संपादकीय

जलवायु शिखर सम्मेलन COP26 में लिया गया यह फैसला क्या भेजेगा कोयले को इतिहास की किताब में?

यूनाइटेड किंगडम के नेतृत्व में, दुनिया के कुछ दो दर्जन देशों और अन्य संस्थानों ने, ग्लोबल कोल टू क्लीन पावर ट्रांजिशन स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर कर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई कोयला बिजली उत्पादन में सभी निवेशों को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, इस साल के जलवायु शिखर सम्मेलन, COP26, के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कहा, “आज, मुझे लगता है कि हम कह सकते हैं कि कोयले का अंत निकट है।”
आगे, ई3जी में जीवाश्म ईंधन अनुसंधान प्रबंधक, लियो रॉबर्ट्स कहते हैं, ‘‘ग्लासगो में पिछले कुछ दिनों के दौरान कोयले से विमुखता तेजी पकड़ रही है। नयी साझेदारियों और धन कोयले को इतिहास की बात बनाने के लिये एक साथ आ रहे हैं। देशों की प्रतिबद्धताओं को गंभीर दानदाताओं के धन से सम्बल मिला है, जो दुनिया के कोयला जलाने वाले देशों को सबसे अधिक प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से मुंह मोड़ने और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को लागू करने में मदद करने के लिए नए तंत्र और उपकरणों से लैस है।”
वो आगे कहते हैं, “बृहस्पतिवार को की गयी घोषणाओं और की गयी पहल की व्यापकता औ गहराई पर गौर करें तो इससे यह इशारा मिलता है कि कोयले से पीछा छुड़ाने का सिलसिला कितनी तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। अनेक देश कोयले से चलने वाली नयी परियोजनाओं पर निवेश बंद करने का निर्णायक विकल्प चुन रहे हैं। अनेक देशों ने तो अपने-अपने कोयला बिजलीघरों को आवश्यक रूप से बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। संयुक्त रूप से ये घोषणाएं यह जाहिर करती है कि कोयला युग का अंत अब नजदीक आ रहा है। कोयले को इतिहास के कूड़ेदान में ले जाने वाली कन्वेयर बेल्ट आगे बढ़ रही है। वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य के अनुरूप इसे और तेज करने की आवश्यकता है।’’

“सीओपी26 में कोयले की प्रगति दर्शाती है कि वैश्विक कोयले से बाहर निकलने के लिए परिस्थितियाँ परिपक्व हैं। अब हमें बड़े पैमाने पर आने वाले स्वच्छ ऊर्जा वित्त को सभी देशों को तेजी से उपलब्ध कराने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी देश 2030 तक ओईसीडी देशों को कोयला मुक्त और शेष दुनिया को 2040 तक कोयले से स्वच्छ बनाने के लिए आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें।”
इसी क्रम में, एम्बर के ग्लोबल लीड डेवी जोंस ने कहा, “आज की प्रतिबद्धताओं से सभी महाद्वीपों को कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की अपनी यात्रा में मदद मिलेगी। यह इतना बड़ा क्षण है क्योंकि अब तक वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की महत्वाकांक्षा में सबसे बड़ा अंतर कोयला उत्पादन में तेजी से गिरावट है – यानी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए 2030 तक और शेष दुनिया में 2040 तक कोयला बिजली को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना।’’
“यूरोप में, पोलैंड कोयले का आखिरी बड़ा गढ़ है, और यह ज्यादातर यूरोप की कोयला-मुक्त बनने के सफर को अंजाम देगा। अफ्रीका में, दक्षिण अफ्रीका और मोरक्को अफ्रीका के 95% कोयला उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए यह अफ्रीका को कोयला मुक्त बनने की ओर ले जाएगा। एशिया में, वियतनाम जैसे विकासशील देश पहली बार कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दुनिया के तीन सबसे बड़े कोयला देशों – चीन, भारत और अमेरिका ने पहले ही प्रतिबद्धताएँ बना ली हैं जो अपनी बिजली प्रणालियों को कोयले से दूर ले जाने की शुरुआत कर रहे हैं। यह गति इस तथ्य को रेखांकित करती है कि कोयले से स्वच्छ बिजली में तत्काल रूपांतरण करना अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और जलवायु के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।’’
“यह ब्रिटिश सरकार द्वारा तैयार की गयी साइन-ऑन सूची नहीं है। इन देशों में से प्रत्येक में यह वर्षों का राष्ट्रीय कार्य है और वे इस पर काम कर रहे हैं कि वे कितनी जल्दी कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर सकते हैं। ये देश कोयले को चरणबद्ध ढंग से खत्म करना चाहते हैं। इस सूची में फाइनेंसर भी शामिल हैं, जो कोयला नहीं बल्कि स्वच्छ ऊर्जा को ऐसी जगह के तौर पर रेखांकित करते हैं, जहां स्मार्ट धन है।’’
“कोयले को लेकर पेरिस से अब तक की कहानी यही रही है कि नए कोयला बिजली संयंत्रों के निर्माण को कैसे रोका जाए। यह घोषणा ‘कोई नयी कोयला परियोजना नहीं’ के लक्ष्य से हटकर “कोयले को चरणबद्ध से समाप्त’ करने की तरफ पूरी तरह से ले जाती है।’’
अफ्रीका के एफसीडीओ मंत्री विकी फोर्ड ने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा की ओर न्यायोचित और समावेशी रूपांतरण ब्रिटेन और अफ्रीका के लिए फायदे का सौदा है। कोयले को चरणबद्ध तरीके से खत्म करना ब्रिटेन के सीओपी प्रेसीडेंसी का एक केंद्रीय उद्देश्य है और यह विकासशील दुनिया में सैकड़ों हजार हरित रोजगार पैदा करते हुए ब्रिटिश लोगों के लिए एक स्वच्छ, हरित भविष्य में सहयोग करेगा।’’
‘‘यह नया वित्त पोषण अक्षय ऊर्जा में रूपांतरण करने वाले अफ्रीकी देशों के प्रस्ताव पर सहयोग को रूपांतरित कर देगा। द अफ्रीका रीजनल क्लाइमेट एंड नेचर प्रोग्राम पूरे अफ्रीका में हरित बिजली नेटवर्क का समर्थन करेगा, जिससे 4 मिलियन से अधिक लोग लाभान्वित होंगे और ट्रांसफॉर्मिंग एनर्जी एक्सेस प्लेटफॉर्म विकासशील दुनिया भर में 25 मिलियन अधिक लोगों को स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करते हुए देखेगा।’’
ब्रिटेन पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से कई सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। ब्रिटेन वर्ष 2024 तक कोयला बिजली को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह 2035 तक एक डीकार्बोनाइज्ड पावर सिस्टम के साथ अक्षय ऊर्जा उत्पादन को आगे बढ़ा रहा है। यह इस बात को दर्शा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से बढ़ती अर्थव्यवस्था की कीमत पर निपटने की जरूरत नहीं है।
वर्ष 1990 से 2019 के बीच ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं कार्बन उत्सर्जन में 44 प्रतिशत की गिरावट आयी। यह जी7 देशों में शामिल किसी मुल्क में सबसे तेजी से आयी गिरावट है। ब्रिटेन में कोयले से बनने वाली बिजली अब 2 प्रतिशत से भी कम है जो एक दशक पहले करीब 40 प्रतिशत थी। इन उपलब्धियों में पिछले महीने ब्रिटेन के लैंडमार्क नेट जीरो स्ट्रैटेजी का प्रकाशन भी शामिल है, जिसमें उद्योगों तथा उपभोक्ताओं को अक्षय ऊर्जा को अपनाने के लिये उठाये जाने वाले जरूरी कदमों के बारे में रेखांकित किया गया है। वहीं, इसमें अच्छे वेतन वाली सैकड़ों हजारों नौकरियों और वर्ष 2030 तक 90 अरब पाउंड तक के निजी निवेश के बारे में भी बताया गया है। 

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