मेरी परवरिश ने मेरी आवाज को ढूंढने में मदद की : कल्कि
शब्दों पर ध्यान दिए बिना अपने विचार देने वाली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कल्कि कोचलिन का कहना है कि उनकी परवरिश और सांस्कृतिक चेतना ने उन्हें एक स्वछंद व्यक्ति बनने में मदद की है। लैंगिक समानता हो, चाहे महिलाओं के यौन उत्पीड़न या एलजीबीटी समुदाय को सर्मथन, कल्कि ने हमेशा अपने विचारों को दृढ़ता से व्यक्त किया है।
कल्कि से सामाजिक मुद्दों पर खड़े होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, ‘मुझे लगता है कि मेरी परवरिश ने मुझे मेरी आवाज और विचारों की तलाश में मदद की और एक विशिष्ट प्रकार की संवेदनशीलता मेरे अंदर विकसित की। मैं एक बहुत ही खुले सांस्कृतिक वातावरण में बड़ी हुई हूं, क्योंकि मैं एक फ्रांसिसी-दक्षिण भारतीय परिवार में पैदा हुई थी और ओरोविल आश्रम में बड़ी हुई, वहां का पर्यावरण बहुत ही समावेशी था। मैं धार्मिक नहीं हूं, लेकिन बहुत आध्यात्मिक हूं।’
कल्कि ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में प्रदर्शन के दौरान साझा किया कि उन्हें पता है कि सही मुद्दे पर उनकी राय लोगों के दिलों को छूते हैं। कल्कि ने कहा, ‘चूंकि यहां बैठे दर्शक देश के अलग अलग कोने से आए विजेताओं, जो नियमित थिएटर दर्शक नहीं थे, उन्हें देख चुके थे, इसलिए मैं थोड़ी चिंतित और परेशान थी कि वे मेरे प्रदर्शन के बारे में कैसे प्रतिक्रिया देंगे। लेकिन प्रदर्शन के अंत में जब मुझे लोगों ने खूब सराहा, तब मुझे एहसास हुआ कि उन्होंने मेरे इस प्र्दशन की प्रासंगिकता को समझा है।’
कल्कि जल्द ही ‘रिबन’ नाम की फिल्म में दिखाई देंगी, जहां वह एक नवजात शिशु लड़की की एक युवा मां का किरदार निभा रही हैं।