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साईं की विभूति (धुनि ) की महत्ता देखिये ‘मेरे साईं ’ में

शिर्डी के सांई बाबा के भक्त उनके कई चमत्कारों के बारे में जानते हैं और प्रेम व समानता के उस संदेश के बारे में जो सबके बीच फैलाते हैं। उन्हें उन पीड़ाओं और रोगों को ठीक करने के लिए भी जाना जाता है, जिनसे लोग पीड़ित थे। एक लोककथा के अनुसार, सांई ने अपने आराम करने के स्थान – शिर्डी के माशिद में एक हमेशा जलने वाली अग्नि – धुनी स्थापित की थी। वे अक्सर ही उस धुनी की राख लेते और अपने भक्तों का निवारण करने के लिए उन्हें वह दे देते। लोग अपने प्रिय जनों को पीड़ाओं से मुक्ति दिलाने के लिए भी यह विभूति (पवित्र राख) अपने साथ ले जाते। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के ‘मेरे सांई’ की आने वाली कहानी में, यह कथानक धुनी के अस्तित्व में आने और कैसे इसने इस क्षेत्र के कई भक्तों की जिंदगियों को बदल दिया है, इसके बारे में बुना गया। मेरे सांई में सांई बाबा की भूमिका निभाने वाले अबीर सूफी सांई बाबा के एक निष्ठावान भक्त हैं और हमेशा ही खुद पर विभूति लगाते हैं।
अबीर सूफी (सांई) ने कहा, “सांई बाबा ने अपने भक्तों की मदद करने के लिए रहस्यमयी तरीके से काम किया था। उन्हें आयुर्वेदिक दवाओं से जानलेवा बीमारियों को ठीक करने के लिए जाना जाता था और बाद में, उन्होंने विभूति (पवित्र राख) वितरित करना शुरू किया। मुझे याद है कि जब भी मैं शिर्डी गया हूं, तो अपने साथ विभूति लाया हूं और ऐसा एक भी दिन नहीं गया है, जब मैंने उसे लगाए बिना अपने घर से निकला हूं। सांई बाबा ने कहा था कि यह धुनी समय के अंत तक लगातार जलती रहेगी। आज भी, शिर्डी जाने वाला हर भक्त हमेशा ही अपने साथ विभूति लाता है। मैं मेरे सांई की वर्तमान कहानी को लेकर काफी उत्साहित हूं क्योंकि हमने धुनी और उनके भक्तों की जिंदगी में इसके महत्व की कहानी को दिखाया है।”

 

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