। इस कदम का मकसद उनकी कर्ज देने की क्षमता मजबूत करना है। योजना की शुरूआत 2010-11 में हुई और इसकी मियाद दो बार 2012-13 तथा 2015-16 में बढ़ायी गयी। पिछली बार इसे मार्च 2017 तक बढ़ाया गया था। पिछले वर्ष मार्च तक केंद्र सरकार अपने हिस्से के कुल प्रस्तावित 1,450 करोड़ रुपये में हिस्से के रूप में 1,107.20 करोड़ रुपये की पूंजी जारी कर चुकी थी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार शेष 342.80 करोड़ रुपये का उपयोग उन आरआरबी का पूंजी आधार मजबूत बनाने पर खर्च किया जाएगा जिनकी पूंजी जोखिम वाली सम्पत्ति के 9 प्रतिशत से कम हो गयी है। ऐसे मामलों में आरआरबी की पहचान और राशि देने के बारे में फैसला नाबार्ड के साथ परामर्श कर के किया जाएगा। देश में मार्च 2017 तक 56 आरआरबी कार्यरत थे। इन बैंकों ने 2,28,599 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन खास तौर पर छोटे एवं सीमांत किसानों, कृषि श्रमिकों, ग्रामीण क्षेत्रों में दस्तकारों तथा लघु उद्यमों को कर्ज उपलब्ध कराने के इरादे से किया गया। इन बैंकों पर संयुक्त रूप से केंद्र, संबंधित राज्य सरकार तथा प्रायोजक बैंक का स्वामित्व है, जिसमें तीनों की निर्गम पूंजी में हिस्सेदारी क्रमश रू 50, 15 प्रतिशत तथा 35 प्रतिशत है।

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