संपादकीय

शांति धारीवाल : मुहावरों को सच्च करने वाली शख्सियत

-डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
लेखक एवं पत्रकार

सर्वगुण सम्पन्न होना भले ही एक मुहावरा हो पर यह राजस्थान के स्वायत शासन एवं नगरीय मंत्री जो कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं पर सटीक बैठता है। दलगत राजनीति और राजनीति की दलदल से ऊपर उठ कर सभी का विकास हो इस विचारधारा से प्रेरित हैं। राजनीति काजल की कोठरी है,जिसमें आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं, पर वे इस नकारात्मक विचारधारा में न उलझ कर सकारात्मक सोच के साथ बातों-जुल्मों में नहीं काम करके दिखाने में विश्वास रखते हैं।
स्वभाव से विनम्र, सेवा कार्यों में हमेशा मदद को तैयार, यथासंभव व्यक्तिगत समस्याओं से निजात दिलाना, जनता को किन कार्यो से सुविधा मिले, योजना बना कर क्रियान्वित कराने में विश्वास रखने के हामी हैं। विकास के प्रति उनका एक दृष्टिकोण औरअपना विजन है, काम कराने की ललक और काम लेने का माद्दा है। विकास के कार्य तय समय से पूरे हो और जनता को उनका लाभ जल्द मिलें हमेशा इसी जद्दोजहद में लगे रहते हैं। इसके लिए चिंता करना, बार-बात मौके पर जाकर और बैठक लेकर देखरेख और समीक्षा करते रहना उनका स्वभाव और कार्य शैली का हिस्सा है।
उनका मानना है कि राजनीति के माध्यम से जनता की सेवा का मौका मिला है। जिन्होंने चुनाव में जीता कर सरकार में भेजा हैं, उनके भी कुछ सपने होते हैं, वे सोचते हैं ये हमारे लिये कुछ अच्छा करेंगे, ऐसे में हमारी जिम्मेवारी बनती है कि हम जनता की आशाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरने का यथाशक्ति प्रयास करें।
शांति धारीवाल जी को राजनीति में सेवा के संस्कार विरासत में मिलें हैं। इनके पिता श्री रिखब चंद धारीवाल को जब राजनीति के माध्यम से उधोग मंत्री बनने का अवसर मिला था तब उन्होंने भी अवसर को परिणाम में बदलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और उद्योगों का जाल बिछा कर कोटा को देश के उद्योग पटल पर राजस्थान के कानपुर की संज्ञा से विभूषत करवाया। उन्होंने एक अमर इतिहास रचा, जिसकी कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं, लोगों की जुबान पर हैं।
ऐसे माहौल के बीच पल कर बड़े हुए शांति धारीवाल के दिल और दिमाग पर पिता के संस्कारों की गहरी छाप हैं। अवसर को परिणाम में बदलने के भावों का सुफल कोटा वासियों को पांच साल पहले भी मिला और वर्तमान में भी वे इसी भावना से अथक परिश्रम से जुटे हुए हैं, जिसका सुफल जनता को आने वाले समय में मिलेगा।
‘जो करता हैं वह इतिहास बनाता हैं, कुछ नहीं करने वाला स्वयं इतिहास बन जाता है’ मुहावरे को सच करने करने में पूरी ताकत से न केवल कोटा वरण राजस्थान की तस्वीर और तकदीर बदलने में लगें हैं धारीवाल। चर्चा कोटा की करें तो यातायात समस्या के निदान को सर्वोपरि लेकर यातायात का अधिक दबाव रहने वाले चैराहों पर फ्लाई ओवर, अंडर पास का निर्माण, सड़कों को चैड़ी करना, सीसी रोड बनाना, चौराहों का विकास, नए रास्तों की सुविधा विकास, पार्किंग व्यवस्था आदि पर विशेष ध्यान फोकस किया गया है। साथ ही शहर में अनूठे और आकर्षक उद्यानों का विकास और नगर सौन्दर्यकरण से पर्यटन को बढ़ावा मिलने वाले कार्यों को नई सोच के साथ करवा रहे हैं। इन कार्यों में नगरवासियों की भावनाओं का भी पूरा सम्मान किया जा रहा हैं। आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों को सस्ते आवास मुहैया हो, लोगों को उनकी जमीन के पट्टे मिलें और सभी को मूलभूत सविधाओं का लाभ मिले इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी उनकी पूरी दृष्टि हैं। वे चाहते हैं कोटा का हर वार्ड में ये सुविधओं हो और हर वार्ड एक आदर्श वार्ड बनें। वार्डो के समुचित विकास के लिए प्रत्येक वार्ड में 10 करोड़ रुपये की मुलभूत सुविधा विकास का खाका बनाया गया है।
धारीवाल के विकास विजन का परिणाम है कि वर्तमान में करीब बारह सो करोड़ के विकास कार्य चारोंओर चलते दिखाई दे है हैं। इनके पहले के पांच वर्षों में किये गये करीब दो हजार करोड़ के कार्य मुँह बोलती कहानी सुना रहे हैं। छावनी स्थित फ्लाईओवर, विज्ञान नगर स्थित एलीवेटेड रोड, राजीव सर्किल अण्डरपास, नाग-नागिन मंदिर के समीप स्टील ब्रिज एवं एलीवेटेड़ रोड़, बूंदी रोड एवं माला रोड़ स्थित रेलवे ओवरब्रिज, सरोवर टाॅकीज के निकट अण्डरग्राउण्ड़ पार्किंग तथा रामपुरा तक सीधी सड़क के साथ-साथ चौड़ी-लम्बी तथा डिवाइडर युक्त हरीतिमा लिए सड़कों का विकास कार्य धारीवाल जी की सफलता के प्रयासों की कहानी कहते हैं। कहानी को आगे बढ़ाते हैं तो आजादी के बाद बना अकेलगढ़ जो शहर की करीब 11 लाख की जनसंख्या को पेयजल आपूर्ति के लिए छोटा पड़ गया था, करीब आधी आबादी को पेयजल की समस्या के निदान के लिए चम्बल नदी के बाये किनारे पर 130 एम.एल.डी.योजना से अण्टाघर चैराहे से रेलवे स्टेशन की और की करीब 3 लाख से अधिक की आबादी को पेयजल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध हुई है। कृषि भूमि पर बस गई कॉलोनियों का नियमितिकरण, आवासीय पट्टे दिला कर लोगों को जमीन का मालिक बनाने, कमजोर वर्ग के लोगों को आवास एवं भूखंड उपलब्ध कराना, जैसे जनहित के कार्य सबकी जुबान पर हैं।
इन साकार प्रयासों की कड़ी के रूप में आधारभूत ढांचे के विकास के साथ-साथ नगर सौन्दर्यकरण के अनेक कार्यों में महत्वपूर्ण कार्य किशोर सागर तालाब को पर्यटन हब के रूप में विकसित किया गया है। तालाब के मध्य स्थित जगमंदिर को रात्रि में रोशनी में नहाते हुए देखना अपने आप में अलग अनुभूति कराता है। यही नहीं तालाब की पाल को मजबूत कर बारहदरी का सौन्दर्यकरण कर बैठने के लिए तालाब की और सीढ़ियों का निर्माण कर तथा एक चैपाटी विकसित कर खूबसूरत बनाया गया है। तालाब के दूसरी और विश्व के सात आश्चर्य वाले पार्क का निर्माण कराया गया है। तालाब के मध्य संगीतमय फव्वारा एवं अन्य आकर्षक फव्वारें लगाये हैं। वर्ष भर तालाब में पानी भरा रहे और नागरिक नौकायन का लुफ्त उठा सकें, इसके लिए दांई मुख्य नहर पर क्राॅस रेग्यूलेटर गेट का निर्माण कराया गया है। छत्र विलास उद्यान से जुड़े नागाजी बाग, गोपाल निवास बाग का सौन्दर्यकरण किया गया और बच्चों के मनोरंजन के लिए धुंआ रहित रेल इंजन के साथ दो ड़िब्बों की जाॅय ट्रेन चलाई गई। खड़े गणेश जी मंदिर के पास 14.30 करोड़ रूपये की लागत से नया गणेश उद्यान विकसित किया गया है। साथ ही कोटा में रंग कर्मियों की लम्बे समय से आडिटोरियम की मांग को भी पूरा करते हुए एक आधुनिक आडिटोरियम का निर्माण बालाजी मार्केट योजना में करीब 850 लोगों के बैठने की क्षमता वाले आडिटोरियम का निर्माण कराया गया। विभिन्न समाजों के लोगों को उनके सामाजिक एवं धार्मिक आदि कार्यक्रमों के लिए अनेक सामुदायिक भवनों का निर्माण जैसे और कई कार्यों की लंबी फेरिस्ट धरीवाल जी के सोच-चिंतन का परिणाम हैं।

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