शिक्षा

क्यूआर कोड्स के साथ किताबों से पढ़ाई होगी मजेदार और इंटरेक्टिव

नई दिल्ली। नेक्स्ट एजुकेशन इंडिया प्रा.लि भारत का अग्रणी एजुकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर होने के साथ ही के-12 सेग्मेंट में पुरोधा रहा है। उसने अपनी पाठ्यपुस्तकों में अब क्यूआर कोड्स भी जोड़ दिए हैं। यह कदम देश के एजुकेशन लैंडस्केप को डिजिटली डिसरप्ट करने के लिए उठाया गया है। 2डी/3डी एनिमेशंस जैसी कटिंग-एज टेक्नोलॉजी, रियल लाइफ वीडियो और डिजिटल सिमुलेशंस के जरिये, नेक्स्ट एजुकेशन के टेक-बेस्ड सॉल्यूशंस टीचिंग-लर्निंग के अनुभव को टीचर्स और स्टूडेंट्स के लिए और समृद्ध कर रहे हैं। नेक्स्ट एजुकेशन भारत की उन पहली कंपनियों में शुमार है जिसने पाठ्य पुस्तकों के साथ टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट किया है। स्टूडेंट्स को हाई-क्वालिटी, क्रॉस-चैनल मल्टीमीडिया कंटेंट परोसा है, जिसके जरिये स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच का फायदा उठाया जा सके। इस फीचर ने अब तक 17 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को लाभ पहुंचाया है।
नेक्स्ट एजुकेशन ने क्यूआर कोड्स को पाठ्यपुस्तक में रणनीतिक जगहों पर रखा है। यह हुक्स के तौर पर काम करते हैं जो स्टूडेंट्स को एंगेज रखते हैं। उन्हें पढ़ाई से जोड़े रखते हैं। उन्हें मुख्य कंसेप्ट्स के बारे में गहराई से समझ विकसित करने का माध्यम बनते हैं। उदाहरण के लिए, पाचन प्रक्रिया को पढ़ने के दौरान, स्टूडेंट्स सिर्फ क्यूआर कोड को स्कैन पर पाचन तंत्र में आहार की यात्रा पर बने वीडियो तक पहुँच सकते हैं। इसके बाद वे पॉप क्विज देखकर यह भी पता लगा सकते हैं कि उन्हें यह कंसेप्ट कितना समझ आया। वे संबंधित ई-बुक को भी डाउनलोड कर सकते हैं।
इस पर बात करते हुए नेक्स्ट एजुकेशन के सह-संस्थापक और सीईओ, ब्यास देव राल्हन ने कहा, “भारत इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है। इसका मतलब यह हुआ कि दुनियाभर में यहाँ सबसे ज्यादा संभावित स्टूडेंट्स हैं। इस युवा कंज्यूमर बेस को लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल टूल्स चाहिए जिससे वे अपने पढ़ने-सीखने के अनुभव को नया आयाम दे सके। हालांकि, चूंकि ज्यादातर डिजिटल टूल्स जैसे कि लैपटॉप्स, टेबलेट्स और पीसी अब भी महंगे हैं और देश के कई परिवारों की पहुँच से दूर है, भारत में अब भी किताबें ही पढ़ाई का सबसे प्रभावी माध्यम बने हुए हैं। हम देशभर में सीखने वालों को किताबों की पर्वेसिवनेस और स्मार्टफोन का इस्तेमाल एंगेजिंग, इमर्सिव और सुपरलेटिव एक्सपीरियंस देना चाहते हैं।”

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