सेनाओं के शौर्य पर गर्व की अनुभूति कराती है फिल्म भुज : द प्राइड………
फिल्म का नाम : ‘भुज: द प्राइड आॅफ इंडिया’
फिल्म के कलाकार : अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, प्रनिथा सुभाष, नोरा फतेही, एमी विर्क, शरद केलकर और महेश शेट्टी।
फिल्म के निर्देशक : अभिषेक दुधैया
फिल्म के निर्माता : भूषण कुमार (टी सीरीज़)
रेटिंग : 3.5/5
फिल्म के निर्देशक अभिषेक दुधैया के निर्देशन में बनी सत्य घटना पर आधारित अजय देवगन की फिल्म ‘भुज: द प्राइड आॅफ इंडिया’ ओटीटी प्लेटफाॅर्म (डिज़्नी+हाॅटस्टार वीआईपी) पर रिलीज़ हो चुकी है। भुज में भारतीय वायु सेना की वीरता और नागरिकों को शौर्य की अमरगाथा देखने को मिलेगी। ये एक एक्शन पैक्ड फिल्म है। बता दें कि फिल्म को बड़े पर उतारा जाना था लेकिन कोरोना की वजह से इसे ओटीटी पर रिलीज़ करना पड़ा।
फिल्म की कहानी :
इस फिल्म की कहानी का आधार है साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ युद्ध। उस समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के मोर्चे पर लगातार कमज़ोर होते पाकिस्तान की सरकार और सेना अधिकारियों ने भारत पर पश्चिम दिशा से हमला करने की योजना बनाई ताकि पूर्वी पाकिस्तान के हिस्से को बांग्लादेश न बनाया जा सके। पाकिस्तानी तानाशाह और सेनाध्यक्ष ह्याया खान ने यह भी उम्मीद पाल रखी थी कि पश्चिम में अप्रत्याशित हमले से राजस्थान और गुजरात के इलाकों को जीत कर वह भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ दिल्ली में चाय पीएगा जो कि पूरा न हो सका।
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कैसे गांव की महिलाओं ने रनवे बनाने में भारतीय सेना की मदद की और पाकिस्तान के खिलाफ जंग की जीत में अपना अहम योगदान दिया। तारीख 8 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के जेट्स ने 14 बम भारत के भुज स्थित एयरफोर्स बेस पर दागे इन धमाकों से भारी नुकसान हुआ और भारतीय सेना का रनवे तबाह हो गया। ताकि जब पाकिस्तान का जमीनी हमला हो भारतीय विमान उसे रोकने के लिए यहां से न उड़ पाएं।
पाकिस्तान की तरफ से किया गया दूसरा हमला इतना खतरनाक था कि भारतीय सेना को बीएसएफ की मदद लेनी पड़ी मगर भारतीय वायुसेना के पास जो श्रमिक थे वो भय के चलते एयरस्ट्रिप को रिपेयर करने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद जो हुआ उसने इतिहास ही बदलकर रख दिया। कैंप के करीब माधापुर गांव था वहां की 300 महिलाओं ने देशभक्ति के ज़ज़्बे से रनवे फिर से बनाने के लिए हामी भर दी। वे लगातार मेहनत करती गईं और 72 घंटे के अंदर उन्होंने नया रनवे बना दिया।
कलाकारों की अदाकारी :
उस समय भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज थे विजय कर्निक। फिल्म में यह रोल अजय देवगन ने निभाया है। यह उनकी ही सोच थी कि कि रनवे बनाने के लिए महिलाओं को साथ में लाना पड़ेगा। सुरेंदरबन जेठा माधरपाया ने महिलाओं को इस काम के लिए राज़ी किया और विजय कर्निक से मिलवाया। सुरेंदरबन के रोल में सोनाक्षी सिन्हा ने बेहतरीन अदाकारी दिखाई है।
फिल्म में दो अन्य अहम किरदार रणछोरदास स्वाभाई ‘पगी’ और इंडियन स्पाई के बारे में भी दिखाया गया है जहां एक तरफ रणछोड़दास के रोल में संजय दत नजर आएंगे, उनके एक्शन सीन काफी जबर्दस्त हैं। वहीं स्पाई के रोल में नोरा फतेही का रोल भी काबिले तारीफ है। नोरा ने यह साबित कर दिया है कि वो न सिर्फ एक अच्छी डांसर है बल्कि एक अच्छी अदाकारा भी हैं। शरद केलकर कभी सिर्फ टेलीविजन एक्टर हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी एक्टिंग काफी इम्पू्रव हुई है। और अब लगता है कि फिल्मों में उन्होंने अपनी जगह बना ली है।
फिल्म का निर्माण भूषण कुमार ने किया है। ये एक मल्टीस्टारर फिल्म है जिसमें आपको बहुत से कलाकार जैसे अजय देवगन, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, प्रनिथा सुभाष, नोरा फतेही, एमी विर्क, शरद केलकर और महेश शेट्टी नजर आएंगे।
कैसी है फिल्म? :
फिल्म के एक्शन सीक्वेंस कमाल के हैं। वीएफएक्स ने हवाई हमलों और युद्ध के दृश्यों को जीवंत किया है। अभिषेक दूधिया ने कमाल का डायरेक्शन किया है।’ फिल्म की कहानी के हिसाब से ही गााने भी रखे गए हैं। फिल्म की पूरी कहानी में कहीं कुछ सीन ऐसे हैं बहुत ज़यादा नाटकीय लगते हैं- जैसे एक सीन है जब करीब 450 सैनिकों को लेकर जब जेट प्लेन टेक आॅफ करता है तब उसके फ्रंट वील्स टूटकर जेट प्लेन से अलग हो जाते हैं, लेकिन जब वो लैंड करता तब उसके बाकी के वील्स में फायर हो जाता है लेकिन प्लेन को कुछ नहीं होता है। लेकिन यदि रियल में देखा जाए तो ऐसा हो ही नहीं सकता है क्योंकि कोई भी प्लेन हो वो सभी बहुत ही सेंसिटिव होते हैं। जिन लोगों को 1971 का भारत-पाक युद्ध ठीक से नहीं पता है उन लोगों के लिए यह फिल्म के उस को विस्तारता से समझाने में मददगार साबित होगी। फिल्म में ‘मराठा या तो मारता है या मरता है’ जैसे डायलाॅग दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
फिल्म क्यों देखें?ः
फिल्म को ऐसे समय पर लाया गया है जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मनाने वाला है। ऐसे समय में टीवी पर भी आज़ादी से जुड़ी हुई फिल्में ही दिखाई जाती है। फिल्म देखने पर आर्मी के प्रति लोगों का सम्मान व विश्वास और भी दृढ़ होता है।
-शबनम नबी