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49% शहरी भारतीयों ने रिटायरमेंट प्लान बनाए हैं – PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड का सर्वे

मुंबई। प्रुडेंशियल फाइनेंशियल इंक के वैश्विक निवेश प्रबंधन कारोबार PGIM की पूर्ण स्वामित्व वाली कारोबारी ईकाई PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड ने वैश्विक मापन के अगुआ नीलसन को इस बात का अध्ययन करने का काम सौंपा कि लोगों का रिटायरमेंट यानी सेवानिवृत्ति के प्रति किस तरह का नजरिया रहता है। PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के रिटायरमेंट सर्वे से यह खुलासा होता है कि यह धारणा अब पुरानी पड़ चुकी है कि भारत बचत करने वालों का देश है। होम लोन, अनसेक्योर्ड लोन और क्रेडिट कार्ड की बढ़ती संख्या से यह पता चलता है कि भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं, और अब बचत या भविष्य की प्लानिंग करने की जगह मौजूदा खर्चों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

  • स्थायी रोजगार और 60 की उम्र तक रिटायर होने का परंपरागत मॉडल लगातार पुराना पड़ता जा रहा है।
  • लोग अच्छे नतीजों और अनजाने अवसरों की प्लानिंग कर रहे हैं, न कि बुरे नतीजों या रिटायरमेंट जैसे ज्ञात अवसरों का।
  • संयुक्त परिवारों का टूटना, आमदनी के वैकल्पिक स्रोतों की मौजूदगी या उनका न होना, बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर हो जाने की आशंका रिटायरमेंट के प्रति लोगों के रवैये में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
  • संयुक्त परिवार में रहने वाले भारतीय वित्तीय रूप से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं और इसे अब भी रिटायरमेंट के लिए एक महत्वपूर्ण आधार व्यवस्था मानी जाती है।
  • धन के साथ जुड़ी बचाव और सुरक्षा की जगह अब सपने पूरे करने और बेहतर जीवन जीने पर जोर दिया जा रहा है।
  • शहरी भारतीय अब बचत और निवेश कम कर रहे हैं और अपनी आय का करीब 59% मौजूदा खर्चों के लिए आवंटित कर रहे हैं।
  • ज्यादातर भारतीयों के पास कोई ‘रिटायरमेंट फंड‘ नहीं है-इसकी या तो वजह यह है कि उन्होंने अभी तक रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं शुरू की है, या उनके पास इतना फंड या निवेश होता है जिसका वे भविष्य में रिटायरमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, अगर कोई अन्य बहुत खराब हालात पैदा नहीं होते तो करीब एक-तिहाई लोगों के पास आय का कोई न कोई वैकल्पिक स्रोत होता है।
  • जिन लोगों ने रिटायरमेंट की प्लानिंग की है उनमें से 51% ऐसे लोग हैं जिनके पास कोई न कोई वैकल्पिक आय होती है।
  • लोग रिटायरमेंट से ज्यादा प्राथमिकता बच्चों और पति या पत्नी की आय सुरक्षा और यहां तक कि फिटनेस और लाइफस्टाइल को देते हैं।
  • निजी क्षेत्र के केवल 46% कर्मचारियों ने यह माना कि उनके नियोक्ताओं ने उन्हें रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए प्रेरित किया है।
  • 65% भारतीय यह मानते हैं कि नियोक्ता अगर रिटायरमेंट प्लानिंग की सलाह दे तो संस्थान के प्रति उनकी निष्ठा और बढ़ेगी।

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ अजीत मेनन ने कहा, “आज की दुनिया में अगर आपको सिर्फ एक वित्तीय लक्ष्य के लिए लोन नहीं मिल सकता, तो वह है रिटायरमेंट. आपको बाकी हर चीज के लिए लोन मिल सकता है, उच्च शिक्षा के लिए, मकान, कार, कारोबार शुरू करने आदि। इसीलिए हम सबके ऊपर खुद ही यह जिम्मेदारी आ जाती है कि इसके लिए आप हर तरह से तैयार रहें। अगले वर्षों में वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ने वाली संख्या को देखते हुए हमने इस बात पर अध्ययन की जरूरत महसूस की कि रिटायरमेंट बचत के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया क्या होती है और लोगों में इस वित्तीय लक्ष्य प्रति कितनी जागरूकता है? भारत में रिवर्स मॉर्टगेज जैसे उत्पादों की अभी स्वीकार्यता नहीं हो पाई है। हमारे साझेदार नीलसन के साथ यह महत्वपूर्ण अध्ययन इस विषय का आधार तैयार करता है और हमें उम्मीद है कि इससे लोगों, नियोजकों और नीति-निर्धारकों को फायदा होगा।
हमारे पहले अध्ययन ने यह संकेत दिया है कि भारतीयों के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग शीर्ष प्राथमिकता नहीं है और इसलिए यह पहले से ही चिंता की बात है। वैश्विक महामारी के दौर में उभरने वाली मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए भविष्य की वित्तीय सुरक्षा या वित्तीय आजादी आज ज्यादा प्रासंगिक हो गई है। इस अध्ययन ने हमारे समाज के एक नए और बदलते पहलू को उजागर किया है और हम लगातार इस पर अध्ययन करते रहेंगे ताकि इस मसले पर नजर रखी जा सके और उम्मीद है कि हम इस पर कोई सकारात्मक असर डाल सकेंगे।”
सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि रिटायरमेंट प्लानिंग लोगों की प्राथमिकता में नीचे है, जबकि बच्चों और पति या पत्नी की वित्तीय सुरक्षा और यहां तक कि फिटनेस एवं लाइफस्टाइल इसमें ऊपरी पायदान पर हैं। इस सर्वे से यह भी पता चलता है कि जिन लोगों ने रिटायरमेंट की प्लानिंग की है उनमें भी इस बारे में जागरूकता का अभाव है कि सही फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह से होनी चाहिए। इसी तरह इस सर्वे से यह खुलासा होता है कि भारतीय लोग अपने नियोक्ताओं और वित्तीय सलाहकारों से बेहतर गुणवत्ता वाली सलाह चाहते हैं और वे ऐसे उत्पादों की तलाश में रहते हैं जिसमें उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन हो। वैसे तो रिटायरमेंट प्राथमिकता नहीं है, फिर भी भारतीय अपने भविष्य को लेकर ज्यादा परेशान हैं और भविष्य में अपने बढ़ते खर्चों, स्वास्थ्य संबंधी मसलों तथा परिवार से सहयोग न मिलने को लेकर उन्हें चिंता है।
बदलाव समाज का लक्षण होता है, अध्ययन से यह भी पता चलता है कि संयुक्त परिवारों का टूटना, आय के वैकल्पिक स्रोतों का होना या न होना और बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर रहने की आशंका जैसे तत्व लोगों के रिटायरमेंट के प्रति रवैये में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इन तमाम विपरीत तथ्यों और समाज में स्पष्ट रूप से हो रहे बदलावों को देखते हुए अध्ययन साफतौर से इस बात का संकेत देता है कि भारतीय वित्तीय सेवा उद्योग के लिए इस बात की मजबूत तौर पर जरूरत है कि वे रिटायरमेंट प्लानिंग की सलाह दें ताकि भारतीय लोग के दक्षता से वित्तीय निर्णय ले सकें और उनकी परेशानी कम हो सके।

सर्वे के निष्कर्ष :

कुल 15 शहरों में किये गये इस सर्वे में कुछ खास सवालों पर जोर दिया गया, जैसे भारतीय लोग कब रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं और इसकी संभावित वजहें क्या होती हैं। वे किस तरह के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करते हैं। क्या जागरूकता का अभाव रिटायरमेंट प्लानिंग को कमजोर कर देता है। क्या भारतीय लोग रिटायरमेंट प्लानिंग पर ज्यादा जानकारी के लिए उत्सुक हैंय और उनमें इस तरह की जागरूकता बढ़ाने के लिए नियोक्ता किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इस अध्ययन के कुछ प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं :

  • आज शहरी भारतीय कम बचत एवं निवेश कर रहे हैं, वे अपनी आमदनी का करीब 59% मौजूदा खर्चों पर लगा रहे हैं।
  • कम बचत को देखते हुए भारतीयों में अपने भविष्य को लेकर व्यग्रता बढ़ती जा रही है।
  • अध्ययन में शामिल 51% लोगों ने अपनी रिटायरमेंट के लिए कोई वित्तीय योजना नहीं बनाई है।
  • 89% ऐसे भारतीय जिन्होंने रिटायरमेंट की कोई तैयारी नहीं की है, उनके पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत भी नहीं है।
  • हर 5 भारतीय में से महज 1 ही रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय महंगाई पर विचार करता है।
  • सर्वे में शामिल 41% लोगों ने कहा कि रिटायरमेंट के लिए निवेश में उन्होंने जीवन बीमा पर जोर दिया है, जबकि 37% ने सावधि जमा योजनाओं यानी एफडी को प्राथमिकता दी है।
  • 48% प्रतिभागियों को यह अंदाजा नहीं था कि रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए उन्हें कितनी रकम चाहिए होगी।
  • सर्वे में शामिल 48ः वे लोग जिन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि कितनी रकम चाहिए, उनमें से 69% ने आखिरकार कोई रिटायरमेंट प्लान नहीं किया. इसके विपरीत जिन 52% लोगों में इसे लेकर जागरूकता थी कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद जीवन के लिए कितनी रकम चाहिए होगी, उनमें से 66% लोगों के पास रिटायरमेंट की प्लानिंग थी।
  • भारतीय लोग जब रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं तो अपने जीवन की व्यक्तिगत घटनाओं का तो ध्यान रखते हैं, लेकिन बाहरी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं।
  • औसतन देखें तो शहरी भारतीयों का करीब 50 लाख रुपये की निधि तैयार करने का लक्ष्य होता है. हमारे सर्वे में शामिल लोगों की औसत सालाना आय करीब 5.72 लाख रुपये और औसत आयु 44 वर्ष थी। इन प्रतिभागियों का यह मानना है कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए करीब 50 लाख रुपये के निधि की जरूरत होगी यानी उनके मौजूदा सालाना आमदनी का करीब 8.8 गुना।
  • इस बात की प्रबल जरूरत है कि भारतीय वित्तीय सेवा कंपनियां रिटायरमेंट प्लानिंग पर फोकस करें ताकि भारतीय दक्षता के साथ वित्तीय निर्णय ले सकें और अपनी परेशानी को कम कर सकें।

सर्वे में शामिल 39% भारतीय कहते हैं कि रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए मार्गदर्शन करने वाला उनके पास कोई भरोसेमंद सलाहकार नहीं है, जो कि रिटायरमेंट संबंधी चिंताओं में से एक है। अध्ययन से यह खुलासा होता है कि रिटायरमेंट को लोग वित्तीय आजादी के एक धब्बे की तरह देखते हैं, यह एक ऐसी सोच है जिसका समाधान करने की जरूरत है। आगे एक बड़ा अवसर भी है, क्योंकि करीब आधे शहरी भारतीयों ने अभी तक अपने रिटायरमेंट की कोई योजना नहीं बनायी है। सर्वे से यह भी संकेत मिलता है कि संयुक्त परिवार प्रणाली में क्षरण की वजह से अब भारतीय लोग वित्तीय रूप से ज्यादा आत्मनिर्भर होना चाहते है।
इसके अलावा, यह देखते हुए कि लोग अब उच्च गुणवत्ता की वित्तीय सलाह चाहते हैं, वित्तीय सेवा उद्योग के लिए यह स्पष्ट अवसर है कि नए और अनूठे उत्पादों को तैयार करें और पेश करें। अध्ययन से यह अनुमान भी लगता है कि जिन लोगों के पास प्रोफेशनल सलाहकार थे, जिन्होंने व्यवस्थित तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग की थी और जिनके पास आय के कई स्रोत हैं, वे लोग संभवतः महामारी के इस दौर में बेहतर जीवन जी रहे हैं।
श्री मेनन ने कहा, ”जिम्मेदारी अब वित्तीय सेवा उद्योग के कंधों पर है, इसलिए हमें लगातार परिष्कृत और अनूठे रिटायरमेंट समाधान पेश करते रहना होगा। पीजीआईएम इंडिया में हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में जागरूता के प्रयासों, कस्टमाइज्ड उत्पादों और सेवाओं की अनूठा रेंज उपलब्ध कराया जाए ताकि ग्राहक वित्तीय रूप से ज्यादा सुरक्षित हो सकें। ये पहल भारतीय वित्तीय जगत की हमारी गहरी समझ पर आधारित होते हैं और हमारे पास हमारी मूल कंपनी प्रुडेंशियल फाइनेंशियल्स के रिटायरमेंट के क्षेत्र में काम करने का व्यापक वैश्विक अनुभव का आधार भी है। इस अध्ययन से मिली अंतर्दृष्टि हमें अपने ग्राहकों की और बेहतर तरीके से सेवा करने में मदद करेगी।”
श्री मेनन ने कहा, ”नियोक्ता के रूप में हम अपने कर्मचारियों की मदद, उन्हें लगातार प्रोत्साहन और उनमें फाइनेंशियल प्लानिंग की आदत डालकर कर सकते हैं, जो कि उन्हें भविष्य के लिए ज्यादा सुरक्षित बना सकता है। एक और जिस प्रमुख क्षेत्र पर जोर दिया जा सकता है, वह है-रिटायरमेंट प्लानिंग, वित्तीय आजादी और सुरक्षा के बारे में जनजागरूकता बढ़ाना।“

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