शिक्षा

जेजीयू ‘क्यूएस’ वैश्विक रैंकिंग 2020 में विश्व के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में शामिल होने वाला भारत का पहला निजी विश्वविद्यालय बना

नई दिल्ली। ओ.पी.जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय (जे जी यू) को क्यूएस द्वारा वैश्विक शीर्ष के 150 विश्वविद्यालयों में उन सभी युवा विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है जिनकी आयु 50 वर्ष से कम है। क्यूएस वैश्विक रैंकिंग 2020, में स्थान बनाने वाले विश्वविद्यालयों में सिर्फ तीन विश्वविद्यालय ही ऐसे हैं, जो इस रैंकिंग में 1969 के बाद अपना स्थान बना पाए हैं. इसमें सबसे कम उम्र के विश्विद्यालयों में ओपी जिंदल विश्वविद्यालय को यह गौरव प्राप्त हुआ है, जिसकी आधारशिला 2009 में ही रखी गई थी। इसके अलावा इस वर्ष यह गौरव आई.आई.टी गुवाहटी और अन्ना विश्वविद्यालय को भी प्राप्त हुआ है, जो कि क्रमशः 1994 और 1978 में स्थापित हुए।
क्यूएस वैश्विक रैंकिंग 2020 में अपना स्थान बनाने वाला जे.जी.यू विश्वविद्यालय भारत का एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जो सिर्फ सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी जैसे विषयों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करता है। क्यूएस वैश्विक रैंकिंग के क्षेत्रीय प्रबंधक और क्यूएस आईदृगॉज के सीईओ श्री अश्विन फर्नांडीज के अनुसार “भारत ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है, और इस प्रगति का परिणाम इस वैश्विक रैंकिंग के जरिए दिखाई भी दे रहा है। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि ओ.पी.जिंदल विश्वविद्यालय वैश्विक शीर्ष के 150 विश्वविद्यालयों में उन सभी युवा विश्वविद्यालयों में स्थान बना पाने में कामयाब रहा है, जिनकी आयु 50 वर्ष से कम है”।
उन्होंने आगे भी कहा कि “जिस तेजी के साथ जे.जी.यू जैसे निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय ने अपने गठन के सिर्फ दस वर्षों में ही यह तेजी हासिल की है, वह अन्य शैक्षिक संगठनों के लिए एक मिसाल है। सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों के शैक्षिक संस्थानों को जे.जी.यू से सीखना चाहिए। अच्छा, सक्रिय और पारदर्शी प्रबंधन जो की अपनी पूरी जिम्मेदारी तथा पारदर्शिता के साथ इस कार्य में लगा हुआ है और इसमें उसने सफलता भी पाई है, यह रैंकिंग उनकी सिर्फ उसी भावना का एक प्रतिफल मात्र है।”
युवा विश्वविद्यालयों की यह वैश्विक रैंकिंग विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के बारे में कहीं अधिक बारीक नजरिया प्रस्तुत करती है, जो आधुनिक विश्व में स्थापित किए गए हैं, एक ऐसे वातावरण में जिसने सूचना संचार प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाया है।
श्री नवीन जिंदल, जे.जी.यू के संस्थापक कुलपति ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि “जे.जी.यू की उपलब्धियों की सूची में यह वैश्विक रैंकिंग एक और सफल हस्ताक्षर है। एक युवा, निजी, बिना किसी लाभ और परोपकारी विश्वविद्यालय के रूप में, जे जी यू अपनी रणनीतिक पहल के माध्यम से एक आधुनिक और बदलते परिवेश के अनरुप अपेक्षाकृत रुप से जल्दी से अनुकूल होने की क्षमता रखता है, और इसने अपने इस गुण का उपयोग शैक्षिक क्षेत्र के पूर्ण लाभ के लिए भी किया है। यह विश्वविद्यालयों के वैश्विक संघ में भारत के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जिसने ज्ञान सृजन और अनुसंधान के क्षेत्र में हमारा नेतृत्व स्थापित किया है। जे.जी.यू के नेतृत्व, छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को मेरी तरफ से हार्दिक बधाई”।
जे.जी.यू के संस्थापक उप-कुलपति प्रोफेसर सी.राज कुमार ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि “यह उस विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो अभी सिर्फ अपनी स्थापना के महज 10 वर्ष ही पूरे कर रहा हो . यह जेजीयू के शैक्षिक सदस्यों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों के जुनून, उनकी प्रतिबद्धता और उनके समर्पण को एक प्रकार की मान्यता है, यह उपलब्धि एक प्रमाण है कि भारत जैसे देश में क्या संभव नहीं है, अगर हम संस्थान निर्माण की सामूहिक कल्पना के आधार पर काम करते हैं। युवा विश्वविद्यालयों की रैंकिंग के भीतर, हम अभी भी उन विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जो 1969 से अस्तित्व में हैं। फिर भी, हम सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी, कानून और वास्तुकला जैसे अव्यावसायिक अध्ययनों पर केंद्रित विश्वविद्यालय के रूप में बने रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने शुद्ध रुप से व्यवसायिक विषयों जैसे इंजीनियरिंग और चिकित्सा से एक दूरी बनाई है, जिससे यह उपलब्धि हमारे लिए और खास तथा महत्वपूर्ण हो जाती है”।
जे.जी.यू 50 वर्ष से कम आयु के 150 विश्वविद्यालयों में सबसे कम उम्र का विश्वविद्यालय है। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि क्यूएस वैश्विक रैंकिंग में, सभी आयु वर्ग के विश्वविद्यालय एक दूसरे के साथ खुली प्रतिस्पर्धा करते हैं और युवा विश्वविद्यालय अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक प्रतियोगी नुकसान की स्थिति में रहते हैं। जिसका साधारण सा अर्थ यह हुआ कि आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जो 800 वर्ष पहले स्थापित हुआ था, वह प्रतियोगिता में सीधे तौर से जेजीयू के साथ है, जिसकी स्थापना सिर्फ दस वर्ष पहले ही हुई है। इस प्रतियोगिता में संस्थान की आयू ,उसकी आकादमिक और औद्योगिक प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। औद्योगिक और आकादमिक साख क्यूएस डब्लयू.यू.आर का एक प्रमुख पैरामीटर हैं।
क्यूएस ड़ब्ल.यू.आर अपनी रैंकिंग के जरिए हर वर्ष विश्व के लाखों विश्वविद्यालयों के शैक्षिक और दाखिले की प्रक्रिया में भरोसेमंद कारक बनकर उभरता है। यह रैंकिंग विश्वस्तरीय शैक्षिक मानकों के आधार पर तय की जाती है, जैसे कि छात्र-शिक्षक अनुपात, आकादमिक और औद्योगिक साख, आकादमिक अनुसंधान और उसका प्रभाव, इन सब पैमानों पर किसी संस्थान को परखा जाता है, तब कहीं इस वैश्विक रैंकिंग में किसी संस्थान को स्थान मिलता है।
19 जून 2019 को क्यूएस की वैश्विक(ड़ब्लयू यू आर) रैंकिंग 2020 जारी की गई थी। इस रैंकिंग में विश्व भर के 28,000 विश्वविद्यालयों ने भाग लिया था, जिसमें सिर्फ चार फीसदी विश्वविद्यालय ही क्यूएस रैंकिंग के प्रदर्शन मापदंड़ पर खरे उतर सके थे। अभी तक सिर्फ 23 भारतीय विश्वविद्यालयों को ही इस वैश्विक रैंकिंग में स्थान प्राप्त हुआ था, जिनमें से जेजीयू सबसे कम आयू वर्ग का एकमात्र नया प्रवेशकर्ता है।

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