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लेन-देन की लागत में 2 बिलियन डॉलर की कमी आयी : ज्योतिरादित्य सिंधिया

नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ साझेदारी में “गुड गवर्नेंस – इंप्रूविंग ईज ऑफ डूडंग बिजनेस, रिड्यूसिंग कॉम्प्लायंस बर्डन” की थीम नेशनल वेबिनार का आयोजन किया। इस राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया। उद्घाटन समारोह में परसिस्टेंट सिस्टम्स के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष श्री आनंद देशपांडे ने उद्घाटन भाषण दिया। उद्घाटन समारोह में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिक्षा मंत्रालय और अभातशिप को इस तरह का वेबिनार आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया, जिससे देश और सभी हितधारकों को लाभ होगा।
सिंधिया ने कहा, “यह साबित हो चुका है कि सरकार अकेले देश में बदलाव या कोई क्रांति नहीं ला सकती। इस युग में प्राइवेट पार्टनरशिप बहुत जरूरी है। इसके लिए स्थिरता और विश्वसनीयता के साथ गतिमान माहौल की जरूरत है। 2015 से 2021 के बीच ईज ऑफ डूडिंग बिजनेस के क्षेत्र में सरकार की रैंकिंग में सुधार आया है। इस माइंडसेट में बदलाव का क्रेडिट माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को दिया जाना चाहिए। पीएम ने स्पष्ट रूप से बता दिया है कि हमें बिजनेस संबंधी मामले में औपचारिकताओं, मंजूरी और नियम के बोझ को कम करने की जरूरत है। इसे हितधारकों के लिए भी आसान बनाया जाना चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने पुराने और अप्रासंगिक हो चुके 1500 कानूनों को हटा दिया है।“
सिंधिया ने कहा, “2015 से 2021 के बीच ईस ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में सरकार की रैंकिंग में सुधार आया है। जिसका श्रेया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाती है। पीएम ने स्पष्ट रूप से बता दिया है हमें बिजनेस सम्बंधित मामले में औउपचारिकताओं, मंजूरी और नियम के बोझ को कम करने की जरूरत है इसे हितधारकों के लिए भी आसान बनाया जाना चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार पुराने और अप्रासंगिक हो चुके 1500 कानूनों को हटा दिया है। पुराने कानून को खतम करने के लिए ट्रांसेक्शन की लगत में 2 बिलियन डॉलर की कमी आयी। इससे न केवल रुपये की बचत हुई। यह बात शिक्षा मंत्रालय के वेबिनार ‘इम्प्रोविंग इस आफ डूइंग’ बिजनेस में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही।“
अभातशिप के अध्यक्ष प्रो॰ अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा, “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अब केवल इंडस्ट्रीज और वित्तीय संस्थानों तक ही सीमित नहीं है। अब यह एक नागरिक की जिंदगी के हर पहलू में लागू किया जा सकता है। इसका संबंध पूरे सिस्टम को सुधारने से है। जब उच्च शिक्षा की बात आती है तो कई प्रमुख हितधारक है। अभातशिप इस प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे हितधारकों और संस्थानों पर से बोझ को कम किया जा सके। इससे छात्रों को भी लाभ होगा क्योंकि हमने अनावश्यक कानून और प्रक्रियाओं के पालन के बोझ को सफलतापूर्वक कम कर दिया है। इससे उन्हें अपने कामकाज में काफी आसानी होगी। इससे छात्रों को स्कॉलरशिप का समय पर वितरण किया जा सकेगा। इससे छात्रों को होने वाले लाभ बिना किसी देरी के दिए जा सकते हैं। सरकार की इसी भावना की तर्ज पर हमने अपने अप्रूवल के सिस्टम को “हल्के, लेकिन सख्त नियमों के सिद्धांतों को अपना कर फिर से नया आकार दिया है। इससे संथानों को मान्यता, परियोजनाओं के लिए अनुदान और सेल्फ डिस्क्लोजर के आधार पर दूसरी तरह का दखल हासिल करने में मदद मिलेगी। अब हर औपचारिकता डिजिटल माध्यमों से पूरी की जाएगी।“
अभातशिप के उपाध्यक्ष प्रो. एम.पी. पुनिया ने कहा, “हल्की, लेकिन सख्त नियामक प्रणाली के सिद्धांत से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने की औपचारिकता को कम करना बहुत जरूरी है। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। इस प्रयास में हमारे अध्यक्ष प्रो॰ अनिल डी. सहस्रबुद्धे का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमारा उद्देश्य सभी को तकनीकी शिक्षा प्रदान करना है और यही हमारा अंतिम लक्ष्य है।“

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