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निर्माता प्रदीप शर्मा की पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘डमरू’’ आई.एम.डी.बी पर पिछले 5 हफ्तों से टॉप पर है

भोजपुरी फिल्म डमरू एक भक्त और भगवान शिव पे विश्वास की कहानी है। ये किरदार किया है भोजपुरी के जाने-माने एक्टर खेसारी लाल यादव ने। इस भक्त की भक्ति देखकर खुद भगवान शिव को धरती पर आना पड़ता है। बाबा मोशन पिक्चर्स के बैनर तले इस फिल्म का निर्माण किया है प्रदीप शर्मा ने। इस फिल्म का संगीत, कहानी और निर्देशन किया है जाने-माने निर्देशक रजनीश मिश्रा ने। फिल्म के हीरो हैं खेसारी लाल यादव और हिरोईन पंजाब की रहने वाली याशिका कपूर हैं। निर्माता प्रदीप शर्मा ने इस फिल्म के पहले दो हिंदी फिल्म भी बनाई थी – ‘‘डायरेक्ट इश्क’’ और ‘‘एक तेरा साथ’’। अभी इस भोजपुरी फिल्म के अलावा एक मराठी फिल्म भी बना रहे हैं जिसका नाम है ‘‘माझा बाइकोचा प्रियकर’’। इस भोजपुरी फिल्म का ट्रेलर भी लॉन्च हो गया है। यदि इस फिल्म की कहानी की बात करें तो… कहानी एक ऐसे आदमी के इर्द गिर्द घुमती है जिसकी भगवान शंकर के प्रति अटूट श्रद्धा है, इस फिल्म में यह दर्शाया गया है की कैसे एक इन्सान का विश्वास अगर अडिग हो तो भगवान भी मजबूर हो जाते हैं उसकी सहायता के लिए मूलतः यह कहानी एक भक्त के अपने भगवान के प्रति विश्वाश और समाज में फैले भ्रस्टाचार, लालच और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर उससे ऊपर आने की कहानी है, इस कहानी कुछ दृश्य समाज में फैले अंधविश्वासों को बड़े ही व्यंगात्मक और हास्य तरीके से दिखाते हैं तथा उन अंधविश्वासों से ऊपर उठने का सुझाव देते हैं।
ये फिल्म आई.एम.डी.बी पर पिछले पांच हफ्तों से टॉप पर है और हिंदी फिल्म बागी २, हेट स्टोरी ४ और हिचकी को पीछे छोड़ दिया है। ‘‘डमरू’’ ५ अप्रैल को पुरे भारत में एक साथ रिलीज होगी जिसकी शूटिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी और मुंबई में हुई है।
इस फिल्म के कहानी का सारा ताना बना समाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों, समाज में फैले भ्रष्टाचार, लालच, सत्ता के दुरपयोग इन सब बातों को ध्यान में रख कर बुना गया है, इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक बड़े ही मनोरंजनात्मक और मार्मिक तरीके से ऑडियंस कोयहदर्शाते हैं की, कैसे सामाजिक कुरीतियों से ऊपर उठा जा सकता है, यह फिल्म बड़े ही सुन्दर ढंग से समाज में फैले धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठने का सुझाव देती है
यह फिल्म किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचाती,और पूरी तरह से मर्यदाओं की सीमा के अंतर्गत रहते हुए, एक पूर्णतः पारिवारिक, सामाजिक, और मनोरंजक फिल्म है।
इस फिल्म का काॅन्सेप्ट एक बड़े ही संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है तो इस फिल्म के निर्देशक ने यह ध्यान रखा है की यह फिल्म कही से भी अश्लील न लगे।

-शबनम नबी

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