कल्कि 2898 AD में है इंडियन माइथॉलोजी के साथ सांइस फिक्शन का मिक्सचर
फिल्म का नाम : कल्कि 2898 AD
फिल्म के कलाकार : प्रभास, दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन, कमल हासन, दिशा पाटनी, दुलकर सलमान, राम गोपाल वर्मा, मृणाल ठाकुर
फिल्म के निर्देशक : नाग अश्विन
रेटिंग : 3/5
नाग अश्विन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी अब सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कहानी को माइथॉलोजी और साइंस फिक्शन के साथ बनाया गया। फिल्म में कई अभिनेताओं और फिल्ममेकर्स का गेस्ट अपिरिएंस है।
फिल्म की कहानी :
फिल्म की शुरुआत महाभारत से होती है, जहां अश्वत्थामा को शाप मिलता है कि तब तक धरती पर जीवित रहेंगे, जब तक कृष्ण खुद आकर उन्हें मोक्ष नहीं देते। यानि कि युद्ध के मैदान में श्रीकृष्ण, अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन) को कभी न मरने का श्राप देते हैं। हालांकि, इस श्राप के साथ वो अश्वत्थामा को प्रायश्चित करने का एक मौका भी देते हैं।
श्रीकृष्ण, अश्वत्थामा से कहते हैं कि हजारों साल बाद जब दुनिया के हर कोने में सिर्फ बुराई होगी, जब लोगों पर अत्याचार बढ़ने लगेगा, तब भगवान के एक अवतार कल्कि का जन्म होगा। हालांकि, उनका जन्म आसान नहीं होगा। वो धरती पर न आएं इसके लिए बुरी शक्तियां अपनी पूरा जोर लगाएंगी। इस स्थिति में अश्वत्थामा को भगवान की सुरक्षा कर प्रायश्चित करना होगा।
अब यहां से कहानी 6 हजार साल बाद आगे बढ़कर दुनिया के आखिरी शहर काशी की तरफ पहुंचती है। इसी शहर के अंदर ‘कॉम्प्लेक्स’ नाम का एक अलग एम्पायर है। इसका शासक सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) अपने आप को सर्वशक्तिमान बनाने के लिए एक्सपेरिमेंट करता है।
वो इसके लिए लड़कियों की कोख से निकलने वाले सीरम को अपने अंदर इंजेक्ट करता है। काफी एक्सपेरिमेंट के बाद उसकी लैब से एक लड़की सुमति (दीपिका पादुकोण) गर्भवती हो जाती है।
सुमति के प्रेग्नेंट होते ही दूर बैठे अश्वत्थामा को एहसास हो जाता है कि भगवान अब उसी बच्चे के रूप में दुनिया में कदम रखने वाले हैं। सुमति वहां से भाग जाती है, रास्ते में उसकी सुरक्षा के लिए अश्वत्थामा मिलते हैं।
दूसरी तरफ भैरवा (प्रभास) एक बाउंटी हंटर है वो कैसे भी करके यास्किन के कॉम्प्लेक्स में घुसने की सोचता है। इसके लिए वो कॉम्प्लेक्स के बुरे लोगों को इम्प्रेस करने में लगा रहता है। वो कॉम्प्लेक्स के लोगों को यकीन दिलाता है कि वो सुमति को खोज लाएगा।
सुमति के लिए फिर भैरवा और अश्वत्थामा में भीषण लड़ाई होती है। हालांकि बीच में कुछ ऐसा होता है कि भैरवा और अश्वत्थामा साथ मिलकर सुमति की सुरक्षा के लिए लड़ने लगते हैं।……….इसके बाद आगे क्या होता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
कलाकारों की अदाकारी ?
फिल्म में प्रभास का रोल काफी गढ़ा हुआ है लेकिन कमाल की बात यह है कि 81 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन प्रभास के रोल पर भारी पड़ते हैं। कहने का मतलब है की बिग बी ने कमाल कह एक्टिंग की है। उनकी बॉडी में फ्लेक्सिबिलिटी दिखाई देती है। प्रभास का भी एक्शन सीक्वेंस दमदार है फर्स्ट हाफ में प्रभास का किरदार मस्तमौला टाइप का है। जब अमिताभ और प्रभास आमने-सामने एक्शन करते दिखते हैं तो स्क्रीन पर कमाल लगते हैं।
दीपिका पादुकोण को जितना भी स्क्रीन टाइम मिला है, उसमें किरदार के हिसाब से ठीक लगती हैं। फिल्म में दिशा पाटनी का भी छोटा सा रोल है जिसमें उन्होंगे अपने किरदार को इम्पैक्टफुल बनाने की कोशिश की है। विलेन के रोल में कमल हासन का स्क्रीन टाइम भी कम ही मिला है। इस फिल्म में बड़े एक्टर्स और फिल्म मेकर्स ने कैमियो किया है जो कई बार लगता है कि बड़े एक्टर्स का कैमियो बेकार में ही था है।
कैसी बनी है फिल्म?:
नाग अश्विन फिल्म के निर्देशक हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिल्म का वीएफएक्स कमाल का है वीएफएक्स हॉलीवुड के लेवल का है बावजूद इसके फिल्म का पहला भाग दर्शकों पर अपना इम्पैक्ट नहीं दिखा पाता, फर्स्ट हाफ में कहानी दर्शकों में कौतूहल पैदा करने में नाकामयाब साबित होती है इसलिए पहला भाग बोरिंग लगता है। बहुत सारे सीन्स खींचे हुए लग सकते हैं। समझ नहीं आता है कि कड़ियों को कहां से कहां जोड़ा जा रहा है। गाने ऐसे नहीं हैं कि फिल्म देखते देखते आप गुनगुनाने लगे।
इंटरवल के बाद फिल्म अपनी स्पीड पकड़ती है। स्टार्स का लार्जर दैन लाइफ स्क्रीन प्रेजेंस, हाई ऑक्टेन एक्शन सीक्वेंस सभी कमाल के हैं। प्रभास और अमिताभ बच्चन के बीच एक्शन सीक्वेंस काबिल तारीफ हैं।
एक्शन सीक्वेंस और वीएफएक्स देख कर लगता है कि फिल्म में पैसा लगाया गया है। सिनेमैटोग्राफी, विजुअल और साउंड इफेक्ट्स की तारीफ बनती है। ऐसी फिल्में सिर्फ थिएटर में ही देखने लायक होती हैं।
फिल्म क्यों देखें ?:
भले ही फिल्म का पहला भाग उतना इम्पैक्टफुल नहीं है लेकिन जिस तरह के वीएफक्स हैं एक्शन सीक्वेंस हैं वो थिएटर में ही देखने में मज़ा आता है।