सहपीडिया-यूनेस्को फेलोशिप के दूसरे संस्करण के लिए आवेदन आमंत्रित
नई दिल्ली। Sahapedia.org ने सांस्कृतिक शोध और डाॅक्यूमेंटेशन के लिए यूनेस्को के साथ अपने फेलोशिप पाठ्यक्रम का दूसरा संस्करण शुरू करने की घोषणा की है। 2017 का पहला संस्करण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और इससे भारतीय कला, संस्कृति, परंपरा और धरोहर के कई दिलचस्प पहलुओं पर विस्तृत आॅडियो-विजुअल रिकाॅर्ड का संचार हुआ है।
फेलोशिप का पहला संस्करण दीक्षांत समारोह के साथ शनिवार (28 अप्रैल) को समाप्त हो गया। सहपीडिया के अध्यक्ष श्री एस. रामादोरई ने 2017 का सहपीडिया-यूनेस्को फेलोशिप पाने वालों को नई दिल्ली स्थित संस्कृति म्यूजियम के प्रांगण में प्रमाण-पत्र वितरित किए।
Sahapedia.org , जो भारतीय कला का एक खुला आॅनलाइन विश्वकोष संसाधन है, इन शोधकर्ताओं की विषय वस्तु को समग्र रूप से मई 2018 तक प्रकाशित करेगा।
श्री रामादोरई ने कहा, “हमारे सहपीडिया-यूनेस्को फेलोशिप शुरू करने का एक कारण कार्यक्षेत्र में रहने वालों और शिक्षण क्षेत्र में रहने वालों के बीच संरक्षण और संबंधों को प्रोत्साहित करना था। शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों के बीच संपर्क जितना मजबूत होगा, हमारी सांस्कृतिक विविधता को सफलतापूर्वक फलने-फूलने का अवसर उतना ही अधिक मिलेगा और इसका असर अन्य विकास लक्ष्यों पर भी पड़ेगा।”
उन्होंने कहा, “भारतीय कला एवं ज्ञान पद्धतियों के किसी भी विषय में दिलचस्पी रखने वाले हम सभी को एक ऐसा माहौल बनाने की दिशा में काम करना होगा, जो विविधतापूर्ण और समावेशी सांस्कृतिक बुनियाद को मजबूत कर सके जिसने हमें एक देश के तौर पर एक सूत्र में पिराये रखा है।”
पहले संस्करण के तहत शुरू की गई शोध परियोजनाएं भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता को प्रतिबिंबित करती हैं- जो कोलम (जमीन पर उकेरी जाने वाली प्राचीन कला जो आज भी तमिलनाडु के घर-घर में फैली हुई है), भोजपुरी भाषा के निर्गुण गीत और बंगाली कव्वाली तथा पश्चिम बंगाल का परंपरागत मुस्लिम विवाह गीत से लेकर लद्दाख के रोंग-चू-ग्यूद क्षेत्र की वैवाहिक रस्में और मुगलकाल में उस्मान वंश के हमाम तक फैली हुई हैं।
पोमई जनजाति के लोक संगीत वाद्ययंत्रों, अंगामी नागाओं के मिथक और वीरगाथाओं समेत पूर्वोत्तर की कमख्यात परंपराएं और अरुणाचल प्रदेश की का पूंग तेई नृत्य-नाटिका इस विरासत की समृद्धि के लिए रिकाॅर्ड की गई है। जर्मनी के ड्रेसडेन स्टेट म्यूजियम के संग्रह से ली गई 17वीं-18वीं सदी के भारतीय कला की झलक से जुड़े विषय को भी सम्मान दिया गया है।
2018 के सहपीडिया-यूनेस्को फेलोशिप को संस्कृति मंत्रालय की ओर से राष्ट्रव्यापी पहचान रखने वाले सांस्कृतिक संगठनों को आर्थिक मदद देने की योजना के तहत सहयोग मिला हुआ है।
फेलोशिप के दूसरे संस्करण में सहपीडिया ने विषय केंद्रित क्षेत्रों की पहचान की है जिन्हें चयन प्रक्रिया में तरजीह दी जाएगी। विस्तृत जानकारी यहां उपलब्ध हैः
https://www.sahapedia.org/sahapedia-unesco-fellowships-2018
फेलोशिप के तहत प्रत्येक शोधकर्ता को 40,000 रुपये का अनुदान मिलेगा। डाॅक्टरेट के बाद वाले स्काॅलर, डाॅक्टरेट करने वाले अभ्यर्थी, पोस्ट-ग्रैजुएट और ग्रैजुएट (2018 के ग्रीष्मकालीन सत्र में ग्रैजुएट जा रहे छात्र भी) आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 जून 2018 है। चुने गए आवेदकों से अगस्त 2018 तक अपने प्रोजेक्ट शुरू कर देने और इसे छह माह में पूरा कर लेने की उम्मीद की जाती है।
सहपीडिया की कार्यकारी निदेशक डाॅ. सुधा गोपालकृष्णन ने कहा, “सहपीडिया-यूनेस्को फेलोशिप एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत हम भारतीय कला एवं संस्कृति के विविध क्षेत्रों में शोध को सहयोग करते हैं, चाहे वे क्षेत्र प्रसिद्ध हों या अपेक्षाकृत कमख्यात स्वरूपों और अभिव्यक्ति में हों। यह युवा शोधकर्ताओं और क्षेत्रीय प्रैक्टिसनर्स दोनों को अपनी रुचि के क्षेत्रों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।”
उन्होंने कहा, “इस फेलोशिप के जरिये हम लोगों को उन समाजों और कार्यों में काम करने के लिए समर्थन देना चाहते हैं, जो अक्सर क्षमता रखने के बावजूद उपेक्षित रहते हैं और हम उन्हें अधिक से अधिक लोगों की नजर में लाना चाहते हैं।”