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राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल तीसरे दिन फिल्मों से सामाजिक बदलाव विषय पर टॉक शो आयोजित किया गया

राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में २२ जनवरी, 2018 को फिल्मों से सामाजिक बदलाव विषय पर टॉक शो आयोजित किया गया, इसमें चर्चा करते हुए अभिनेता यशपाल शर्माने कहा कि सिनेमा से समाज में और लोगों में निश्चित रूप से बदलाव आता है, लेकिन असली सिनेमा वो है जो मुख्यधारा का सिनेमा तो नहीं कहलाता लेकिन उसकी कंटेंट वैल्यू ज़्यादा होती है, ये सिनेमा भले ही कम बजट का हो और बड़ी स्टार कास्ट वाला न हो, लेकिन इनकी कहानियां समाज की हकीक़त बयान करती है इसी से लोगों के जीवन में बदलाव आता है।
मशहूर फि़ल्मकार और अभिनेता अनंत नारायण महादेवन का कहना था कि ऑफ बीट सिनेमा ही असली सिनेमा है और मुख्यधाराका सिनेमा पैरेलल सिनेमा है, क्योंकि इन छोटी फिल्मों में ही हमारा देश, समाज, संस्कृतिऔर मानवीय मूल्य दिखाई देते हैं, जबकि बड़ी और भव्य कहलाने वाली फि़ल्में देश के बाहर शूट की जाती हैं। अभिनेता आदिल हुसैन ने कहा कि भारत के बाहर जो दर्शक हैं, वो हमारी फि़ल्मों के ज़रिये ही देश को जान पाते हैं। उनकी फिल्म ‘मुक्तिभवन’ ने उनके कई जाननेवालों के जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदला है। बेंगुलुरु इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के कला निर्देशक विद्याशंकर एन.का कहना था कि ये दुर्भाग्य की बात है कि आज जो फिल्में बन रही हैं, उनमें भारत दिखाई नहीं देता, पिछलेदौर में सत्यजित राय, ऋत्विक घटक, मृणालसेन, अदूर गोपालकृष्णन और श्याम बेनेगल जैसे फिल्मकारों ने सिनेमा में भारत की आत्मा को दिखाता है।
परिचर्चा को अजीत रॉय ने मॉडरेट किया। रिफ में प्रदर्शित फिल्मो में ‘मास्साब’, ‘करीम मोहम्मद’, ‘डॉक्टर रूख्माबाई’, ‘मुक्ति भवन’ और निर्माता मनीष मूंदड़ा की फिल्म ‘रुख’ का प्रदर्शन किया गया।

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