मनोरंजन

मैंने अपने पिता को चुना और उनके साथ बना रहा : अयाज खान

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर जल्द ही प्रसारित किया जाने वाला शो ‘जिंदगी के क्रॉसरोड्स’ जीवन के ड्रामा से प्रेरितए जिंदगी बदल देने वाली जुड़ने योग्य कहानियां प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। हर एपिसोड एक नई कहानी दिखाएगा और मुख्य किरदार द्वारा एक ‘क्रॉसरोड’ निर्णय लिए जाने से पहले, यह विचार-विमर्श करने के लिए स्टूडियो के दर्शकों से चर्चा करेगा। यह दर्शक हमारे देश का प्रतिनिधित्व हैं और वे बताएंगे कि हममें से ज्यादातर लोग उस स्थिति में क्या करते। प्रसिद्ध टेलीविजन एक्टर राम कपूर इस शो के मेजबान के रूप में दिखेंगे जो न केवल दर्शकों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रेरित करेंगे बल्कि उनके उस फैसले में ‘क्यों’ की खोज भी करेंगे ताकि प्रदर्शित नरेटिव्स के लिए दर्शकों के विचारों में विभिन्न चर्चा की स्थितियों को जीवंत किया जा सके। कार्यदिवसें के प्राइमटाइम पर एक दिलचस्प और पहले कभी न देखे गए प्रारूप के साथ, व्यक्ति केवल सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद कर सकता है।
एक ऐसी ही पहेलीनुमा कहानी है ‘स्पेशल चाइल्ड’ के विषय पर, जहां अयाज खान को खुद को एक पिता की जगह रखते हुए दिखाया जाएगा, जो इस संशय में होगा कि एक स्पेशल चाइल्ड को जन्म दिया जाए या फिर उस बच्चे का गर्भपात करवा दिया जाए। यह दिल को छू लेने वाली एक कहानी है जो निश्चित तौर पर दर्शकों के मन को मंत्रमुग्ध करते हुए उन्हें देश के ऐसे हजारों खास बच्चों के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगा।
अयाज खान ने टिप्पणी की, ‘जिंदगी के क्रॉसरोड्स के लिए शूटिंग करना बेहतरीन अनुभव था, हमारा समर्थन और मार्गदर्शन करने के लिए शबीना खान हमेशा वहां थी। मैं खुद को एक स्पेशल चाइल्ड के पिता होने के किरदार से जोड़ सका क्योंकि अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हम किसी स्पेशल चिल्ड्रेन से मिलते हैं। एक स्पेशल चिल्ड्रेन को बड़ा करना कठिन काम है लेकिन मेरे दिल में उन लोगों के लिए सहानुभूति है जो उनका ख्याल रखते हैं।’
अपनी जिंदगी में अपने क्रॉसरोड के बारे में बात करते हुए, अयाज कहते हैं, हमारे लिए हर रोज क्रॉसरोड है लेकिन हम जो फैसले लेते हैं और विकल्प चुनते हैं, यह सब उस पर निर्भर करता है। यह कभी भी सही या गलत नहीं होता है बल्कि उस स्थिति के लिए हमारे दिल से निकली आवाज से होता है। कई साल पहले मैं भी एक क्रॉसरोड से गुजरा था, कि क्या विदेश में शिफ्ट हो जाऊं या फिर मुंबई में ही अपने पिता के साथ रहूंए जो 14 साल से बिस्तर पर थे। लेकिन अब मुझे अपने परिवार के साथ रहने को लेकर खुशी होती है क्योंकि कोई भी ऐसा ही करता।

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