शिक्षा

ताकि न हो किताबों, लेखों और रिसर्च पेपर की चोरी

क्वांटम लगातार विकास की नित नई मंजिलों की ओर बढ़कर ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। क्वांटम यूनिवर्सिटी में मिलने वाली गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा इसके पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति का काम कर रही है। क्वांटम को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिए जाने से संस्थान की सफलता का ग्राफ अपने क्लाइमेक्स पर पहुंच गया है। लगातार बदलती अवधारणाओं और आधुनिक समाज की मांगों को क्वांटम अच्छी तरह समझ गया है। विद्वानों और बुदिधजीवियों को कॉपीरीइट और उनके रचनाओं के पेटेंट की सुविधा देने के लिए यूनिवर्सिटी ने बौद्धिक संपदा अधिकार सेल का गठन किया है। सेल की कार्यप्रणाली के संबंध में छात्रों और विद्वानों को जानकारी देने के लिए क्वांटम यूनिवर्सिटी के कैंपस में वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
बौद्धिक अधिकार मानवीय क्रियात्मक गतिविधियों की अनोखी श्रेणी का प्रतीक है। आमतौर पर साधारण भाषा में प्रापर्टी, जमीन-जायदाद और वह धनराशि होती हैं, जो कोई भी व्यक्ति अपने कारोबार या बिजनेस में लगाता है। इसी तरह बौद्धिक संपदा से मतलब उन कार्यों से हैं, जिन्हें मानवीय रचनात्मकता का नतीजा कहा जाता है। कला, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अपने आइडियाज या विजन को जिस शोध, साहित्यिक कार्यों, लेख या रिसर्च के माध्यम से प्रकट किया जाता है। वह रचनाएं व्यक्ति का बौद्धिक संपदा अधिकार बन जाती है। पेटेंट कॉपीराइट या ट्रेडमार्क इन रचनात्मक लेखों के कॉन्टेंट की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। ये तय करते हैं कि किसी खास आइडिया या लेख का क्रेडिट उसकी रचना करने वाले व्यक्ति को ही मिले। ये पेंटेंट इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक गतिविधियों से जुड़े कार्यों के लिए दिए जाते हैं। किसी खास काम को पूरा करने के लिए बनाए गए किसी खास डिजाइन या सिस्टम की पहचान पेटेंट नंबर से होती है। किताबों और साहित्यिक कार्यों के लिए कॉपीराइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेड मार्क का इस्तेमाल कोई कंपनी अपने वाणिज्यिक और कारोबारी हितों की सुरक्षा के लिए करती है।
इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता डॉ. श्वेता सिंह थीं। कार्यशाला में मौजूद लोगों को बौद्धिक संपदा से जुड़े विषयों की अवधारणा समझाते हुए उन्होंने कहा कि पेंटेंट और कॉपीराइट की महत्ता की तुलना जमीन के रजिस्ट्रेशन से की जा सकती है। जैसे किसी जमीन-जायदाद का मालिक बनने के लिए रजिस्ट्रेशन पेपर की जरूरत होती है। इसी तरह रचनात्मक और बौद्धिक कार्यों का पेंटेंट हमें बताता है कि उस रचना, लेख, शोधप्रबंध या संगीत का मूल रचयिता कौन है? वर्ल्ड इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूआईपोओ) की रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया कि चीन बौद्धिक संपदा अधिकार के मामले में सक्रिय खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। चीन में हर साल 12 लाख लोग पेटेंट के लिए आवेदन करते हैं, जबकि इसकी तुलना में भारत में 40 हजार पेटेंट के लिए आवेदन किया जाता है।
डॉ. सिंह ने एप्पल की ओर से लागू की गई पेटेंट डायनेमिक्स का जिक्र किया। एप्पल की केवल 15 प्रॉडक्ट्स के साथ मार्केट में प्रभावशाली भूमिका है। इसके पीछे कारण यह दिया जा रहा है कि कंपनी के इन्हीं 15 श्रेणियों में 15 हजार पेटेंट है। कंपनी के हरेक प्रॉडक्ट के लिए 1000 पेटेंट है। डॉ. श्वेता सिंह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने मूल काम के लिए रॉयलटी तब-तब मिलती है, जब-जब उसके काम का इस्तेमाल किया जाता है। किसी क्रिएटिव वर्क का कॉपीराइट उसके रचनाकार की मौत के 60 साल बाद तक वैध रहता है।
यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष श्री शोभित गोयल ने भी बौद्धिक संपदा अधिकारों की जरूरत और महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद दर्शकों को क्वाटंम आईपीआर सेल के संसाधनों से लगातार मदद लेने को कहा। इससे तकनीक के क्षेत्र में नए विचारों का दुरुपयोग रुकेगा और किसी लेख, शोध प्रबंध या संगीत की रचना करने वाले व्यक्ति की ग्लोबल स्तर पर पहचान भी सुनिश्चित होगी। क्वांटम ने कम से कम 30 पेटेंट का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है और इसके लिए काम पूरी रफ्तार से शुरू किया है। क्वांटम के पास शोध कार्य को अपना पूरा समर्थन देने का आधारभूत ढांचा है। सभी छात्रों और टीचरों ने इस दिशा में प्रयास करने शुरू कर दिए हैं कि क्वाटंम की लैब में होने वाले किसी चीज का आविष्कार से समाज की जरूरतों का समाधान किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *