संपादकीय

लोगों को मौत के आगोश में ढकेलता तंबाकू

">31 मई विश्व तंबाकू निषेध दिवस

-रमेश सर्राफ धमोरा
स्वतंत्र पत्रकार (झुंझुनू, राजस्थान)

दुनिया में हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1988 में 31 मई को हर साल दुनिया भर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। उसके बाद हर वर्ष यह दिवस मनाया जा रहा है।
तंबाकू एक ऐसी वस्तु है जिससे दुनिया का हर व्यक्ति परिचित है। चाहे कोई तंबाकू का सेवन करता हो या ना करता हूं मगर उसके दुष्परिणामों का हर व्यक्ति को ज्ञान है। आज तंबाकू दुनिया के सामने सबसे बड़ी महामारी बनी हुई है। दुनिया में सबसे अधिक मौत का कारण भी तंबाकू है। उसके उपरांत भी सबसे अधिक व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू का दुनिया के हर देष में सेवन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण तंबाकू बनती है।
भारत में भी तंबाकू का प्रयोग सदियों पुराना है। भारत में लोग मुंह में चबाकर और धूम्रपान के रूप में भी तंबाकू का उपयोग करते हैं। भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है। भारत में 42 करोड लोग धूम्रपान और चबाकर दोनों तरह से तंबाकू का उपयोग करते हैं। धूम्रपान में भारत में सबसे अधिक बीड़ी का उपयोग किया जाता है। भारत में पुरुषों में सभी तरह के पुरूष कैंसर मरीजों में से लगभग 45 प्रतिशत व महिलाओं में से लगभग 70 प्रतिशत कैंसर मरीज मुख के कैंसर से पीड़ित है।
वैज्ञानिकों के अनुसार चार हजार से अधिक प्रकार के रसायन तंबाकू के धुएं में पाए जाते हैं। तंबाकू में पाए जाने वाला मुख्य रसायन निकोटीन है जो अत्यधिक नशीला रसायन है। इसका लंबी अवधि तक प्रयोग व्यक्ति के शरीर को इसके सेवन का आदी बना देता है। लगातार तंबाकू के उपयोग से मनुष्य के शरीर का लगभग हर प्रमुख अंग प्रभावित होता है। जिस कारण उसके उपयोग करने वाले की मौत हो सकती है। तंबाकू के इस्तेमाल से मुंह, गला, गुर्दे, हृदय, फेफड़े, पक्षाघात, अंधापन जैसी बीमारियां भी हो सकती है। पुरुषों में कैंसर का 90 प्रतिशत और महिलाओं में 17 प्रतिशत से ज्यादा मुंह का कैंसर तंबाकू के उपयोग के कारण होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के करीब 125 देशों में तंबाकू का उत्पादन किया जाता है। दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है। जबकि भारत में प्रतिवर्ष 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या दुनिया में एक अरब से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में धूम्रपान करने वालों में से करीब 10 प्रतिशत लोग भारतीय हैं। भारत का तंबाकू निर्यात में दुनिया के ब्राजील, अमेरिका, चीन, मलावी और इटली के बाद छठा स्थान आता है।
2008 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी तंबाकू विज्ञापनो के प्रचार पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। उसके बाद दुनिया भर में तंबाकू उत्पादों के विक्रय के लिए विज्ञापन करने पर रोक लगी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य पोषण विभाग के अनुसार दुनिया भर में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या में हाल ही में कमी दर्ज की गई है। संगठन के अनुसार दुनिया भर में धूम्रपान में तंबाकू का इस्तेमाल करने वालों में 80 प्रतिशत पुरुष और 20 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। संगठन के अनुसार तंबाकू सेवन से संबंधित ज्यादातर मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती है। इनमें अधिकतर एशिया के देश है जहां तंबाकू उद्योग बहुत आक्रमक तरीकों से प्रचार के जरिए लोगों को तंबाकू सेवन करने के लिए प्रेरित करता हैं।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार देश में 28.6 प्रतिशत लोग जिनमें 42 प्रतिशत पुरुष और 14 प्रतिशत महिला किसी ना किसी तरह तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर वर्ष तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों की वजह से करीबन 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में तंबाकू उत्पादों पर प्रकाशित होने वाली स्वास्थ्य से संबंधित चेतावनी में संशोधन करते हुए इसकी अधिसूचना जारी की है। इसके लिए सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद पैकेजिंग कानून 2008 में संशोधन किया गया है। संशोधित नियम एक सितंबर 2020 से प्रभावी होंगे। नियमों के अनुसार एक सितंबर 2020 के बाद निर्मित, आयातित या पैकिंग किए जाने वाले सभी तंबाकू उत्पाद के पैकेट पर तय मानकों के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी विशेष चेतावनी का प्रदर्शन किया जाना जरूरी होगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश और झारखंड के 30 से 40 प्रतिशत आबादी विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में तंबाकू के उपभोग में लगातार कमी आ रही है। लेकिन उत्तर पूर्व और हिंदी भाषी राज्यों में तंबाकू उपयोग करने की प्रवृति खतरनाक स्तर पर बनी हुयी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 26.7 करोड़ वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से दो तिहाई हिंदी भाषी राज्यों में रहते है। अकेले यूपी में 6 से 8 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। वही झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड में 20 से 30 प्रतिशत वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं। गोवा, केरल, पंजाब, हिमाचल और तेलंगाना में सबसे कम तंबाकू का उपयोग होता है। जबकि त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम, उड़ीसा, असम में सबसे अधिक तंबाकू का उपयोग होता है।
देश में जल्दी ही बीड़ी, सिगरेट पीने और तंबाकू उत्पादों के सेवन करने की कानूनी उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया जाएगा। इस नियम को तोड़ने पर जुर्माने की राशि 200 रूपये से बढ़ाकर 2000 रूपये तक किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की एक समिति ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है जिसे जल्दी लागू किया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में कानून लागू होने के बाद 21 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं कर सकेगा। साथ ही 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचना भी अपराध होगा। देश में पहली बार तंबाकू उत्पादों के असली नकली की पहचान के लिए पैकेट पर वार कोड लगाया जा सकता है। इससे देश में न सिर्फ तंबाकू उत्पादों की गुणवत्ता पर नियंत्रण किया जा सकेगा बल्कि अवैध कारोबार पर भी अंकुश लग सकेगा।

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