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हिंदुस्तान में औरतों के उग्र रूप को कोई देखना नहीं चाहता : पूजा भट्ट

अभिनेत्री पूजा भट्ट ने अपने पिता महेश भट्ट के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होने कहा कि, भारत में महिलाएं जब तक सीता या सावित्री हैं, तब तक लोग सहज रहते हैं, लेकिन जब मां काली का रूप ले लेती हैं, तो सभी को दिक्कत होने लगती है। पूजा ने बुधवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘भट्ट नेचुरली’ की सफलता के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। गुस्सा आने के बारे में पूछे जाने पर पूजा ने कहा, कि हिंदुस्तान में औरतों के उग्र रूप को कोई देखना नहीं चाहता, यहां सिर्फ मर्दाें के गुस्से को सराहा जाता है। ‘दुर्भाग्य से, जब एक महिला स्पष्ट रूप से बातचीत करती है, तो लोगों को लगता है कि वह गुस्से में है, लेकिन जब महेशजी एक निश्चित स्वर में बोलते हैं तो लोगों को लगता है कि वह उनकी सोच प्रक्रिया तीव्र है।’
उसके बाद उन्होंने कहा, ‘महिला सुंदर है और अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में स्पष्ट बोलती है और ना करती है तो लोग हैरान क्यों हो जाते हैं और सोचते हैं कि वह गुस्से में है।’ उन्होंने बताया, ‘एक चीज मैं जानती हूं कि मैं क्या चाहती हूं और सबसे जरूरी क्या है। मुझे पता है कि मैं क्या नहीं चाहती। भारत में जब हम सीता या सावित्री हैं तब तक सहज हैं, लेकिन जब महिलाएं काली मां बन जाती हैं तो दिक्कत हो जाती है, इसलिए मैं इन विपरीत व्यक्तित्वों का मिश्रण हूं।’मैं लक्ष्मी भी हूं, सीता और सावित्री भी हूं लेिकन मैं सती नहीं हूं, मैं कभी सती नहीं बनूंगी, बिल्कुल भी नहीं। जो मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकता न करे, जो नहीं सुनना चाहता न सुने, फॉलो नहीं करना तो न फॉलो करे।

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